ALLAHABAD: भक्ति कविता और भक्ति आन्दोलन आज बेहद प्रासांगिक हैं। भक्ति साहित्य और आन्दोलन सृजनात्मकता का उत्सव है। वह भेदभाव के खिलाफ अभेद की दृष्टि देता है। उक्त विचार प्रो। गोपेश्वर सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की डिस्टिंग्विस्ड लेक्चर सीरीज के चौथे व्याख्यान में भक्ति आन्दोलन और समकालीन परिदृश्य पर बोलते हुए कही। यह व्याख्यान हिन्दी विभाग इलाहाबाद विश्वविद्यालय और विकास अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित था।

सुनंदा ने गायी ठुमरी व कजरी- फोटो

ALLAHABAD: इलाहाबाद विश्वविद्यालय के संगीत विभाग में केन्द्रीय सांस्कृतिक समिति के संयुक्त तत्वावधान में वर्षा मंगल कार्यक्रम का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में कुलपति प्रो। आरएल हांगलू और विशिष्ट अतिथि पूर्व कुलपति राजा मानसिंह तोमर विवि ग्वालियर प्रो। स्वतंत्र बाला शर्मा थी। कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायिका सुनंदा शर्मा ने ठुमरी, टप्पा, कजरी आदि का गायन किया।

अपने नहीं दूसरों के लिये करना है काम

आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाइयों के अन्तर्गत सद्भावना पखवाड़ा आयोजित किया जा रहा है। शुक्रवार को डॉ। नमिता यादव एसोसिएट प्रोफेसर संगीत विभाग राजर्षि टण्डन महिला महाविद्यालय का व्याख्यान हुआ। उन्होने बताया कि हमें अपने लिए नहीं दूसरे के लिए कार्य करना है। स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, मलिन बस्ती में जन सम्पर्क के माध्यम से समाज सेवा का कार्य किया जा सकता है।

राजगुरू के जीवन व विचारों पर चर्चा

नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन की ओर से क्रान्तिकारी शिवराम हरि राजगुरु के जन्मदिवस पर एक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस दौरान राजगुरु के जीवन और विचारों पर चर्चा की गयी। अमित ने कहा कि गोरखपुर से निकलने वाले स्वदेश साप्ताहिक पत्र के सम्पादक मुनीश्वर से मिलने के बाद राजगुरु क्रान्तिकारी दल के सदस्य बने। हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के सदस्य और शहीदे आजम भगत सिंह के साथ फांसी का फंदा चूमने वाले राजगुरु का जीवन आज के समय में हर नौजवान के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।