बिना रैंप के ऊंची इमारतें नहीं बनवा सकेंगे बिल्डर्स

विकलांगजन विकास विभाग के मुख्य आयुक्त ने किया खुलासा

ALLAHABAD: शहर की सरकारी और प्राइवेट बिल्डिंग्स में जाने के लिए अब दिव्यांगों को सोचना नहीं पड़ेगा। उनकी सुविधा के लिए यहां रैंप बनवाना बिल्डर्स की मजबूरी हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा हाल में लांच सुगम भारत योजना के तहत बिना रैंप कोई भी बिल्डिंग अब पास नहीं होगी। यह कहना था केंद्र सरकार के दिव्यांग जन विकास विभाग के मुख्य आयुक्त डॉ। कमलेश पांडेय का। शुक्रवार को उन्होंने सर्किट हाउस में मीडिया से बातचीत में दिव्यांगों से जुड़ी महत्वपूर्ण योजनाओं पर चर्चा की।

देशभर में चिंहित हुई इमारतें

इस योजना के तहत देशभर के पचास बड़े शहरों को चुना गया है। इनमें इलाहाबाद भी शामिल है। प्रत्येक शहर की सौ बड़ी इमारतों को रैंप बनवाने के लिए चुना जाएगा। इसके अलावा बिना रैंप के किसी भी बड़ी इमारत को बनवाने की परमीशन नहीं दी जाएगी। डॉ। पांडेय शहर में सक्षम संस्था द्वारा आयोजित सूरदास जयंती समारोह में शिरकत करने आए थे। इससे पहले उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि जल्द ही दिव्यांगों को स्वावलंबी बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कौशल विकास योजना चलाई जाएगी। इनमें पहले साल एक, दूसरे साल डेढ़ और तीसरे साल ढाई लाख दिव्यांगों को ट्रेंड करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बढ़ेंगे दिव्यांगता के प्रकार

अभी तक केवल सात प्रकार की शारीरिक कमियों को ही दिव्यांगता माना जाता था। केंद्र सरकार जल्द ही इनकी संख्या बढ़ाकर 19 करने जा रही है। इनमें से 18 प्रकार फाइनल हो चुके हैं एक अन्य दिव्यांगता के प्रकार को बिना संसद में बिल पास कराए कभी भी सूची में शामिल किया जा सकेगा। डॉ। पांडेय ने बताया कि अब थैलीसीमिया जैसी घातक बीमारियों से होने वाली शारीरिक व्याधियों को भी दिव्यांगता की श्रेणी में रखा जाएगा।

यूपी में बनेगी दिव्यांग मोबाइल कोर्ट

उन्होंने बताया कि जल्द ही यूपी के ग्रामीण इलाकों में दिव्यांगों के लिए मोबाइल कोर्ट बनाई जाएगी। जिनमें सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ नहीं मिलने पर दिव्यांग अपनी शिकायत दर्ज करा सकेंगे। इस कोर्ट में सक्षम अधिकारी को समस्या के निराकरण पर अपना स्पष्टीकरण देना होगा। उन्होंने बताया कि मप्र समेत दूसरे राज्यों में यह कोर्ट काम कर रही है। इसके अलावा दिव्यांगों को ईमेल के जरिए भी अपनी समस्याओं को राज्य और केंद्र सरकार तक पहुंचाने की सुविधा दी जाएगी।

घोटालेबाज एनजीओ की करें शिकायत

अगर आपके शहर में दिव्यांगों के लिए काम करने वाला कोई एनजीओ अनियमितता बरत रहा है तो इसकी शिकायत दिव्यांग जन विकास विभाग में की जा सकती है। डॉ। पांडेय ने बताया कि उनका विभाग केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजनाओं की मानीटरिंग करता है। सरकारी पैसे का दुरुपयोग करने वाले कई एनजीओ को ब्लैक लिस्टेड किया जा चुका है। देश में फिलहाल दस हजार एनजीओ दिव्यांगता के कल्याण के लिए कार्य कर रहे हैं। इनमें से कईयों पर सरकार की निगाहें टिकी हुई हैं।

पब्लिक बरते संवेदनशीलता

उन्होंने कहा कि समाज को दिव्यांगों के प्रति संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। उनके अधिकारों को समझना देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र आदि राज्यों में नेत्रदान के प्रति जागरुकता का बेहतर संचार हो रहा है, लोग आगे आ रहे हैं लेकिन यूपी जैसे राज्यों में अभी भी नेत्रदान को लेकर काफी गलतफहमी है। इस मौके पर जिला दिव्यांग कल्याण अधिकारी अनुपमा मौर्य, सीएमओ डॉ। पीएस चतुर्वेदी समेत अन्य अधिकारी व एनजीओ भी मौजूद रहे।

नेत्रदान से जुड़े फैक्ट्स

देश में कुल दृष्टिबाधितों की संख्या- 1.25 करोड़

नेत्रदान से ठीक होने वालों की संख्या- 30 लाख

अभी तक देश में हुए कुल नेत्रदान- 52 हजार

नेत्रदान से लाभांवित होने वालों की संख्या- आठ हजार