डिजिटलाइज्ड सिस्टम ने खड़े किए कई सवाल, सालिड प्रिपरेशन की है जरुरत

एजेंसी को थमाई नोटिस, 24 घंटे का अल्टीमेटम

ALLAHABAD: सेंट्रल यूनिवर्सिटी इलाहाबाद की अंडर ग्रेजुएट प्रवेश परीक्षा के दौरान हुई बड़ी चूक ने टेक्नोलॉजी बेस सिस्टम की हवा निकाल दी है। इसने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि अगर टेक्नोलॉजी का उपयोग सही हाथों में न हो तो इसके परिणाम कितने घातक हो सकते हैं। बात चाहे हाईटेक परीक्षा की हो या फिर हाईटेक टेक्नोलॉजी की। पिछले कुछ समय के अन्तराल में कुछ ऐसे एग्जाम्पल सामने आए हैं। जिसने पूरे सिस्टम को हर वक्त एलर्ट रहने की हिदायद दे दी है।

एक चूक ने निकाल दी हवा

गौरतलब है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की अंडर ग्रेजुएट प्रवेश परीक्षा का आयोजन 25 एवं 26 मई को किया गया था। इस दौरान परीक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली एजेंसी की एक चूक ने हजारों परीक्षार्थियों को परेशान कर दिया। एजेंसी की ओर से हजारों परीक्षार्थियों को परीक्षा के एक दिन पहले परीक्षा केन्द्र बदल दिए जाने का मैसेज भेजा गया। जिससे पूरी परीक्षा के दौरान अफरातफरी का आलम रहा। यही नहीं तमाम ऐसे परीक्षार्थी भी रहे। जिनके ऑनलाइन एडमिट कार्ड पर गलत सूचना इंगित की गई थी। यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा में यह स्थिति ऐसे समय पेश आई। जब ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया की सफलता का दावा वाइस चांसलर प्रो। आरएल हांगलू शुरु से ही करते आ रहे थे।

रेलवे का पर्चा भी हुआ था लीक

इससे पहले रेलवे भर्ती के ऑनलाइन एग्जाम में भी पर्चा आउट होने का मामला प्रकाश में आ चुका है। रेलवे के अफसरों के लिए यह आश्चर्य की बात रही कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होने के बाद भी पर्चा कैसे लीक हो गया? खास बात यह है कि रेलवे और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं को कंडक्ट करवाने का ठेका एक ही एजेंसी को सुपुर्द किया गया है। यही नहीं हाईटेक कही जाने वाली पालिटेक्निक की वार्षिक परीक्षा भी इससे अछूती नहीं है। वेडनसडे को पालिटेक्निक की एप्लाईड मैथमेटिक्स का पर्चा गाजियाबाद से लीक हुआ। जिसके बाद पूरी परीक्षा को निरस्त करना पड़ा। अब यह परीक्षा दोबारा होगी।

प्राविद्यिक शिक्षा परिषद भी हलकान

इससे पहले 13 मई को भी पालिटेक्निक की एप्लाईड मैथमेटिक्स एवं फिजिक्स का पर्चा मथुरा से लीक हुआ था। यह परीक्षा प्राविद्यिक शिक्षा परिषद लखनऊ करवा रहा है। इस बावत छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह कहती हैं कि एयू एडमिनिस्ट्रेशन ने ऑनलाइन प्रॉसेस को एडाप्ट करने में जल्दबाजी की। इसको समझने के लिए पूरी टीम का प्रिपेयर होना जरुरी है। टीम में ऐसे लोगों की संख्या अधिक होनी चाहिए। जिन्हें ऑनलाइन सिस्टम की अच्छी नॉलेज हो। कामोवेश प्रवेश कार्य में शामिल अधिकांश शिक्षकों के साथ ऐसा नहीं है। यूनिवर्सिटी ने पूरी जिम्मेदारी एक एजेंसी के भरोसे छोड़ दी। जिसका दुष्परिणाम सामने आना ही था। उन्होंने कहा कि इससे पहले पिछले पांच सालों में ओएमआर बेस्ड एग्जाम भी शांतिपूर्ण ढंग से हुए। एजेंसी को भारी भरकम खर्च के साथ पूरी परीक्षा की जिम्मेदारी सौंपे जाने का क्या रिजल्ट है? इसका मूल्यांकन होना जरुरी है।