प्रयागराज (ब्‍यूरो)। फिलहाल कोरोना की जांच बाहर से आने वाले और अस्पताल में भर्ती मरीजों की कराई जा रही है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने पाया कि पिछले कुछ दिनों में जितने पाजिटिव मामले सामने आए हैं वह ट्रूनाट जांच में प्राइवेट अस्पतालों में पाए गए हैं। मेडिकल कॉलेज की आरटीपीसीआर जांच में एक भी पाजिटिव नही मिल रहा है। जिसको लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है। कमला नेहरू मेमोरियल अस्पताल, विनीता अस्पताल, प्राची अस्पताल, वात्सल्य अस्पताल, जीवन ज्योति अस्पताल और शकुंतला अस्पताल में ट्रूनॉट जांच से पाजिटिव केसेज चिन्हित हुए हैं। प्राइवेट अस्पतालों में गिनती की ट्रूनाट मशीन से कोरोना की जांच हो रही है एमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायलाजी लैब में रोजाना 7 से 8 हजार सैंपल लगाए जा रहे हैं। यह सैंपल मंडल के सभी जिलों के हैं। तब भी रोजाना बमुश्किल एक मरीज सामने आ रहा है। उसमें भी प्रयागराज का पाजिटिव तो लंबे समय से सामने नही आया है। इसको लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।

क्या कहते हैं एक्सपट्र्स

इस मामले में जानकारों का कहना है कि आरटीपीसीआर और ट्रूनाट जांच लगभग एक जैसी होती है। इनमें पाजिटिव केसेज की पहचान सीटी वैल्यू से की जाती है। अगर मरीज का सीटी वैल्यू कम है तो उसमें वायरल लोड अधिक होगा और सीटी वैल्यू अधिक है तो पाजिटिविटी का चांस कम रहता है। अक्सर देखा जाता है कि बार्डर लाइन पर जो सैंपल पाजिटिव आते हैं उनकी रिपीट जांच कराई जाती है। हो सकता है ट्रूनाट जांच में ऐसा नही हो। माइनर पाजिटिव मामलों को पाजिटिव डिक्लेयर किया जा रहा है। ऐसे में जो मरीज पाजिटिव पाए गए हैं उनकी सीटी वैल्यू भी चेक की जा सकती है।

12 दिन में दस मामले

वर्तमान में कोरोना पाजिटिव मामलों की संख्या काफी कम है। अक्टूबर के 12 दिन में 10 पाजिटिव सामने आए हैं। सभी को ट्रूनॉट मशीन ने पकड़ा है। जबकि जांच आरटीपीसीआर मशीन से भी लगातार की जा रही है। बता दें कि इस समय शहर में 22 अस्पतालों में ट्रूनाट जांच की जा रही है जबकि मेडिकल कॉलेज समेत तीन प्राइवेट लैब में आरटीपीसीआर जांच की जा रही है। वही सरकार ने आरटीपीसीआर जांच को कोरोना की सबसे विश्वसनीय जांच करार दिया है।

आरटीपीसीआर और ट्रूनाट दोनो जांच शहर में होती हैं। दोनों एक जैसी जांच हैं। हो सकता है कौन सी किट यूज हो रही है यह देखना होगा। किट की सेंसेटिविटी कितनी है। ऐसा तो नहीं कि बार्डर लाइन पाजिटिव की रिपीट जांच नही हो रही है। यह सब तो देखने के बाद ही असलियत पता चल सकेगी।

डॉ। मोनिका एचओडी, माइक्रोबायलाजी लैब एमएलएन मेडिकल कॉलेज प्रयागराज