मरीज बढ़ने से चरमराई चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की व्यवस्था

एक बेड पर चल रहा दो मरीजों का इलाज, फैल सकता है इंफेक्शन

ALLAHABAD: भीषण गर्मी के मौसम में चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की व्यवस्था चरमरा गई है। मरीजों की संख्या बढ़ जाने से मजबूरी में एक बेड पर दो मरीजों क ो भर्ती किया जा रहा है। साइंटिफिकली यह गलत है और इससे परिजनों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे हालात में इंफेक्शन फैलने के चांसेज भी बढ़ गए हैं। हॉस्पिटल प्रबंधन बेड की कमी का रोना रो रहा है तो परिजन भी जैसे-तैसे अपने दिन गुजारने में लगे हैं। मौसम में परिवर्तन नहीं होने पर हालात अधिक खराब हो सकते हैं।

डेढ़ से दोगुना हो गई ओपीडी

गर्मीजनित बीमारियों से चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। इसका सीधा असर इमरजेंसी वार्ड पर पड़ा है। यहां एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती किया जा रहा है। बता दें कि हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में कुल 16 बेड हैं और रोजाना भर्ती होने वाले बच्चों की संख्या इससे ज्यादा है। ऐसे में डॉक्टर एक बेड पर दो बच्चों को लिटाने की सलाह दे रहे हैं। वर्तमान में ओपीडी में रोजाना दो से ढाई सौ मरीज दस्तक दे रहे हैं।

डायरिया और बुखार का कहर

सर्वाधिक मरीज डायरिया और बुखार जैसी संक्रामक बीमारियों के हैं। हालत सीरियस होने पर इन्हें तत्काल इलाज की जरूरत होती है। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल रिफरल सेंटर है, लिहाजा यहां इलाहाबाद समेत कौशांबी, जौनपुर, प्रतापगढ़, भदोही, बांदा, मिर्जापुर जिलों से मरीज आते हैं। कई बार बच्चों की हालत देखकर डॉक्टर उन्हें न चाहते हुए भी भर्ती करते हैं।

बेड शेयरिंग के नुकसान

एक से दूसरे बच्चे को इंफेक्शन हो सकता है, जिससे मरीज अधिक बीमार हो जाएगा।

दवाओं को लेकर कई बार परिजनों के बीच कंफ्यूजन पैदा हो जाता है।

डॉक्टर्स को भी परिजनों से बातचीत करने में दिक्कत होती है।

वार्ड में मरीजों और परिजनों की अधिक संख्या होने से हाइजीन प्रभावित होता है।

बच्चे भी ठीक से लेट नहीं पाते, उन्हें कम जगह में रहना होता है जिससे गर्मी में उन्हें दिक्कत होती है।

बिगड़ सकती है स्थिति

डॉक्टर्स का कहना है कि हर साल गर्मियों के मौसम यह हालात बन जाते हैं। जल्द ही मौसम में बदलाव नहीं हुआ तो एक बेड पर तीन बच्चे लेटाना मजबूरी होगी। हॉस्पिटल में बेडों की संख्या बढ़ाए जाने की मांग की जा रही है। लेकिन, शासन से कोई समाधान नहीं मिला है।

मजबूरी में एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है। इससे डॉक्टरों पर भी लोड बढ़ा है। कोशिश रहती है कि मरीजों के सामान्य होने पर उन्हें जल्द से जल्द दूसरे वार्डो में शिफ्ट कर दिया जाए।

†ाडॉ। अनुभा श्रीवास्तव,

एचओडी, चिल्ड्रेन हॉस्पिटल