प्रयागराज ब्यूरो । प्रयागराज- अब व्यापारियों के भुगतान को लंबे समय तक रोकना भारी पड़ सकता है। खासकर एसएमई यानी स्माल एंड माइक्रो इंटरप्राइजेज फर्मों का पेमेंट। इसके लिए इनकम टैक्स की नई धारा 43 बी में प्रावधान कर दिया गया है। इसके तहत समय रहते भुगतान नही करने पर यह राशि संबंधित क्रेता की आय में दिखाई देगी। जिसका टैक्स उसे भरना होगा। इस नियम से बड़ी संख्या में व्यापारियों को लाभ प्राप्त होगा। मार्केट एक्सपट्र्स की माने तो कई ट्रेड ऐसे हैं जिनमें बिना किसी नियम कई महीने तक विक्रेता का भुगतान रोक लिया जाता है। इससे उसको काफी नुकसान का सामना भी करना पड़ता है।

क्या है प्रावधान?

इनकम टैक्स की नई धारा 43बी के तहत अगर विक्रेता और क्रेता के बीच कोई एग्रीमेंट है तो 45 दिन में और एग्रीमेंट नही है तो 15 दिन में भुगतान करना जरूरी होगा। यदि क्रेता ऐसा नही करता है तो बकाया राशि उसकी इनकम में जुड़ जाएगी। जिसका टैक्स उसे देना होगा। इसकी छूट उस वर्ष में मिलेगी जबकि ंक्रेता उसका भुगतान कर देगा। इस नियम के बनने से उन लोगों में खलबली है जो व्यापारी का पेमेंट करने में लंबा समय लेते हैं और इससे व्यापारी के टर्नओवर का नुकसान होता है।

ऐसे व्यापार में देर से होता है पेमेंट

आमतौर पर कपडे और आटो पाट्र्स के बिजनेस में व्यापारी को पेमेंट लंबे समय बाद मिलता है। कई बार बिना किसी एग्रीमेंट के म्युचुअल अंडर स्टैंडिंग के तहत पेमेंट लंबे समय तक रोक दिया जाता है। ऐसा इसलिए कि कई व्यापार में माल आफ सीजन में खरीदा जाता है जिससे उसकी वैल्यू कम होती है और वह आसानी से मिल जाता है। बावजूद इसके पेमेंट रोककर विक्रेता का अधिक नुकसान कर दिया जाता है। हालांकि इस नियम में भुगतान 31 मार्च 2024 के पहले करना होगा। अगर सप्लाई और पेमेंट के बीच 15 से 45 दिन का समय पूरा हो गया है तो यह नियम लागू हो जाएगा।

यह काफी संवेदनशील प्रावधान है। इसको लेकर क्रेता व्यापारियों को सतर्क हो जाना चाहिए। अगर जरा भी चूक हुई तो अनावश्यक भारी भरकम टैक्स चुकाना पड़ सकता है। इससे छोटे व्यापारियों को व्यापार में सहूलियत होगी। उनकी इनकम भी बढ़ेगी।

महेंद्र गोयल, प्रदेश अध्यक्ष, कनफेडरेशन का ऑल इंडिया ट्रेडर्स