टीबी के क्रिटिकल पेशेंट्स को एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) श्रेणी में रखा जाता है। इनकी बॉडी में टीबी के बैक्टीरिया इतनी रजिस्टेंस पॉवर डेवलप कर लेते हैं कि उन पर दवाओं का असर नहीं होता है। ऐसे पेशेंट्स को आइडेंटिफाइड करने के लिए उनके कफ सैंपल की जांच की जाती है। अभी तक सैंपल की जांच में तीन महीने लग जाते थे और इस बीच पेशेंट की दवा बंद हो जाती है। ऐसी सिचुएशन में अक्सर पेशेंट्स की बिना इलाज मौत हो जाती थी। जीन एक्सपर्ट मशीन लगने के बाद महज दो घंटे में जांच रिपोर्ट दे देगी.
इंडिया में आठवां शहर है इलाहाबाद
जर्मनी मेड जीन एक्सपर्ट मशीन का टेक्निकल नेम सीबी नेट यानी कार्टेज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एंड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट है। इसे स्वीडिश संस्था फाइन के जरिए इंडिया में इंट्रोड्यूस किया जा रहा है। इसे सिटी का सौभाग्य ही कहेंगे कि मुंबई, दिल्ली, बंगलुरू, पुणे, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई के बाद इलाहाबाद में इसे इंस्टॉल किया जाएगा। यहां से सीबी नेट यूपी सहित एमपी, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ स्टेट्स के करोड़ों पेशेंट्स को सर्व करेगी। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से जबरदस्त दावेदारी पेश कर इस मशीन को गोरखपुर और वाराणसी से छीना गया है.
कैसे होगा टेस्ट
मशीन से एक टेस्ट करने के लिए चार काटेज यूज होंगी। इनमें से एक काटेज की कीमत ढाई हजार रुपए है। वहीं मशीन की कीमत 25 लाख रुपए से अधिक है। पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड मशीन के काटेज में सैंपल डाल दिया जाएगा। इसके बाद इसे 15 मिनट तक लगातार टेस्ट किया जाएगा। दो घंटे बाद मशीन खुद ब खुद रिपोर्ट दे देगी। इसे पीसीआर (पालीमरीज चेन रिएक्शन) टेस्ट बोलते हैं। ये रिपोर्ट दो तरह की होगी। पहली ये कि पेशेंट को प्राइमरी ड्रग रजिस्टेंस है कि नहीं। दूसरी रिपोर्ट ये कि पेशेंट के ऊपर कौन-कौन सी दवा कारगर साबित नहीं होगी.
6 हजार से अधिक है एमडीआर पेशेंट्स
सिटी में इस तकरीबन छह हजार से अधिक एमडीआर पेशेंट हैं। इनमें से सौ ऐसे हैं जिनका इलाज लगातार चल रहा है। वहीं बाकी को जांच की फैसिलिटी अवेलेबल नहीं होने से आईडेंटिफाइड करना मुश्किल हो रहा है। डिस्ट्रिक्ट ट्यूबरकुलोसिस ऑफिसर डॉ। ओपी शाही कहते हैं कि सिटी में सीबी नेट मशीन का लगना बहुत बड़ा एचीवमेंट है। इससे कई पेशेंट्स की जान आसानी से बचाई जा सकेगी। अभी तक सैंपल को केजीएमसी लखनऊ भेजा जाता था लेकिन अब सिटी में ही ये दुर्लभ जांच आसानी से हो सकेगी.
सांसों के लिए नहीं होगा तरसना टीबी के क्रिटिकल पेशेंट्स को एमडीआर (मल्टी ड्रग रजिस्टेंस) श्रेणी में रखा जाता है। इनकी बॉडी में टीबी के बैक्टीरिया इतनी रजिस्टेंस पॉवर डेवलप कर लेते हैं कि उन पर दवाओं का असर नहीं होता है। ऐसे पेशेंट्स को आइडेंटिफाइड करने के लिए उनके कफ सैंपल की जांच की जाती है। अभी तक सैंपल की जांच में तीन महीने लग जाते थे और इस बीच पेशेंट की दवा बंद हो जाती है। ऐसी सिचुएशन में अक्सर पेशेंट्स की बिना इलाज मौत हो जाती थी। जीन एक्सपर्ट मशीन लगने के बाद महज दो घंटे में जांच रिपोर्ट दे देगी.
इंडिया में आठवां शहर है इलाहाबाद जर्मनी मेड जीन एक्सपर्ट मशीन का टेक्निकल नेम सीबी नेट यानी कार्टेज बेस्ड न्यूक्लिक एसिड एंड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट है। इसे स्वीडिश संस्था फाइन के जरिए इंडिया में इंट्रोड्यूस किया जा रहा है। इसे सिटी का सौभाग्य ही कहेंगे कि मुंबई, दिल्ली, बंगलुरू, पुणे, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम और चेन्नई के बाद इलाहाबाद में इसे इंस्टॉल किया जाएगा। यहां से सीबी नेट यूपी सहित एमपी, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ स्टेट्स के करोड़ों पेशेंट्स को सर्व करेगी। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से जबरदस्त दावेदारी पेश कर इस मशीन को गोरखपुर और वाराणसी से छीना गया है.
कैसे होगा टेस्ट मशीन से एक टेस्ट करने के लिए चार काटेज यूज होंगी। इनमें से एक काटेज की कीमत ढाई हजार रुपए है। वहीं मशीन की कीमत 25 लाख रुपए से अधिक है। पूरी तरह से कम्प्यूटराइज्ड मशीन के काटेज में सैंपल डाल दिया जाएगा। इसके बाद इसे 15 मिनट तक लगातार टेस्ट किया जाएगा। दो घंटे बाद मशीन खुद ब खुद रिपोर्ट दे देगी। इसे पीसीआर (पालीमरीज चेन रिएक्शन) टेस्ट बोलते हैं। ये रिपोर्ट दो तरह की होगी। पहली ये कि पेशेंट को प्राइमरी ड्रग रजिस्टेंस है कि नहीं। दूसरी रिपोर्ट ये कि पेशेंट के ऊपर कौन-कौन सी दवा कारगर साबित नहीं होगी.
6 हजार से अधिक है एमडीआर पेशेंट्स सिटी में इस तकरीबन छह हजार से अधिक एमडीआर पेशेंट हैं। इनमें से सौ ऐसे हैं जिनका इलाज लगातार चल रहा है। वहीं बाकी को जांच की फैसिलिटी अवेलेबल नहीं होने से आईडेंटिफाइड करना मुश्किल हो रहा है। डिस्ट्रिक्ट ट्यूबरकुलोसिस ऑफिसर डॉ। ओपी शाही कहते हैं कि सिटी में सीबी नेट मशीन का लगना बहुत बड़ा एचीवमेंट है। इससे कई पेशेंट्स की जान आसानी से बचाई जा सकेगी। अभी तक सैंपल को केजीएमसी लखनऊ भेजा जाता था लेकिन अब सिटी में ही ये दुर्लभ जांच आसानी से हो सकेगी.
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