ई-रिक्शा का रूट होगा फिक्स, निगरानी के लिए टीम भी होगी तैयार

डीजल से चलने वाली सिटी बसों को मिली छह महीने की मोहलत

शहर एरिया में डीजल से चलने वाले आटो और टैम्पो पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। शहर एरिया में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए यह फैसला लिये जाने के साथ तय किया गया है कि इनकी धर-पकड़ के लिए सघन अभियान चलाया जाएगा। डीजल से चलने वाली सिटी बसों को अभी छह महीने का मौका दिया जाएगा। इसे इलेक्ट्रिक से चलने वाली बसों की खेप पहुंचने के बाद शहर की सड़कों से हटाया जाएगा। ई-रिक्शा का संचालन संकरे रास्तों पर प्रतिबंधित किया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग के लिए कमेटी का गठन होगा जो चेक करेगी कि नियम के तहत इसका संचालन हो रहा है या नहीं।

तीन खेप में आएंगी 150 इलेक्ट्रिक बसें

बता दें कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए शहर में इलेक्ट्रिक सिटी बसें चलाने का निर्णय लिया जा चुका है। इसके लिए 150 बसों की डिमांड की गयी है। पहले खेप में 50 इलेक्ट्रिक बसें इसी महीने पहुंचने की संभावना जतायी जा रही है। सम्पूर्ण सप्लाई पहुंचने में टाइम लग सकता है। इसीलिए डीजल से चलने वाली सिटी बसों को शहर में छह महीने और चलने देने की परमिशन दे दी गयी है। यह फैसला मंगलवार को मंडलायुक्त कार्यालय में हुई बैठक में लिया गया। आयुक्त संजय गोयल ने कहा कि आरटीए की बैठक के निर्णयों का कड़ाई से अनुपालन होना चाहिए। उन्होंने परिवहन विभाग से इलेक्ट्रिक बसों की शासन से शीघ्र मांग करने के लिए कहा। प्रयागराज में तीन खेप में कुल 150 इलेक्ट्रिक बसें आनी हैं। पहली खेप में 50 बसें आएंगी। आयुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस पर सख्त रुख अपनाया जाए। बैठक में उप परिवहन आयुक्त परिक्षेत्र डा। विजय कुमार, आरटीओ (प्रशासन) राजेश मौर्य, आरटीओ (प्रवर्तन) आरके सिंह, रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक टीकेएस बिसेन आदि उपस्थित थे।

ई-रिक्शा के लिए बनी निगरानी समिति

संभागीय परिवहन प्राधिकरण की मिटिंग में ई-रिक्शा को निर्धारित मार्ग पर ही चलाने का फैसला लिया गया

तय किया गया कि सकरे मार्गो पर ई-रिक्शा का आवागमन प्रतिबंधित किया जाय

इसकी निगरानी के लिए कमेटी बनाने का फैसला लिया गया है

प्रतिबंध के बावजूद शहरी क्षेत्र में अब भी डीजल युक्त टेंपो और आटो चलने पर इसको गंभीरता से लिया गया।

मंडलायुक्त ने सघन अभियान चलाकर इसकी धरपकड़ के लिए निर्देश दिया। उन्होंने ओवरलोड वाहनों के परिचालन पर नाराजगी जताई।

दो साल में जमीन की तलाश अधूरी

स्मार्ट सिटी के रूप में तब्दील हो रहे प्रयागराज में जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए चार सेटेलाइट बस स्टेशन प्रस्तावित हैं। यह शहर में प्रवेश करने वाले चारों मार्गो पर बनाए जाने हैं। दो साल से सैटेलाइट बस स्टेशन के लिए जमीन तलाशी जा रही है। अब तक सफलता नहीं मिली। नगरी बस सेवा (शटल) के स्वरूप को बदलने और इसमें विस्तार के लिए यह कवायद चल रही है। अभी वाराणसी, जौनपुर, मीरजापुर, चित्रकूट, कानपुर, लखनऊ, सुल्तानपुर की तरफ से आने वाली रोडवेज की सभी बसें सिविल लाइंस और जीरो रोड बस अड्डे तक आती हैं। दिन में ट्रैफिक का दबाव अधिक होने से जाम लगता है। स्थाई समाधान के लिए चार सैटेलाइट बस स्टेशन बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था।

प्रस्तावित सेटेलाइट बस अड्डे

लखनऊ की तरफ से आने वाली बसों के लिए फाफामऊ में

कानपुर की बसों के लिए सुलेमसराय में

मीरजापुर-चित्रकूट-रीवा की बसों के लिए लेप्रौसी चौराहा के आसपास

वाराणसी-जौनपुर की तरफ की बसों के लिए झूंसी में

सैटेलाइट बस स्टेशन के लिए मुख्य मार्ग या उसके नजदीक जमीन की तलाश की जा रही है। इसको लेकर कई बैठकों में चर्चा भी हो चुकी है।

टीकेएस बिसेन

क्षेत्रीय प्रबंधक, प्रयागराज परिक्षेत्र