-एसपी सीबीआई से शिकायत, पद थे तीन भर्ती कर लिया 12

ALLAHABAD: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा 27 अप्रैल को जारी कुलसचिव भर्ती परीक्षा परिणाम पर गंभीर सवालिया निशान लगे हैं। यह भर्ती उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश राज्य विवि (केन्द्रीयित) सेवा के अन्तर्गत की गयी है। 28 बी बैरहना निवासी सुजीत कुमार ने सचिव लोक सेवा आयोग को दिए गए शिकायती पत्र में कहा है कि यूपी राज्य विवि अधिनियम 1973 एवं शासन द्वारा समय समय पर निर्गत शासनादेश के अवलोकन से स्पष्ट है कि आयोग द्वारा कुलसचिव का विज्ञापन ही गलत निकाला गया।

पूर्व में सात की हो चुकी है भर्ती

सुजीत कुमार के मुताबिक कुलसचिव के कुल पदों की संख्या 15 विश्वविद्यालयों में मात्र 15 है। इसमें 67 फीसदी की भर्ती आयोग द्वारा की जा सकती है। इस तरह से मात्र 10 पद ही सीधी भर्ती के उपलब्ध हैं। जबकि पूर्व में दो बार में 07 पदों की भर्ती की जा चुकी है। ऐसे में आयोग ने तीन पदों पर भर्ती की जगह 12 पदों पर भर्ती कर ली है। उन्होंने मांग की है कि तत्काल भर्ती को निरस्त किया जाए और शासन से दोबारा अधियाचन की मांग की जाये। अन्यथा की स्थिति में वे कोर्ट का सहारा लेंगे।

33 फीसदी प्रोन्नति के हैं पद

सुजीत कुमार के द्वारा एक शिकायती पत्र आयोग की जांच कर रहे एसपी सीबीआई कैम्प कार्यालय गोविन्दपुर को भी दिया गया है। सीबीआई को सौंपे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि पूर्व सरकार एवं उनके चहेतों का खेल जारी है। सीबीआई से कहा है कि 15 पद में 33 फीसदी पद (05) प्रोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। इसके साथ ही उन्होंने पूर्व में भर्ती किए गए कुल आठ कुलसचिव के नाम और विवि के नाम समेत ब्यौरा भी सीबीआई को सौंपा है। इसमें से एक अभ्यर्थी अक्टूबर 2014 में सेवानिवृत्त हो गये। सुजीत का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है कि 10 वर्षो हेतु साजिश के तहत अग्रिम चयन कर लिया गया है। जिन्हें परीक्षा नियंत्रक के पदों पर समायोजित किया जाने का प्लान है। जबकि विवि अधिनियम और केन्द्रीयित सेवा नियमावली 1975 के आधीन परीक्षा नियंत्रक का पद आता ही नहीं है।

महामहिम से भी हुई शिकायत

उधर, एक अन्य अभ्यर्थी शिवनारायण त्रिपाठी निवासी डीएम कालोनी सिविल लाइन बांदा ने महामहिम राज्यपाल को शिकायत भेजी है। जिसमें उन्होंने कहा है कि उन्होंने राज्य विवि में कुलसचिव के लिए आवेदन किया। जिसका रजिस्ट्रेशन नम्बर 52720018726 था। लेकिन उनका आवेदन अनुभव प्रमाण पत्र न लगा होने के कारण निरस्त कर दिया गया। जबकि उन्होंने अनुभव प्रमाण पत्र लगाया था। शिवनारायण का कहना है कि 12 पदों के लिए उनका साक्षात्कार औपबंधिक रुप से कराकर अनुभव प्रमाण पत्र मांगा जा सकता था। लेकिन उनके साथ जानबूझकर न्याय न करके अपने चहेतों का चयन कर लिया गया। उन्होंने राज्यपाल से अपने स्तर पर जांच करवाकर पुन: साक्षात्कार की मांग की है।

वर्जन

शासन ने हमें जो अधियाचन दिया। उसके मुताबिक हमने भर्ती की। हमें भी शिकायत प्राप्त हुयी है। इसका परीक्षण किया जायेगा और जो भी नियमानुसार कार्रवाई होगी की जायेगी।

जगदीश, सचिव लोक सेवा आयोग