इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में महत्वपूर्ण फैसलों पर मुहर

ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में अब 62 वर्ष की उम्र के बाद कोई भी शिक्षक रिसर्च नहीं करवा सकेगा। शनिवार को इसपर हुई एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में मुहर लग गई। वहीं एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में इविवि से सम्बद्ध एक पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल को मंजूरी दी गई है कि वे रिटायरमेंट (65 वर्ष) के बाद भी प्रिंसिपल के पद पर पूरे पांच साल तक बने रहेंगे। इन्होंने मांग की थी कि उनकी नियुक्ति पांच साल के लिए हुई थी। ऐसे में उन्हें कार्यकाल पूरा करने दिया जाये। हालांकि, इनका रिटायरमेंट नवम्बर माह में हो रहा है।

चार की जगह चौदह फैकल्टी

वाइस चांसलर प्रो। आरएल हांगलू की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि एयू में मौजूद चार अलग अलग फैकेल्टी को तकरीबन 14 फैकल्टी में डिवाइड किया जाएगा। इससे पहले तक फैकल्टी की जगह विषयवार स्कूल स्थापित करने का प्लान था। वहीं यूजीसी के पोर्टल पर इविवि के ऐसे शोध छात्र जिन्हें डिग्री अवॉर्ड हो चुकी होगी, उनका पूरा डेटा ऑनलाइन लिंक किया जाएगा। तय किया गया है कि डिग्री कॉलेजेस में साइंस के अलग अलग विषयों में जहां पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं। वे कॉलेज साइंस के विषयों में रिसर्च करवा सकेंगे। पहले सोशल साइंस में रिसर्च को हरी झंडी देने का प्लान तय किया गया था।

शिक्षकों को मिलेगा कन्फर्मेशन लेटर

काउंसिल की मीटिंग में यह भी तय किया गया है कि ऐसे शिक्षक जिनके पास एप्वाइंटमेंट का कन्फर्मेशन लेटर अभी तक नहीं है। उन्हें कन्फर्मेशन लेटर दिया जायेगा। इसके अलावा शिक्षकों के एप्वाइंटमेंट, प्रमोशन समेत पूरा डेटा इविवि की वेबसाइट पर ऑनलाइन किया जायेगा। मीटिंग में विश्वविद्यालय में कन्वोकेशन करवाने का भी प्लान तय किया गया है। इसके लिये तैयारी को अमली जामा पहनाने के लिये कहा गया है। वहीं आगामी शिक्षक भर्ती के लिए एक्सपर्ट्स के पैनल को मंजूरी दी गई है।