चार हजार से अधिक संक्रमितों के इलाज में अहम भूमिका निभा चुकी हैं डॉ। नीलम

खुद भी हो चुकी थी संक्रमित, फिर भी नहीं हारी हिम्मत, आईसीयू में भर्ती मरीजों की देखभाल में बीत रहा है दिन

अपने कर्तव्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर हो चुकी हैं सम्मानित

कोरोना के इलाज में फिजीशियन और सर्जन के साथ एनेस्थीसिया के डॉक्टर्स ने भी अहम भूमिका निभाई है। इन्हीं में एक हैं डॉ नीलम। जो कि एसआरएन हॉस्पिटल के कोविड आईसीयू इंचार्ज, प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया क्रिटिकल केयर हैं। डॉ। नीलम ने अब तक चार हजार से ऊपर कोरोना संक्रमितों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। साथ ही करीब 160 कोरोना संक्रमित गर्भवती को एनेस्थीसिया देकर आपरेशन से सुरक्षित एवं सफल प्रसव कराया है। डॉ। नीलम बीते सितम्बर माह में स्वयं पॉजिटिव हो गई थी, पर ठीक होते ही खुद लोगों के उपचार में लग गई। उनकी इस कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें मिशन शक्ति के तहत प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है।

मानसिक रूप से सशक्त रहना जरूरी

डॉ। नीलम कहती हैं कि जिम्मेदारियां बड़ी है, 12 से 15 घंटे लगातार पीपीई किट पहनकर काम करना पड़ता है। मरीजों को परिवार से दूर होने के कारण निराशा न घेरे इसके लिए मानसिक तौर पर हमेशा उन्हें साहस दिया। कोविड वार्ड में मरीजों को दवा व उनके भोजन से लेकर ऑक्सीजन सेचुरेशन आदि सभी का ख्याल रखा जाता है।

बेड के साथ जिम्मेदारी भी बढ़ी

डॉ नीलम बताती हैं वर्तमान में एसआरएन के आईसीयू में बेड बढ़ा कर 314 कर दिए गए हैं इसलिए जिम्मेदारी भी बढ़ गई है। इसमें सहयोगी चिकित्सक पूरा सहयोग भी कर रहे हैं जिनमें डॉ। राजीव गौतम का अहम योगदान है। बताया कि संक्रमण के कारण कई बार सांस फूलने की स्थिति में मरीज अपने मुंह पर लगे मास्क हटा देते थे। ऐसे मरीजों को घंटों पकड़कर बैठना पड़ा है।

एनेस्थेटिस्ट को सबसे ज्यादा खतरा

वह कहती हैं कि एनेस्थैटिक मरीज के मुंह के सीधे संपर्क में रहता है। इसलिए इलाज के दौरान संक्रमण होने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। वेंटिलेटर पर भर्ती मरीज जिंदगी से जंग अकेले नहीं लड़ता बल्कि उसके साथ चिकित्सक भी लड़ता है।

संघर्ष के समय में पति ने निभाया पूरा साथ

डॉ। नीलम कहती हैं कि उनकी सफलता के पीछे उनके पति प्रोफेसर डॉ। डीसी लाल का साथ है। कोरोनाकाल में उन्होंने पूरी मदद की और हौसले को कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया। पति ने खुद घर का सारा काम किया। चौदह दिन की शिफ्ट के बाद जब मैं घर आती तो वह बेहद ख्याल रखते। उन्हें मेरे पेशे पर बहुत गर्व है।