- आधुनिकता के युग में नहीं दिख रहे अंतरदेशी व पोस्टकार्ड

<- आधुनिकता के युग में नहीं दिख रहे अंतरदेशी व पोस्टकार्ड

SIRATHU(4Feb,JNN):SIRATHU(4Feb,JNN): चिट्ठी आई है चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई हैकभी ये गीत बहुत मशहूर हुआ था। पुराने समय में चिट्ििठयों का दौर था, तब मोबाइल, इंटरनेट आदि माध्यम के न होने पर लोग खतों के माध्यम से अपनों का हालचाल लिया करते थे। वक्त बदलने के साथ इस युग में ये सब चीजें गुमनाम हो गई। लोगों के पास इंटरनेट के जरिए ही पल-पल की जानकारी मिलती रहती है। अब तो डाक विभाग ने टेलीग्राम सुविधा को भी बंद हो गई है।

लेटर बाक्सों के पास नहीं दिखते लोग

चिट्ििठयों के दौर में सुबह से शाम तक लाल डिब्बा खतों से भर जाया करता था और इसके बाद डाक कर्मी इन्हें निकाल कर लिखे पते पर भेजते थे। आज की स्थिति यह है कि लेटर बाक्सों के पास कोई व्यक्ति नहीं दिखाई देता है। ऐसे ही लगे रहते हैं और धीरे-धीरे ये निष्प्रयोज्य होते जा रहे हैं। अंतरदेशी पत्र तो कहीं दिखाई ही नहीं देता, पोस्टकार्ड की जरूरत कभी कबार लोगों को होती है। ये भी अब बहुत ही कम पोस्ट आफिसों में उपलब्ध रहते हैं। सिर्फ इन दिनों स्पीड पोस्ट या रजिस्ट्री के लिए लोग डाकखानों में जाते हैं।

कोरियर कंपनियों की कट रही चांदी

डाक विभाग द्वारा लेटा लपेटी के चलते कोरियर कंपनियों का व्यवसाय काफी बढ़ गया है। डाकघरों में रजिस्ट्री के टिकट न उपलब्ध होना और समय पर रजिस्ट्री न पहुंचने की वजह से लोगों का मोह इस तरफ से भंग हो रहा है और जरूरत मंद कोरियर आदि कंपनियों का सहारा लेने के लिए मजबूर हैं। यहां पर लोगों से दुगना राशि ली जाती है।