-दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट के रियलिटी चेक के बाद खुली नींद

-रम्मन का पुरवा से स्मैक के साथ तीन को किया गिरफ्तार

PRAYAGRAJ: यह प्रयागराज की पुलिस है। जानती सब कुछ है, लेकिन जागती नहीं है। अखबार में खबरें छपने के बाद यह एक्शन मोड में आते हैं। कुछ ऐसा ही कारनामा इस बार धूमनगंज पुलिस ने किया है। असल में धूमनगंज थानाक्षेत्र में स्थित रम्मन का पुरवा पार्क में अरसे से नशे की मंडी सज रही है। लेकिन पूरे मामले से बेखबर धूमनगंज अखबार में खबर की भनक मिलते ही जादूगर की तरह जागती है। आनन-फानन में कार्रवाई करती है। नशेडि़यों को अरेस्ट करती है और 95 पुडि़या स्मैक भी बरामद कर लेती है।

मुखबिर न जांच सीधे गिरफ्तार

एरिया में स्मैक की बिक्री व इंजेक्शन से खुलेआम नशे का डोज लिए जाने की बात पुलिस को मालूम न हो यह कैसे संभव है? खैर, रात में एसएसपी तक बात पहुंची तो उनका पारा हाई हो गया। साहब नाराज हुए तो धूमनगंज पुलिस व नीवां चौकी इंचार्ज सहित महकमें की अन्य टीमें जादूगर बन गई। पुलिस द्वारा 95 ग्राम स्मैक के साथ तत्काल तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के वक्त एसओजी टीम के होने की बात भी बताई गई। पकड़े गए लोगों का ताड़बाग के राहुल पुत्र महेंद्र, राहुल पुत्र श्रीचंद्र व अंकुश कुमार का नाम बताया गया। बरामद स्मैक 95 पुडि़या में थी मतलब यह कि एक पुडि़या एक ग्राम की थी।

स्क्रिप्ट पर उठ रहे सवाल

-हालांकि आनन-फानन में की गई यह गिरफ्तारी नाराज एसएसपी को झांसा देकर खुश करने वाली मालूम होती है।

-यही वजह है कि स्मैक का असली सौदागर पुलिस के पहुंचने से पहले घर छोड़कर भाग हो गया।

-अब सवाल यह उठता है कि उस सौदागर को टीम के जाने की खबर किसने दी कि पहुंचने से पहले वह भाग निकला

-पुलिस द्वारा जिन तीन लोगों को पकड़ा गया उसमें राहुल नामक एक शख्स कपड़े का व्यापारी है।

-सवाल पूछने पर पुलिस के तर्क थे कि पकड़ा गया उसके मौसी का लड़का अंकुश उसी के घर से सप्लाई करता था।

-जबकि यह सभी जानते हैं कि नेहरू पार्क के आगे गली में रहने वाले एक शख्स के यहां से पुडि़या लाई जाती है।

-यह लोग अपने या किसी के घर से नहीं सीधे उसी के घर से लाकर कस्टमर को पार्क में देकर कमीशन कमाते थे।

-गिरफ्तारी की थाना पुलिस द्वारा गढ़ी गई जो स्क्रिप्ट एसएसपी को बताई गई, उसमें भी बड़े झोल सामने आ रहे हैं।

अपने ही तर्क में घिरी थाना पुलिस

धूमनगंज थाना पुलिस के तर्क हैं कि रम्मन का पुरवा में ऐसा हो रहा था, इस बात की खबर उन्हें नहीं थी। यदि यह तर्क सही हैं तो स्थिति और भी गंभीर है। मतलब यह कि थाना पुलिस को क्षेत्र में चल रहे अवैध धंधे की खबर ही नहीं रहती। ऐसे में सवाल उठता है कि फिर थाना पुलिस करती क्या है? जब उसे इस तरह के अवैध कार्यो की खबर नहीं तो वह बड़े अपराधियों के बारे में जानकारी क्या रखेगी।

हमें आए हुए अभी मुश्किल से डेढ़ माह हुए हैं। इंस्पेक्टर साहब बयान के लिए बाहर गए हैं। इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं थी। रात में साहब का फोन आने के बाद एसओजी के साथ दबिश दी गई। इसमें तीन लोग पकड़े गए। बल्क में सप्लाई करने वाला सचिव उर्फ बड़े पहुंचने से पहले भाग चुका था। तलाश हो रही है।

-राकेश कुमार जायसवाल, सेकंड अफसर धूमनगंज