-होम आइसोलेशन में खुद का ख्याल रख रहे हैं मरीज

-दिन में दो बार डीएम ऑफिस से आती है कॉल

PRAYAGRAJ: हॉस्पिटल में रहने से कम मुश्किल नहीं है होम आइसोलेशन में रहना। कोरोना संक्रमितों को इस दौरान खुद का ख्याल रखना होता है। यहां उन्हें ऑक्सीजन देने के लिए डॉक्टर्स या नर्स मौजूद नहीं होतीं। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने जब बुधवार को होम आइसोलेशन पर रह रहे मरीजों का हालचाल लिया तो उन्होंने ऐसा ही बयां किया। उनका कहना था कि प्रशासनिक अमले का फोन आता है लेकिन डॉक्टर्स नहीं आते।

बैंक से आया था फोन

बैंक कर्मचारी मंजीत बेसिकली महाराष्ट्र के रहने वाले हैं और इस समय झूुंसी एरिया में रह रहे हैं। बताते हैं कि कुछ दिन पहले बैंक से फोन आया कि एक कर्मचारी के पॉजिटिव आने के बाद सभी की जांच हो रही है। आप भी करा लीजिए। जांच में उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। साथ में पत्नी भी पॉजिटिव पाई गई। वह बताते हैं कि सुबह-शाम डीएम कार्यालय से कॉल आती है। लेकिन डॉक्टर्स नही आते। जितना फोन पर बताया जाता है उससे अधिक केयर वह खुद से करते हैं। काढ़ा, गर्म पानी, गिलोय आदि का सेवन वह कर रहे हैं। पहले दिन डॉक्टर केवल होम आइसोलेशन की परमिशन देने आए थे।

कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद हो गया कोरोना

अशोक नगर के रहने वाले जतन कुमार के पिता कोरोना संक्रमित हैं। उन्हें होम आइसोलेशन में रखा गया है। जतन बताते हैं कि पिता कुछ दिन पहले सिविल लाइंस व्हीकल बनवाने गए थे। वहां पर उन्होंने कोल्ड ड्रिंक पी ली। वहां से आने के बाद उनको वीकनेस फील होने लगी। जांच कराने पर कोरोना की पुष्टि हो गई। वह कहते हैं कि पिताजी की तबियत अब स्थिर है। प्रशासनिक अमले से लगातार कॉल भी आ रही हैं। शासन से भी दो बार कॉल आया। फोन पर ही सॉल्यूशन उपलब्ध कराया जाता है। पहले दिन टीम आई थी और दवा देकर चली गई। इसके बाद से कोई नही आया।

महक नहीं आई तो करा ली जांच

नैनी के रहने वाले अमित की उम्र अभी 29 साल है। दस दिन पहले उनको ठंड लग गई और इसके बाद महक आना बंद हो गई। जांच कराई तो एंटीजेन किट ने पॉजिटिव बता दिया। वह कहते हैं कि चार दिन के भीतर उनको सिम्पटम्स से राहत मिल गई थी। कहते हैं कि कई बार अनावश्यक कॉल भी आती हैं जिनका कोई मतलब नही है। मरीज को खुद अपना ख्याल रखना होता है। तीन दिन खाने के लिए दवा दी जाती है। बाकी सामान का प्रबंध खुद करना होता है। जिनके घर में केयर टेकर हैं उनके लिए होम आइसोलेशन बेटर आप्शन है।

थैंक्स डीएम साहब, सस्ती हो गई किट

सिविल लाइंस के रहने वाले दिवाकर कहते हैं कि प्रशासन के बेहतर कदम से मरीजों का लाभ हुआ है। पूर्व में अनावश्यक रूप से आइसोलेशन किट का 3500 रुपए लिया जा रहा था लेकिन अखबारों की खबर को संज्ञान में लेकर प्रशासन इसके दाम दो हजार रुपए कर दिए। इससे हजारों मरीज को आर्थिक फायदा पहुंचा है। वह खुद आइसोलेशन में हैं और कहते हैं प्रशासनिक कंट्रोल रूम से कॉल आते हैं और मरीज का हालचाल लिया जाता है।