प्रयागराज (ब्‍यूरो)। आधुनिक जीवन में रिकरेंट इंप्लाटेशन फेलियर यानी बार बार मिस कैरेज होना बढ़ती हुई समस्या है। इसका निदान आधुनिक चिकित्सा पद्धति द्वारा संभव है। यह बात इलाहाबाद मेडिकल एसोसिएशन के सभागार में चल रहे इलाहाबाद प्रसूति एवं स्त्री रोग सोसाइटी की वैज्ञानिक एफओजीएसआई (फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया) के संगम साइंटिफिक सम्मेलन के समापन अवसर पर रविवार को पदमश्री डॉ। ऊषा शर्मा ने कही। सोसायटी की उप महासचिव डॉ। सुवर्णा खाडिलकर ने मोटापे की ओर ले जाने वाले मेटाबॉलिक सिंड्रोम पर एक गहन चर्चा की, जो बदले में मधुमेह और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में योगदान देता है।

रोलर कोस्टर की सवारी से कम नही
अध्यक्ष डॉ। जयदीप टैंक ने बार-बार गर्भावस्था के नुकसान और विभिन्न हस्तक्षेपों पर चर्चा की.उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बार-बार गर्भधारण का नुकसान सिर्फ एक चिकित्सीय स्थिति नहीं है, बल्कि इससे गुजरने वाले जोड़ों के लिए एक भावनात्मक रोलर कोस्टर की सवारी है। सेमिनार में डॉ। रंजना खन्ना, डॉ। अमिता त्रिपाठी, डॉ। अमृता चौरसिया, डॉ। शुभा पांडे, डॉ। सबिता अग्रवाल, डॉ। मंजू वर्मा, डॉ। उमा जयसवाल, डॉ। चित्रा पांडे और अन्य सहित कोर टीम ने भूमिका निभाई। इन सभी ने अतिथियों का स्वागत विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रखी।

बिना जांच नही देनी चाहिए दवा
बैक्टीरियल वेजिनोसिस उन महिलाओं में पाया जाने वाला रोग है, जिनकी उम्र मां बनने लायक होती है। कम जागरुकता इसका कारण है। जो लोग बिना सोचे समझे दवा का सेवन करते हैं उनको अधिक खतरा होता है। डॉक्टरों को भी बिना सोचे समझे दवा नही देना चाहिए। क्योंकि इससे ड्रग रेजिस्टेंस खतरा बढ़ जाता है। बार-बार होने वाले इन्फेक्शन का इलाज लंबे समय तक चलता है। यह बात जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ के प्रो। सीमा हकीम ने कही। फाग्सी की प्रधान सचिव डॉ। माधुरी पटेल ने कहा कि ऑपरेशन से प्रसव के मामलों को रोकने के लिए हम काफी प्रयास कर रहे हैं। बावजूद इसके अगर यह जरूरी है तो किया जाता है। सर्जरी के दौरान कई बातों का ध्यान रखना चाहिए। जिससे जच्चा बच्चा के जीवन पर कोई प्रभाव न पड़े।