-इंडियन फोक आर्ट फेडरेशन की ओर से लोक कलाकारों की स्थिति को लेकर हुई चर्चा

-लोक कलाकारों की समस्याओं को लेकर वक्ताओं ने रखें अपने विचार

ALLAHABAD: हमारा देश लोक कलाओं से परिपूर्ण है लेकिन आज भी लोक कलाओं व कलाकारों को जो सम्मान और महत्व उन्हें मिलना चाहिए। वो आज भी नहीं मिल पाया है। इसी मुद्दे को लेकर रविवार को हिन्दुस्तानी एकेडमी में इंडियन फोक आर्ट फेडरेशन की ओर से कलाओं के संरक्षण और संवर्धन में राज्यों की भूमिका पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस दौरान चीफ गेस्ट जस्टिस रवीन्द्र सिंह ने कहा कि लोक कलाओं व कलाकारों की जरूरतों व महत्वपूर्ण भूमिका का उचित सम्मान तभी हो सकता है जब उनके लिए भी नीतिगत योजनाओं का उचित क्रियान्वयन हो। क्योंकि हमारी कलाओं का मूलाधार लोक कलाएं और लोक कलाकार ही हैं। राष्ट्रीय सेमिनार में अन्य वक्ताओं ने लोक कलाओं व कलाकारों की वास्तविक स्थिति पर अपने विचार रखे।

तय हों नीति नियम

लोक कलाओं व उनके कलाकारों की स्थितियों पर आयोजित सेमिनार के दौरान अध्यक्षता कर रहे भारतीय लोक कला महासंघ के अध्यक्ष व फेमस लोकनाट्यविद् अतुल यदुवंशी ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि लोक कलाओं के संरक्षण और संवर्धन में लोक कलाकारों की आजीविका व सम्मान के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा नीति नियम प्राथमिकता के आधार पर तय होने चाहिए। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि उपाध्यक्ष एडीए अजय कुमार सिंह ने कहा कि लोक कलाएं हमारी वृहद सांस्कृतिक विविधता का मौलिक प्रतीक है। लोक कलाएं राष्ट्र की सहज व सच्ची विरासत है। साथ ही शासन के नीति निर्धारण व क्रियान्वयन में लोक कलाओं की समुचित व सम्मानजनक भागीदारी की बात कही। इस दौरान अन्य कई वरिष्ठ रंगकर्मियों व लोक कला मर्मज्ञों ने अपने विचार रखे। आखिर में अतुल यदुवंशी ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। सेमिनार का संचालन डॉ। श्लेष गौतम ने किया।