मुकेश चतुर्वेदी। दिन के उजाले में 24 फरवरी को हुई उमेश पाल की हत्या के पूर्व नफीस का दामन बेदाग था। क्रिएटिव सोच के चलते लोग उसे कारोबार का मास्टर माइंड मानते थे। इसी सोच और जुनून के बूते नफीस बिरयानी के व्यापार को सिर्फ बाजार ही नहीं, पहचान भी दिया था। ईट-ऑन जैसे एम्पायर को फर्श से अर्श तक पहुंचाने में वह दिन रात एक कर दिया था। उसके द्वारा खड़ा किया गया यह एम्पायर दर्जनों युवाओं के रोजगार का साधन बन गया था। हजारों लोग उसकी ब्रांड प्रोडक्ट के दीवाने बन गए थे। कुल मिलाकर नफीस की पहचान एक व्यापारी की के रूप में ही थी।

2005 में ठेले से शुरू किया था व्यापार
बसपा विधायक राजू पाल के कत्ल में आई-एवीडेंस रहे राजू पाल की हत्या में इस्तेमाल कार पुलिस के द्वारा नफीस की बताई गई थी। इसी से के चलते पहली बार उसका अतीक कनेक्शन सामने आया था। यहीं से उसके माथे पर कत्ल जैसी घटना की साजिश में शामिल होने का कलंक लगा। उससे जुड़ी यह स्क्रिप्ट पुलिस के द्वारा बताई जाती है, जो उसके जीवन का एक और आखिरी पहलू है। नफीस के कैरेक्टर का दूसरा पहलू यह भी है। वह ये कि वह एक कुशल व्यापारी भी था। मुफलिसी में जीवन बसर करने वाले नफीस ने वर्ष 2005 में ठेले से बिरयानी के करोबार की शुरुआत की थी। सिविल लाइंस पैलेस सिनेमा के पास उसका ठेला लगा करता था। धीरे-धीरे उसकी बिरियानी का जायका लोगों को रास आने लगा था। ग्राहक और कमाई बढ़ी तो वह ठेले से टीन शेड में गया। इस दुकान में वह अपने बिरियानी के व्यापार को आधुनिक लुक और सुविधाओं से लैस किया। एक वक्त आया जब वह ईट-ऑन नाम से खुद की बिरियानी ब्रांड बना डाला। उसे जानने वाले बताते हैं कि प्रशासन के द्वारा किराए के टीन शेड को तोड़ दिया गया था। इसके बाद वह धोबी घाट चौराहे की नाइट मार्केट में लोहे की गुमटी में दुकान चलाने लगा। सैकड़ों लोग बिरयानी खाने उसकी दुकान आने लगे। फिर क्या था, वह अपने ब्रांड का पूरा एम्पायर खड़ा कर डाला। जहां 70 से 80 युवा किसी न किसी रूप में काम करके जीवको पार्जन किया करते थे। लोग-बाग कहते हैं कि उमेश पाल की हत्या के पूर्व उसकी पहचान एक व्यापारी सफल व्यापारी के रूप में ही थी। आज शहर में चारों तरफ बिरयानी की दुकान चलाने वाले दुकानदार कहीं न कहीं से इस व्यापार का आइडिया नफीस के कारोबार से ही लिए थे।

एनआरसी धरने से चर्चा में आया नफीस

अटाला स्थित पार्क में एनआरसी के खिलाफ करीब दो महीने तक सैकड़ों लोग लगातार धरने पर बैठे थे। प्रशासन उन्हें मनाने व धरना समाप्त कराने के प्रयास में जुटा था। उधर दिन भर व्यापार से बची हुई बिरयानी को नफीस एनआरसी के खिलाफ धरने पर बैठे लोगों में बंटवा दिया करता था। नफीस की लजीज बिरयानी खाकर लोग चौबीसों घंटे धरना स्थल पर ही जमे रहते थे। धरना देने वालों को बिरयानी खिलाने की बात पता चलने के बाद ही प्रशासन उसके टीन शेड वाली दुकान को ध्वस्त किया था।

नफीस का एक चेहरा यह भी
अटाला में हुए बवाल को शायद ही इस शहर का कोई शख्स भुला पाया हो। इस बवाल के बाद अटाला में कफ्र्यू लगा दिया गया था। सारी दुकानें बंद होने के कारण गर्मी में ड्यूटी दे रहे जवान ठंडे पानी तक के लिए परेशान थे। उस वक्त नफीस अपनी कार में पानी का बोतल लेकर बेटियों के साथ पुलिस वालों को पिलाया करता था। उसके इस काम के लिए तत्कालीन एसएसपी व डीएम ने भी खुलकर तारीफ की थी।