प्रयागराज (ब्‍यूरो)। 12 दिवसीय राष्ट्रीय शिल्प मेले की यात्रा ने अमिट यादों के साथ चर्चित गजल गायक कुमार सत्यम की लाइव परफार्मेंस के साथ विराम लिया। शिल्प मेले में इस साल भीड़ ने नया कीर्तिमान स्थापित किया। राष्ट्रीय शिल्प मेला संगीत प्रेमियों और शिल्पकारों के लिए बेहद खास रहा। आखिरी दिन भी मेला अपने पूरे शबाब पर रहा। स्टालों पर चंदेरी, सिल्क व सूती वस्त्रों तथा राजस्थान के आभूषण, कालीन, टेरीकोटा, मिट्टी के बरतनों और कश्मीर के ड्राई फ्र टस जैसे उत्पादों के साथ सांस्कृतिक संध्या ने एक लघु भारत का दर्शन प्रयागवासियों सहित दूर-दराज के लोगों का करा गया।

पब्लिक भी आडियंस के साथ थिरकी
प्रत्येक दिन सांस्कृतिक संध्या के दौरान दर्शक भी कलाकारों के साथ खुद को थिरकने से नहीं रोक पाए। वहीं स्टार नाइट में गजल गायक कुमार सत्यम ने कार्यक्रम की शुरुआत चल मेरे साथ ही चल ऐ मेरी जाने गजल से किया तथा पत्थर उतर गये पानी में छू कर जिसका नाम, वह है पालनहारे राम गाकर लोगों को श्रीराम के अद्भभुत चरित्र से रूबरू कराया। इसके बाद सुरों से महफिल को सजाया। जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना, हमरी अटरिया पे आ जा रे सांवरियां, हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह और श्रोताओं की फरमाइश पर एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को खूब झुमाया।

लोकनृत्यों ने किया मंत्रमुग्ध
सांस्कृतिक संध्या की आखिरी शाम लोकनृत्यों से होती है जिसमें ऊषा श्रीवास्तव तथा साथी कलाकारों ने होली नृत्य की प्रस्तुति पेश कर दर्शकों से वाहवाही पायी। इसके बाद छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने राउत नाचा व सुआ कर्मा नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। फाग और घूमर नृत्य की प्रस्तुति कामिल एवं दल ने दी। बिहू लोकनृत्य की प्रस्तुति बापू जी कोंवर और साथी कलाकारों ने प्रस्तुत कर खूब वाहवाही पायी। झारखंड के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत छाउ व पुरूलिया नृत्य दर्शकों को खूब पसंद आया। केंद्र निदेशक प्रो। सुरेश शर्मा ने कलाकारों को पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। मेले के समापन पर केंद्र निदेशक ने कहा कि संगीत का कोई सीमित दायरा नहीं होता है। इसका रिश्ता आत्मा से होता है। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र हर साल राष्ट्रीय शिल्प मेले का आयोजन करता रहा है, जिसके तहत देश के विभिन्न सांस्कृतियों और संगीत से लोगों को परिचित होने का मौका मिलता है।