ट्रेन का टिकट कन्फर्म नहीं हुआ तो फ्लाइट से घर पहुंचा यूथ

<ट्रेन का टिकट कन्फर्म नहीं हुआ तो फ्लाइट से घर पहुंचा यूथ

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PRAYAGRAJ: पांच दिवसीय पर्व महोत्सव दिवाली केवल त्यौहार नहीं है। यह अपनों के साथ हेल्दी और मेमोरेबल टाइम स्पेंड करने का मौका देता है। दूरियां खत्म करके नई शुरुआत का मौका देता है। जॉब और कॅरियर के चक्कर में अपनो से दूर रहने पर मजबूर यूथ इसे अच्छी तरह से महसूस करता है। तभी तो वह पैसे की चिंता छोड़ फ्लाइट से दिवाली मनाने अपनो के बीच पहुंचा है। दिवाली पर घर आने वालों से दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने बातचीत की।

घर न आते तो कुछ मिस करते

सुलेसमराय निवासी हाईकोर्ट के एडवोकट केके अरोड़ा के बेटे राहुल अरोड़ा गुजरात में सैटल हो चुके हैं। जहां उनका अपना बिजनेस है। तमाम व्यस्तता के बाद भी राहुल दीपावली मनाने अपने घर आए हैं। दिवाली घर पर ही क्यों? के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारे हिंदू धर्म में फेस्टिवल की भरमार है। हर मौके पर प्रयागराज आना पॉसिबल नहीं है। लेकिन, दिवाली तो नहीं मिस की जा सकती। इसका आनंद तो बस अपनों के साथ ही है। इसलिए कुछ भी हो जाए, दीपावली तो मैं अपने घर पर ही सेलीब्रेट करता हूं। यहां आकर एनर्जेटिक फील कर रहा हूं।

छुट्टी हो गई अप्रूव तो झट से आ गए

मधुवन विहार कॉलोनी नीवा के रहने वाले सचिन सिंह आर्मी के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में हेड क्लर्क के पद पर तैनात हैं। इन दिनों चंडीगढ़ में उनकी पोस्टिंग है। जहां पर वे अपनी वाइफ पूनम सिंह और बेटी के साथ रहते हैं। नीवा स्थित कॉलोनी में उनके माता-पिता रहते हैं। काफी दिनों बाद पति-पत्‍‌नी दोनों फैमिली के साथ दीपावली सेलीब्रेट करने प्रयागराज आए हैं। सचिन सिंह की पत्नी पूनम सिंह ने कहा कि आर्मी की नौकरी में छुट्टी मिलना मुश्किल है। इस बार घर आने की इच्छा में अप्लीकेशन लगाया था। जैसे ही एप्रूवल आया, निकल लिए। बहुत अच्छा फील हो रहा है। घर से दूर होने पर पता चलता है कि हमारी जिंदगी में अपनों का कितना महत्व है।

दिवाली पर ही तो सारे फ्रेंड मिलते हैं

प्रीतमनगर कॉलोनी में रहने वाले शंभूनाथ तिवारी के पुत्र वैभव तिवारी गाजियाबाद में बैंक मैनेजर की पोस्ट पर हैं। दिवाली सेलीब्रेट करने वैभव अपने घर आए हैं। उन्होंने कहा कि यह ऐसा फेस्टिवल है, जब कॉलेज के दोस्तों से मिलने का मौका मिलता है। फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने का मौका मिलता है। कॅरियर के लिए करीब-करीब सभी फ्रेंड बाहर हैं। दीपावली पर सब घर जरूर आते हैं। बचपन की यादों को फिर से जीने का यह चांस कैसे मिस कर सकता हूं।