अरुण जेटली के आम बजट पर आम जनता की राय फिफ्टी-फिफ्टी

किसी ने सराहा तो किसी ने कहा आम आदमी के लिए कुछ नहीं

ALLAHABAD: आम बजट लोकलुभावन होना चाहिए। सत्तासीन पार्टी आज इसी बात पर सबसे ज्यादा फोकस करती है। चाहे बजट भारी भरकम ही क्यों न हो जाए। यह परंपरा में शुमार हो चुका है कि भले ही पिछले वादे पूरे न हो पाए हों, लेकिन भविष्य के लिये बड़ी बड़ी बातें और दावे करने से पीछे नहीं हटना है। यह कहना है पब्लिक का, जिसने चुनावी बयार के बीच पीएम नरेन्द्र मोदी गवर्नमेंट द्वारा पेश किए गए गये बजट पर अपनी राय रखी। हालांकि ने आम बजट को राहत की वह पोटली बताया जो समय रहते खुल जाए तो बेहतर होगा।

वादे हैं वादों का क्या

आई नेक्स्ट ऑफिस में बजट पर हुई परिचर्चा में शहर के बुद्धिजीवियों ने साफ कहा कि अब तो ऐसा लगता है कि बजट से उम्मीद करना ही बेमानी है। इसकी बड़ी वजह है कि बजट हर सालाना सत्र में पेश किया जाता है। लेकिन जनता को रिझाने के चक्कर में इसे इतना भारी भरकम कर दिया जाता है कि इसका इंप्लीमेंट करने में ही सरकार का पूरा कार्यकाल बीत जाता है। लोगों ने कहा कि सरकार को बजट पेश करते समय यह भी बताना चाहिये कि उसने पिछले बजट में जो वादे किए थे, वह कितने पूरे कर पाई ?

टैक्स पर कहीं खुशी कहीं गम

लोगों ने कहा कि अर्थव्यवस्था की समीक्षा और विकास की बात के साथ घोषणाओं का अनुपालन भी उतना ही अनिवार्य है। लोगों ने चुनावी माहौल में पेश किए गए बजट को पापुलर बजट बताया। हालांकि, सरकारी तबका इनकम टैक्स में दी गई रियायत से बहुत खुश नजर नहीं आ रहा। जबकि व्यापारी वर्ग का कहना है कि सरकार ने जो रियायत दी है। वह ट्रेडर्स एंड बिजनेस क्लास को टैक्स के दायरे में लाने के लिये आकर्षित करेगी। एक वर्ग का साफ मानना है कि सरकार नोटबंदी से मालामाल हुए सरकारी खजाने में जमा धन को आगामी योजनाओं पर खर्च करेगी जोकि भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में साधक का काम करेगा।

चुनावी लाभ पर भी हुआ मंथन

अबकी बार पेश किए गए बजट में लोगों पर तात्कालिक रूप से कोई आर्थिक बोझ नहीं डाला गया है। इससे आम आदमी ने राहत की सांस ली है। वहीं किसानों को कर्ज देने की घोषणा को स्वागत योग्य बताया गया। लोगों ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिये सरकार की सराहना की। इसके अलावा बुजुर्गो, महिलाओं और युवाओं के लिये की गई घोषणाओं पर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। वहीं सेवा संस्थानो की उन्नति के लिये की जा रही प्लानिंग पर खुशी जाहिर की। चर्चा में शामिल एक वर्ग का कहना था कि आम बजट का लाभ भाजपा सरकार को चुनाव मिलेगा। जबकि एक वर्ग का कहना है कि ये सब भविष्य की बातें हैं। जनता अब घोषणाओं को सीरियसली नहीं लेती।

एजुकेशन एंड एम्पलायमेंट के लिए अलग से बजट होना चाहिए। इस समय एजुकेशन को बिजनेस बना दिया गया है। जिसकी मार पड़ रही है। बेरोजगारों के लिये भी अलग से प्राविधान और प्लानिंग करनी होगी।

प्रियंका सिंह, छात्रा

एक दो निर्णय को छोड़ दें तो मुझे नहीं लगता कि महिलाओं के लिये इस बजट में कुछ खास है। गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाओं के लिए जरूरी कदम नहीं उठाये गये।

डॉ। कल्पना वर्मा, आर्य कन्या डिग्री कॉलेज

यह ग्रोथ ओरिएंटेड बजट है। जिसमें सरकार की दूरदृष्टि साफ नजर आ रही है। कई सारी घोषणायें बहुत अच्छी हैं। जिनका सीधा लाभ नीचे से ऊपर तक के तबके को भविष्य में मिलेगा।

प्रोफेसर एके सिंघल, कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, एयू

सरकार ने नोटबंदी से जो पैसा जमा किया है। उसे एकत्र करके रखना तो नहीं है। बजट से साफ है कि नोटबंदी से जमा धन अब प्लानिंग एंड प्रोडक्शन में एक्सपेंस होगा। इससे रोजगार बढ़ेगा। उन्नति की राह खुलेगी।

अशोक पांडेय, प्रतियोगी छात्र

इनकम टैक्स छूट की सीमा पांच लाख तक बढ़ाई जानी चाहिये थी। पांच लाख तक 10 से 5 प्रतिशत टैक्स कर देने से वेतनभोगी लोगों को कोई खास लाभ नहीं होगा। सरकारी कर्मचारी ही तो ईमानदारी से टैक्स अदा करता है। इनके लिये कुछ खास नहीं किया गया।

नरसिंह, जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ

मिलाजुला बजट है। राजकोषीय घाटा कम करने की बात तो कर दी है। लेकिन यह काम इतना आसान नहीं है। देश की जीडीपी का बढ़ना समय की आवश्यकता है। सरकार ने सबकुछ साधने की कोशिश की है। जिसके परिणाम भविष्य में पता चलेंगे।

अश्वनी तिवारी, सर्किल प्रेसिडेंट पीएनबी अधिकारी संगठन

कोई किसान को कर्ज देता है तो कोई कर्ज माफ करने की बात करता है। मेरा कहना है कि किसानो को इस लायक बनाया जाये कि उन्हें इसकी जरुरत ही न पड़े। आखिर कब तक उन्हें सरकार की कृपा की जरुरत पड़ती रहेगी।

रमेश चन्द्र केशरवानी, कार्यकारिणी सदस्य गल्ला तिलहन व्यापार मंडल

बहुत ही शानदार बजट है। इससे आम जनता की उम्मीदें जुड़ी हैं। टैक्स स्लैब सही निर्धारित किया गया। इतने कम समय में सरकार ने अच्छी प्लानिंग की है। इसका व्यापारी स्वागत करते हैं।

प्रमिल केशरवानी, व्यापारी नेता

इससे जनता लाभान्वित होगी। सबसे बड़ी बात है कि व्यापार और उद्योग से जुड़े लोग कर के दायरे में ज्यादा से ज्यादा आयें। मुझे लगता है कि सरकार को इसमें बहुत हद तक कामयाबी मिलेगी।

किशन गुप्ता, व्यापारी कटरा