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-नैनी जेल में भी एचआईवी मरीजों की संख्या में इजाफा

कहां कितने मिले मरीज

हरकपुर- 02

फूलपुर- 12

कोरांव- 13

चाका- 13

हंडिया- 21

जसरा- 08

करछना- 11

कौडि़हार- 13

कौंधियारा- 03

मांडा- 02

मेजा- 04

प्रतापपुर-06

रामनगर- 07

शंकरगढ़- 11

सोरांव- 14

डफरिन हॉस्पिटल- 15

केएमएनएच- 24

नैनी जेल- 34

मेडिकल कॉलेज- 460

मेडिकल कॉलेज (पीपीटीसीटी)- 78

काल्विन हॉस्पिटल- 31

जीटीबी हॉस्पिटल- 83

बेली हॉस्पिटल- 43

कुल मरीज- 908

PRAYAGRAJ: प्रयागराज में एचआईवी मरीजों की संख्या कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा है। ताजा आंकड़ों में पिछले एक साल में प्रतिदिन एचआईवी के ढाई मरीज ट्रेस हुए। यह संख्या यूपी के हाई रिस्क एचआईवी वाले जिलों से कम नहीं है। हैरानी की बात यह है कि दो साल के भीतर नैनी जेल में भी एचआईवी मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

प्रतिदिन ढाई मरीज आए सामने

फाइनेंशियल ईयर 2017-18 में जिले में एचआईवी मरीजों की संख्या 932 थी जो 2018-19 में घटकर 908 हो गई। सालभर जागरुकता अभियान चलाने और करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद महज 24 मरीज ही कम हो सके। हालिया वित्तीय वर्ष की बात करें तो प्रतिदिन ढाई मरीज सामने आए हैं। यह संख्या कहीं से भी कम नहीं कही जा सकती है

हंडिया नंबर वन

इस वित्तीय वर्ष में एचआईवी मरीजों की संख्या में हंडिया फिलहाल नंबर वन बना हुआ है। यहां सालभर में सर्वाधिक 21 मरीज पाए गए हैं जो पिछले साल की तुलना में एक कम है। जबकि डफरिन हॉस्पिटल में पिछले साल के मुकाबले इस बार दोगुने से अधिक नए मरीज मिले हैं। पिछले साल यहां 6 एचआईवी मरीज ट्रेस हुए थे। इस बार यह संख्या बढ़कर 15 हो गई है। इसी तरह नैनी जेल में 34 नए एचआईवी पेशेंट्स ट्रेस हुए हैं। पिछले साल यह संख्या 29 थी।

बाहर से आ रहे हैं मरीज

स्वास्थ्य विभाग भी मानता है कि प्रयागराज में एचआईवी पेशेंट्स की संख्या अन्य जिलों से कहीं ज्यादा है। इसके पीछे उनके अपने तर्क भी हैं। अधिकारियों का कहना है कि अलग-अलग बड़े आयोजनों के चलते प्रयागराज देश और दुनिया के नक्शे में ऊपर आ गया है। इसलिए यहां बाहर से आने वालों की संख्या भी बढ़ी है। जिले में इंडस्ट्री नहीं होने से भी लोग बाहर कमाने जाते हैं और गलत संगत में पड़कर एचआईवी की चपेट में आ जाते हैं

प्रयागराज में एचआईवी के मरीजों की संख्या अधिक होने का कारण बाहर से आने वालों की संख्या है। कई मरीज आसपास के जिलों के भी होते हैं। हमारी ओर से संख्या को काबू में करने के लिए जागरुकता कार्यक्रमों को बढ़ाया जा रहा है।

-रोहित पांडेय,

डीपीएम