खुशरुबाग में ग्वावा फेस्टिवल में दिखीं कई प्रजातियां

अमरुद की बर्फी, जूस व केक की जबरदस्त रही मांग

ALLAHABAD: आपने इलाहाबादी अमरुद खूब खाया होगा। लेकिन यह नहीं पता होगा कि इलाहाबादी सफेदा, सुर्खा, कोहीर सफेदा व ललित संगम नाम से मशहूर अमरुदों की प्रजातियों से क्या-क्या डिश बन सकती है। इसका नजारा रविवार को खुशरुबाग में दिखाई दिया। यहां अमरूद से बने हलुआ, चीज केक, कोल्ड ड्रिंक ने शहरियों को न केवल दीवाना बनाया, बल्कि हर लजीज आइटम का स्वाद चखने के लिए लोगों ने अपनी जेब भी ढीली की। खासतौर से 500 रुपए प्रति किग्रा के ग्वावा हलुआ का लुत्फ युवाओं और छोटे बच्चों ने उठाया।

दिखे हलुआ के कद्रदान

ग्वावा हलुआ के कादिर स्वीट हाउस के कारीगर अहमद ने बताया कि एक बड़े परात में दस किग्रा हलुआ रखा गया है। एक परात हलुआ बनाने में चार घंटे का समय लगा। इसे एक किग्रा देशी घी, 20 किग्रा इलाहाबादी सुर्खा, दो किग्रा पनीर, 20 किग्रा चीनी के मिश्रण से तैयार किया गया।

फेस्टिवल में किस कीमत में क्या

ग्वावा हलुआ, 500 रुपए प्रति किग्रा

ग्वावा बर्फी, पांच रुपए पीस

ग्वावा कोल्ड ड्रिंक, एक गिलास 50 रुपए

ग्वावा चीज केक, 50 रुपए पीस

जस्टिस उपाध्याय ने किया उद्घाटन

जिला प्रशासन, पर्यटन विभाग और सामाजिक व साहित्यिक संस्था संचारी के संयुक्त तत्वावधान में ग्वावा फेस्टिवल का आयोजन किया गया। हाईकोर्ट के जस्टिस अभिनव उपाध्याय व जिलाधिकारी संजय कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर फेस्टिवल का शुभारंभ किया। इस मौके पर सीडीओ आंद्रे वामसी, एडीएम सिटी पुनीत कुमार शुक्ला, हार्टीकल्चर ऑफिसर बीपी राम आदि मौजूद रहे।

डोसा का भी लगा था स्टाल

ग्वावा फेस्टिवल में इलाहाबादी अमरुदों के अलावा भी बहुत कुछ था। रैपिड एक्शन फोर्स की महिला विंग ने लजीज डोसा का स्टॉल लगाया तो महिलाओं और लड़कियों की भीड़ स्टॉल पर अधिक दिखाई दी। राजकीय उद्यान खुशरुबाग की ओर से लखनऊ 49, पीपा शेप्ड, ललित संगम, सुर्खा, एपिल कलर व स्वेता सहित एक दर्जन से अधिक अमरुदों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के छात्र-छात्राओं द्वारा बनाई गई बर्फी, टिक्की व चटनी लोगों को आकर्षित करती रही।