23
अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने जेल बदलने का दिया था आदेश
19
अप्रैल 2019 को देवरिया जेल से आया लाया गया था नैनी सेंट्रल जेल
28
दिसंबर 2018 में मोहित अग्रवाल ने कृष्णानगर थाने में लिखाया था अपहरण का केस
26
दिसंबर 2018 को अपहरण करके देवरिया जेल में पीटने का लगाया था आरोप
28
फरवरी 2006 में विधायक राजू पाल की हत्या के गवाह उमेश पाल के अपहरण का भी है आरोप
28
मार्च मार्च को गवाह उमेश पाल के अपहरण कांड में फैसला सुनाएगा कोर्ट

प्रयागराज ब्यूरो । कुख्यात माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद चार साल बाद आज अपने गृह जनपद की जमीं पर कदम रखेगा। उसे प्रयागराज लाने के लिए पुलिस की टीम गुजरात के अहमदाबाद स्थित साबरमती जेल पहुंच चुकी थी। रविवार को साबरमती जेल में कानूनी प्रक्रिया पूर्ण करते हुए दोपहर बाद टीम अतीक को लेकर रवाना हो चुकी है। सबकुछ ठीक रहा तो सोमवार को अतीक अहमद यहां पहुंच जाएगा। साबरमती जेल से लाए जा रहे अतीक अहमद को 28 मार्च की सुबह उमेश पाल अपहरण कांड में आने वाले फैसले के वक्त कोर्ट में पेश किया जाएगा। इस अपहरण कांड में उसका भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ सहित कुल 10 अभियुक्त हैं। अशरफ बरेली जेल में है। क्राइम एक्सपर्ट अधिवक्ताओं की मानें तो किसी भी केस में फैसले के वक्त आरोपितों का कोर्ट में होना जरूरी होता है। यह विधि प्रक्रिया का एक पार्ट है। ऐसे में संभव है कि बरेली जेल में बंद अशरफ व अन्य अभियुक्तों को भी फैसले वाले दिन कोर्ट में पेश किया जाए। हालांकि अशरफ को बरेली जेल से लाया जाएगा या नहीं, इस बात को लेकर देर शाम तक संशय बना रहा। खैर साबरमती जेल से ले आए जा रहे अतीक की सुरक्षा को लेकर कमिश्नरेट पुलिस अलर्ट मोड में है। उसे सुरक्षित लाने के लिए अधिकारियों के द्वारा रूट प्लान तैयार किया गया है। रास्ते भर सुरक्षा के लिहाज से पुलिस का कड़ा पहरा लगाया गया है। पुलिस विभाग के शीर्ष अफसर लखनऊ में बैठकर हर पल की अपडेट लेते रहे।

अपहरण में अतीक भी है आरोपित
वर्ष 25 जनवरी 2005 में तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज वारदात के बाद पूरा शहर आक्रोश के आगोश में झुलस उठा था। मारे गए विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल के बाद धूमनगंज में केस दर्ज कराया गया था। पुलिस को दी गई तहरीर में पूजा पाल द्वारा माफिया अतीक अहमद व उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ पर पति राजू पाल के कत्ल का आरोप लगाया था। आरोपितों इन दोनों माफियाओं के साथ उनके कई गुर्गों का नाम भी शामिल है। विधायक राजू पाल मर्डर केस का धूमनगंज सुलेमसराय जयंतीपुर निवासी उमेश पाल चश्मदीद मुख्य गवाह था। वर्ष 2006 में 28 फरवरी को उमेश पाल के द्वारा खुद के अपहरण का केस धूमनगंज थाने में दर्ज कराया गया था। दर्ज किए गए गवाह उमेश पाल अपहरण के मुकदमें में माफिया अतीक अहमद, दिनेश पासी, खान सौलत हनीफ, जावेद उर्फ बू, फरहान, आबिद, इशरार, आसिफ उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर व अतीक का भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अंसार बाबा नामद आरोपित थे। इन सभी पर उमेश पाल ने अपहरण करने व विधायक राजू पाल में जबरन बयान बदलवाने एवं हस्ताक्षर कराने का आरोप लगाया था। उमेश पाल के अपहरण का मामला कोर्ट में विचाराधीन था। एक आरोपित अंसार बाबा की मौत हो चुकी है। अब प्रकरण में कुल 10 अभियुक्त शेष हैं। मामले में बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 28 मार्च 2023 की डेट फैसला सुनाने के लिए नियत किया है। नियत डेट पर मंगलवार को उमेश पाल अपहरण कांड में फैसला आना है। केस से जुड़े अधिवक्ता कहते हैं कि फैसले वाले दिन 28 मार्च को कोर्ट में अभियुक्तों का उपस्थित रहना जरूरी है। इसलिए केस के आरोपित माफिया अतीक अहमद को अहमदाबाद के साबरमती जेल से प्रयागराज लाने के लिए पुलिस की टीम कोर्ट के आदेश पर भेजी गई थी। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उसे अहमदाबाद साबरमती जेल से लेकर पुलिस टीम प्रयागराज के लिए रवाना हो चुकी थी। अधिवक्ताओं का कहना है कि यदि पुलिस बरेली जेल से आरोपित अशरफ को नहीं ला पाई तो कोर्ट में उसे फैसले के वक्त वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश किया जा सकता है।


अतीत की मार से साबरमती जेल पहुंचा था अतीक
बसपा विधायक राजू पाल मर्डर केस के बाद गवाह उमेश पाल अपहरण मामले के बाद गिरफ्तार माफिया अतीक अहमद शासन के आदेश पर देवरिया जेल में शिफ्ट किया गया था।
जानकार बताते हैं कि देवरिया जेल में होते हुए वह अपने अपराध के साम्राज्य को संचालित करता रहा
वर्ष 2018 की बात है जब लखनऊ के जमीन कारोबारी मोहित अग्रवाल का अपहरण हुआ था।
मोहित अग्रवाल के द्वारा 28 दिसंबर 2018 को लखनऊ के कृष्णानगर थाने में अपहरण का मुकदमा दर्ज कराया गया था।
रियल स्टेट कारोबारी मोहित अग्रवाल के द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमें में माफिया अतीक अहमद व उसके बड़े बेटे उमर सहित अन्य गुर्गे आरोपित थे।
कारोबारी मोहित अग्रवाल ने पुलिस को बताया था कि 26 दिसंबर 2018 को अपहरण के बाद आरोपित उसे देवरिया जेल में बंद अतीक के पास ले गए।
जहां माफिया अतीक अहमद द्वारा उसकी पिटाई की गई थी। साथ ही व कंपनियों को अपने नाम करा लिया लिया।
इस देवरिया जेल कांड के बाद माफिया अतीक अहमद की बैरक नंबर सात में सुरक्षा बढ़ा बढ़ा दी गई थी।
इस आरोप के बाद तत्कालीन डीएम देवरिया अमित किशोर व एडीएम प्रशासन राकेश पटेल और एएसपी शिष्यपाल सिंह की टीम द्वारा प्रकरण की जांच की गई।
जांच में रियल स्टेट के कारोबारी द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों के आरोप साबित मिले थे। यह भी मालूम चला था कि अतीक देवरिया जेल में भी दरबार लगाया गया था।
उसके गुर्गे जेल में बेधड़क आया जाया करते थे। लगाए गए सीसीटीवी कैमरों को भी डिस्टर्ब कर दिया गया था।
इसी देवरिया जेल कांड के बाद माफिया अतीक अहमद को शासन के आदेश पर 19 अप्रैल 2019 को नैनी सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया गया था।
माफिया अतीक नैनी सेंट्रल जेल पहुंचा तो यहां मौजूद उसके गुर्गे एक्टिव हो गए। गुर्गे एक्टिव हुए तो यहां जेल प्रशासन की मुश्किलें बढऩे लगीं।
इस बीच मामले को संज्ञान लेते हुए सुप्रीम ने 23 अप्रैल को आदेश दिया कि अतीक को नैनी सेंट्रल जेल से अहमदाबाद स्थित साबरमती जेल में शिफ्ट किया जाय।
बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद उसे 03 जून 2019 की भोर नैनी सेंट्रल सेल से कड़ी सुरक्षा के बीच वाराणसी के बाबतपुर हवाई अड्डा ले जाया गया।
जहां जरिए हवाई जहान अतीक को ले जाकर गुजरात के अहमदाबाद स्थित साबरमती जेल शिफ्ट कर दिया गया था। तब से आज तक वह साबरमती जेल में ही अपने गुनाहों की सजा काट रहा था।


यूपी सरकार उठाती थी अतीक का खर्च
साबरमती जेल प्रशासन माफिया अतीक अहमद को सशर्त अपने यहां रखा था। शर्त थी कि यूपी सरकार उसका पूरा खर्च वहन करेगी। यही वजह थी कि जिस दिन टीम उसे लेकर साबरमती जेल पहुंची थी तीन लाख पहला ड्राफ्ट जेल अधीक्षक साबरमती को सौंपी थी। बताते हैं कि साबरमती जेल में माफिया अतीक के रहने व खाने से लेकर कपड़ा और दवा इलाज तक का खर्च उत्तर प्रदेश सरकार ही वजह करती है। गुजरात के अहमदाबाद जेल में होने के बावजूद अतीक पर सरकार लाखों रुपये खर्च कर रही है।


माफिया की सुरक्षा में चप्पे-चप्पे पर नजर
माफिया अतीक अहमद को साबरमती जेल से जाने के पूर्व जिले में पुलिस को अफसरों ने अलर्ट कर दिया है। पुलिस अफसर बताते हैं कि वहां जेल से बाहर आते ही जिले में पहुंचने तक अतीक की सुरक्षा में वर्दी और सिविल में भी पुलिस के जवान लगाए गए हैं। अतीक को लाने के लिए अलग-अलग दो रास्तों का प्लान बनाया गया है। बताते हैं कि इनमें एक रास्ता और मुख्य रास्ता राजस्थान से उदयपुर होते हुए बांदा चित्रकूट के रास्ते अतीक को लेकर टीम प्रयागराज तक पहुंचेगी। यदि किसी तरह की कोई अड़चन समझ आई तो सुरक्षा के लिहाज से गुप्त दूसरे रास्ते का इस्तेमाल किया जाएगा। अतीक को किस रास्ते से लाया जा रहा है यह बात बेहद गोपनीय रखा गया है। बताते हैं कि साबरमती जेल से अतीक को लेकर जैसे ही टीम निकली लखनऊ में बैठे पुलिस विभाग के शीर्ष अफसर हर पल की अपडेट लेते रहे। जिले में आने के बाद भी अतीक की सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।


एक पुराने अपहरण के मुकदमें में कोर्ट के द्वारा फैसले के लिए 28 मार्च की डेट तय है। कोर्ट के आदेश पर अभियुक्तों को विधिक प्रक्रिया के तहत पेश करके वापस जेल भेजा जाता है। इसी प्रकिया के तहत अभियुक्तों कोर्ट में नियत तिथि पर पेश किया जाना है। नियत तिथि पर पेश करने के लिए अतीक अहमद को लाने पुलिस टीम साबरमती जेल भेजी गई है।
रमित शर्मा, पुलिस कमिश्नर प्रयागराज