पाल राजवंश के काल में बनवाई गई थी प्रतिमा

BAHARIA (JNN):

बहरिया थाना क्षेत्र के अभईपुर गांव में बरामद भगवान विष्णु की मूर्ति अनमोल है। इसके नौवीं सदी में निर्मित होने का अनुमान है। पाल राजवंश ने ब्लैक स्टोन से इस तरह की मूर्तियां बनवा कर उन्हें बिहार पश्चिम बंगाल में स्थापित करवाया था। बहरिया में बरामद मूर्ति की कीमत की थाह लगाना आसान नहीं है। जानकारों के मुताबिक पुरातात्विक महत्व की इस मूर्ति के लिए विदेशी कद्रदान मोटी रकम देने से पीछे नहीं रहते।

दबिश देकर बरामद की थी मूर्ति

पुलिस ने अभईपुर गांव में सोमवार की रात संतलाल के घर में दबिश देकर भूसे में बोरे में छिपाकर रखी गई भगवान विष्णु की प्राचीन मूर्ति बरामद की थी। मूर्ति को बिहार के गया जिले के डोभी से यहां लाया गया था। स्थानीय पुलिस इसे देखते ही समझ गई थी कि यह बेशकीमती है। पुलिस ने मूर्ति की पुरातत्व विभाग से जांच कराने का निर्णय लिया था। फिलहाल, यह पुरातत्व विभाग को नहीं सौंपी गई है। अगले एक दो दिन में इसे पुरातत्व विभाग अथवा इलाहाबाद संग्रहालय के सुपुर्द किया जा सकता है।

फोटो देखकर बताया दुर्लभ प्रतिमा

इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित ने बुधवार को मूर्ति की फोटो देखते ही कह दिया कि यह अतिप्राचीन और दुर्लभ है। उन्होंने बताया कि नौवीं सदी में पाल राजवंश में ब्लैक स्टोन से भगवान विष्णु की मूर्तियां बनवाई गईं थीं। डा। पुरोहित ने इस मूर्ति को देश के लिए महत्वपूर्ण पुरातात्विक धरोहर बताया। उन्होंने कहा कि शंख पुरुष, चक्र पुरुष और चर्तुभुज तथा वनमाला मूर्ति की पहचान है। निदेशक व संग्रहालय के अन्य कर्मचारियों का मानना है कि इस मूर्ति की कीमत बाजार में अनमोल है। तस्करी करने वाले इसको किसी भी कीमत पर बेच सकते हैं। भारत में ही इसके लिए करोड़ों रुपए मिल सकते थे।

कड़े पहरे में रखी है मूर्ति

बहरिया थाना के मालखाने में रखी बेशकीमती मूर्ति कड़े पहरे में हैं। पुलिस का दावा है कि मूर्ति तस्करी के आरोप में पकड़े गए बहरिया थाना क्षेत्र के अभईपुर निवासी कन्हैयालाल, शैलेंद्र कुमार और मऊआइमा के घूरीपुर के सुरेश कुमार से अहम जानकारियां मिली हैं। बुधवार को सभी का चालान कर दिया गया। सुरेश दिल्ली में सक्रिय अंतरराष्ट्रीय तस्करों के गिरोह से जुड़ा बताया जा रहा है।