कोर्ट ने कहा चयन के बाद मांगी जाय अनापत्ति, काउंसिलिंग में न रोकने का निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 16448 शिक्षकों की भर्ती में समायोजित सहायक अध्यापकों को अनापत्ति प्रमाणपत्र के बिना भी काउसिंलिंग में शामिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है चयनित होने के बाद विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र दाखिल करने की समायावधि नियत की जाय। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद से चार हफ्ते में जवाब मांगा है और याचिका की अगली सुनवाई की तिथि 17 अक्टूबर नियत की है।

शिक्षा मित्रों की याचिका

यह आदेश जस्टिस मनोज मिश्र ने संदीप कुमार चौरसिया व छह अन्य शिक्षा मित्र से सहायक अध्यापक बने याचियों की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अनिल सिंह बिसेन व अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी ने बहस की। उनका कहना है कि शिक्षा मित्रों को सहायक अध्यापक बनाने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इन्होंने दूरस्थ शिक्षा के तहत बीटीसी प्रशिक्षण प्राप्त किया है। सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद ने 16 जून 16 को 16448 सहायक अध्यापकों की भर्ती का विज्ञापन निकाला है। यह भर्ती प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में की जा रही है। याचीगण ने भी आवेदन दिया है किन्तु परिषद के सचिव ने 16 अगस्त 16 को परिपत्र जारी कर काउसिंलिंग में अन्य जगहों पर कार्यरत अभ्यर्थियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र पेश करने पर ही भाग लेने की अनुमति देने का आदेश दिया है।

ताकि नियुक्ति में रहे पारदर्शिता

परिषद के अधिवक्ता एके यादव का कहना है कि एक व्यक्ति दो स्थानों पर नियुक्ति न पा जाय इसलिए यह आदेश हुआ है। कोर्ट ने इसे प्रथमदृष्टया गलत माना और कहा कि ऐसा आदेश तर्कसंगत नहीं है। स्पष्ट किया है कि काउसिंलिंग में शामिल होने के लिए अनापत्ति की अनिवार्यता नहीं होगी। चयन के बाद अनापत्ति की मांग की जा सकती है।