पूर्व चीफ जस्टिस सुप्रीमकोर्ट केजी बाला कृष्णन ने की संविधान पर चर्चा

अधिवक्ताओं से अपील, सस्ता व सुलभ न्याय के लिए आगे आएं

'हमारा संविधान और समाज' विषय पर आयोजित सेमिनार में रखी बात

ALLAHABAD: संविधान लागू होने के बाद भी समाज का विकास इसलिए नहीं हो पा रहा है, क्योंकि समाज संगठित नहीं है। सबसे पहले समाज को संगठित होना पड़ेगा, तब कहीं जाकर माहौल बदलेगा। इसके लिए सभी को आगे आना होगा। यह बातें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन ने मंगलवार को डॉ। भीमराव अंबेडकर वैचारिक अधिवक्ता मंच की ओर से एनसीजेडसीसी सभागार में आयोजित 'हमारा संविधान और समाज' विषय पर आयोजित सेमिनार में मुख्य वक्ता के रूप में कही।

अधिवक्ता करें पहल

उन्होंने कहा कि शीघ्र और सुलभ न्याय में देरी, न्याय न मिलने के समान है। इसलिए सभी अधिवक्ताओं और न्याय क्षेत्र से जुड़े लोगों का दायित्व बनता है कि वे आम जनता को सस्ता और सुलभ न्याय दिलाने के लिए काम करें। यही नहीं समूह और संगठन के माध्यम से कार्य करके सामाजिक परिवर्तन लाया जा सकता है। अधिवक्ताओं का दायित्व बनता है कि वे सामजिक दिशा में भी कार्य करें और लोगों को विधिक जानकारियों से अवगत कराएं।

सुधरे समाज की आर्थिक स्थिति

बालाकृष्णन ने कहा कि जब तक समाज की आर्थिक स्थिति में सुधार न हो जाय, तब तक सामाजिक न्याय परिलक्षित नहीं होगा। संविधान का पालन करवाना और उसकी जानकारी आम जनता तक पहुंचाना विशेष कार्य है। अध्यक्षता कर रहे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश सभाजीत यादव ने कहा कि संविधान का मूल उददेश्य सामाजिक गैर बराबरी को खत्म करना होता है। पूर्व सांसद लाल लाल मणि प्रसाद ने कहा कि बाबा साहब डॉ। भीमराव अंबेडकर का सपना तभी साकार होगा, जब संविधान शत प्रतिशत ढंग से लागू हो। इस दौरान पूर्व न्यायामूर्ति डीआर चौधरी, वरिष्ठ अधिवक्ता गुरुप्रसाद, वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम, विपिन बिहारी, अरविंद कुमार भारद्वाज परमेश्वर चौधरी, विभूति प्रसाद, राजेश कुमार, ओम प्रकाश, विनय पांडेय, ताराचंद्र कौशल, वीरेंद्र सिंह राजभर, अरुण कुमार, केके चौधरी, विजय कुमार, जसवंत सिंह आदि मौजूद रहे।