प्रयागराज (ब्यूरो)।एक्सप्रेस ट्रेन एक दरोगा के ऊपर से गुजर गई। ट्रेन के नीचे आए दरोगा की दर्दनाक मौत हो गई। क्षतविक्षत शव और दरोगा की तड़प देख कर लोगों की रूह कांप गई। घटना फाफामऊ स्टेशन पर हुई। मौके पर ही दरोगा की मौत हो गई। परिजन पहुंचे तो शव देख कांप गए। उनका रो-रोकर बुरा हाल था। ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आ चुकी हैं। ट्रेन रोककर जान बचाया गया है।
जल्दीबाजी पड़ गयी भारी
होलागढ़ के चौबारा दुबान गांव निवासी रामानाथ तिवारी दरोगा थे। करीब दो साल पहले वह दीवान से प्रमोट होकर दरोगा हुए थे। उनकी तैनाती लखीमपुर खीरी में क्यूआरटी में थी। वह घर लौट रहे थे। बरेली एक्सप्रेस जब फाफामऊ स्टेशन पहुंची तो रुकी नहीं। रफ्तार थोड़ी कम हुई तो दरोगा चलती ट्रेन से उतरने लगे। फुटरेस्ट पर पैर फिसल गया। जिससे दरोगा ट्रेन के नीचे आ गए। ट्रेन ऊपर से गुजर गई। दरोगा के एक हाथ और पैर अलग हो गए। तड़प तड़प कर मौत हो गई। सूचना पर जीआरपी पहुंची। तलाश में आई कार्ड से दरोगा की पहचान हुई। मोबाइल से मिले नंबर में दरोगा के बारे में पता चला। सूचना पाते ही परिजन पहुंच गए। बेटे अंकित और परिजनों का रो-रोकर हाल बेहाल हो गया।
सात मिनट में कहानी खत्म
बरेली एक्सप्रेस सुबह करीब पौने नौ बजे फाफामऊ स्टेशन पहुंची। टे्रन का यहां पर स्टॉपेज नहीं है। ट्रेन की रफ्तार कम हुई तो तमाम लोग उतरने लगे। इस बीच दरोगा रमानाथ भी उतरने की कोशिश करने लगे। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो दरोगा का पैर फुटरेस्ट पर फिसल गया। दरोगा ने चमड़े का जूता पहन रखा था। जिससे जूता फुटरेस्ट पर फिसल गया। दरोगा का शरीर झूलकर नीचे गिरा। आधा शरीर पटरी पर आ गया। ट्रेन ऊपर से गुजर गई। टे्रन निकल गई तो रेलवे ट्रैक पर दरोगा क्षतविक्षत हाल में पड़े थे। रेलवे ट्रैक खून से लाल था। दरोगा के कराहने की आवाज सुन लोगों की रूह कांप गई। करीब सात मिनट में दरोगा की कहानी खत्म गई।

बेहद खुशमिजाज थे दरोगा रमानाथ
दरोगा रमानाथ बेहद खुशमिजाज। दीवान रहने के दौरान रमानाथ डयूटी की वजह से अक्सर घर कम ही आ पाते थे। मगर जब आते थे तो पूरे गांव में लोगों से मिलते थे। गांव के लोगों से कोई मनमुटाव नहीं था। पांच बेटियों की शादी करके जब रमानाथ फुर्सत हुए तो दरोगा पर प्रमोशन हो गया। रुतबा बढ़ गया। रमानाथ क्यूआरटी में तैनात थे। सख्त डयूटी होने की वजह से रमानाथ काफी दिनों बाद घर छुट्टी आ रहे थे। मगर घर नहीं पहुंच सके।

मौत ने बना दिया बेपरवाह
कहते हैं कि मौत बहाना ढ़ूंढती है। रमानाथ की ट्रेन से उतरने में बेपरवाही मौत में बदल गई। घर वालों के मुताबिक रमानाथ खुद घरवालों को सावधानी बरतने की नसीहत देते थे। मगर नसीहत खुद के काम न आई। घर पहुंचने की जल्दबाजी ने मौत के घर पहुंचा दिया। महज सात मिनट पर दरोगा की दर्दनाक मौत हो गई।

कई महीने बाद आ रहे थे छुट्टी
घरवालों को जब रमानाथ के घर आने की जानकारी हुई तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। सोमवार को रमानाथ ने छुट्टी मिलने की बात घरवालों को फोन से बताई थी। ये भी बताया था कि बुधवार को वह घर आ जाएंगे। घर वाले दरोगा का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। बड़े बेटे अंकित ने रिसीव करने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया। कहा कि वह खुद चले जाएंगे। लेकिन उनकी मौत की सूचना पहले पहुंची।

शव देखने वाला नहीं उतरेगा चलती ट्रेन से
दरोगा की बेपहरवाही उनके घरवालों के लिए बेहद दर्दनाक है। इतनी दर्दनाक है कि जिस-जिस ने भी दरोगा का शव देखा होगा उसकी रूह कांप गई होगी। एक हाथ और एक पैर अलग हो गया था। चारों तरफ खून फैला था। ऐसे में ये दृश्य देखने शायद ही कोई शख्स कभी चलती ट्रेन से उतरने की लापरवाही करेगा। यह घटना लोग भुलाए नहीं भूलेंगे।

बरतें सावधानी, होती है दर्दनाक मौत
मौत सुकून से आ जाए तो क्या कहना। मगर यही मौत जब दर्दनाक होती है तो देखने वाले भी हदस जाते हैं। ट्रेन से कटने वालों की बेहद दर्दनाक मौत होती है। मामूली ब्लेड की खरोंच दर्द देती है तो जब ट्रेन के पहिए ऊपर से गुजरते हों तो उस दर्द का अंदाजा लगाया जा सकता है।

ये सावधानी जरूर बरतें
ट्रेन से यात्रा करते समय कभी भी उतरने में जल्दबाजी न करें।
जब तक ट्रेन रूक न जाए कभी न उतरें।
बहुत जरुरी हो तो चेन पुलिंग कर दीजिए।
परिवार के साथ हों तो कभी भी रिस्क न लीजिए।
किसी के कहने पर भी ओवर कांफिडेंस में ट्रेन से न उतरिए।