विश्व थैलेसीमिया दिवस स्पेशल

मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना

थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों को बार-बार खून चढ़ाने की आवश्यकता

हर साल अनेक बच्चों की जान थैलेसीमिया बीमारी के चलते चली जाती है। इस बीमारी के वाहक इस रोग को और अधिक न फैला सके इसके लिए हमें हर तीसरे महीने अपने रक्त की जांच करवानी चाहिए। साथ ही अगर माता-पिता या इनमें से कोई एक थैलेसीमिया से पीडि़त है तो गर्भावस्था के शुरुवाती समय 3 माह से पूर्व व 4 माह के भीतर गर्भ में पल रहे बच्चे का थैलेसीमिया परिक्षण करना बहुत ही जरूरी है। कोरोना काल में लोगों का ब्लड डोनेशन न करना थैलीसीमिया पीडि़त बच्चों के लिए घातक हो सकता है।

क्या है थैलीसीमिया

1.थैलेसीमिया एक रक्त रोग है। यह माता-पिता से बच्चों में अनुवांशिक तौर पर हो सकता है।

2. शिशु को जन्म देने वाली मां के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर माइनर थैलेसीमिया के लक्षण दिखते हैं।

3. मां व पिता दोनों के शरीर में मौजूद क्रोमोसोम खराब होने पर मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है। थैलेसीमिया बीमारी के प्रति जागरूकता ही इसका सबसे असरदार बचाव है।

4. यदि शादी से पहले पति व पत्नी के रक्त की जांच करवाई जाये तो इस रोग की पहचान की जा सकती है और बीमारी से ग्रसित बच्चे के जन्म को रोका जा सकता है।

लक्षण

वजन न बढ़ना, हमेशा बीमार नजर आना, कमजोरी, नाखून और जीभ पीले पड़ना, जबड़े और गाल का असामान्य होना, कुपोषित लगना, चेहरा सूखा रहना, वजन का न बढ़ना, सांस लेने में तकलीफ होना, पीलिया होने का भम्र होना आदि।

खून नहीं मिला तो जाएगी जान

इस रोग में शरीर में रेड ब्लड सेल्स का निर्माण नहीं हो पाता है। जो थोड़े बन भी जाते हैं तो वह सिर्फ कुछ समय के लिए ही होते हैं। थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों को बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है । ऐसे में इस बीमारी में बच्चा अनीमिया का शिकार हो जाता है। बार-बार खून ना चढ़वाने से शिशु की मृत्यु हो जाती है।

बंद हो गया ब्लड डोनेशन

कोरोना काल में लोगों से ब्लड डोनेशन की मांग की जा रही है। इससे कई थैलेसीमिया पीडि़त बच्चों की जान बचाई जान बचाई जा सकती है। कॉल्विन हॉस्पिटल के ब्लड बैंक काउंसलर सुशील तिवारी ने बताया कि थैलेसीमिया से पीडि़त मरीजों को रक्त की आवश्यकता हमेशा पड़ती रहती हैं। उनके पास हर बार रक्तदाता होना संभव नहीं है। इसलिए रोग की गंभीरता को देखते हुए मरीज को बिना रक्तदाता के ही रक्त उपलब्ध करवाया जाता है। ऐसे में अगर आप स्वस्थ हैं व रक्तदान करना चाहें तो प्रति वर्ष कम से कम दो बार ऐच्छिक रक्त दान अवश्य करें। ताकि आपके दिए हुए इस अनमोल दान से किसी बच्चे के जीवन को बचाया जा सके।

कोरोना काल में ब्लड की कमी सभी जगह है। लोग ब्लड नहीं दे रहे हैं और इसकी वजह से थैलीसीमिया और अन्य मरीजों को दिक्कत हो रही है। उनको मौके पर ब्लड नहीं मिल पा रहा है जिससे उनके इलाज में दिक्कत आ रही है।

डॉ सुषमा श्रीवास्तव, सीएमएस, बेली हॉस्पिटल