रंग लायी डिप्टी सीएम की पहल, नहीं आएगा जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

13 को एडीजे की निगरानी में पुनर्मतदान के लिए बैठक की पूरी होगी फॉर्मेलिटी

डिप्टी सीएम केशन मौर्या की कोशिश ने रंग दिखा दिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष रेखा सिंह के सिंहासन को अब कोई खतरा नहीं होगा। वह जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर काबिज रहेंगी। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया 13 अगस्त को पूरी होगी लेकिन सिर्फ फॉर्मेलिटी के लिए। मंगलवार को दोनों पक्षों में समझौते के बाद यह स्थिति स्पष्ट हो गयी। मंगलवार को समझौते की विधिवत घोषणा की गई।

सांसद भी रहीं मौजूद

इलाहाबाद की सांसद डा। रीता बहुगुणा जोशी की उपस्थिति में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के सहयोग का भरोसा दिलाया और अविश्वास प्रस्ताव न लाने पर सहमति जताई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 13 अगस्त को अपर जनपद न्यायाधीश बद्री विशाल पांडेय की निगरानी में पुनर्मतदान के लिए जिला पंचायत सभागार में बैठक होगी, पर इसमें सदस्य नहीं आएंगे। यदि आते भी हैं तो अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जाएगा।

जानें कुर्सी की कहानी

जनवरी 2016 में हुए जिला पंचायत चुनाव में रेखा सिंह अध्यक्ष बनी थीं।

तब वह सपा में थीं, उनके खिलाफ केसरी देवी अविश्वास प्रस्ताव लाई थीं

तब केशरी देवी फूलपुर से सांसद नहीं थी। यह अविश्वास प्रस्ताव पारित भी हो गया

धांधली का आरोप लगाते हुए रेखा सिंह हाईकोर्ट चली गईं।

हाईकोर्ट ने रेखा सिंह को बहाल कर दिया तो केसरी देवी सुप्रीम कोर्ट में गईं।

सुप्रीम कोर्ट से पुनर्मतदान का निर्देश हुआ। इसके अनुपालन में 13 अगस्त को बैठक बुलाई है।

प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद रेखा सिंह भी भाजपा में शामिल हो गई थीं।

दोनों पक्षों ने बड़े नेताओं का दामन थाम लिया था।

पुनर्मतदान होता तो इससे गुटबाजी जाहिर होती। ऐसे में डिप्टी सीएम ने दखल दी।

सोमवार को सर्किट हाउस में दोनों पक्षों को साथ रहने की सीख दी

इशारों-इशारों में यह भी कह गए कि दोनों को आगे भी राजनीति करनी है।

खत्म हुई सालों की अदावत

समझौते से जिला पंचायत के दो गुटों में सालों पुरानी अदावत खत्म हो गई है।

केसरी देवी और रेखा सिंह के बीच 15 साल से सियासी अदावत चली आ रही है।

2001 से 2006 तक केसरी देवी जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं।

जनवरी 2006 में रेखा सिंह अध्यक्ष बनीं लेकिन दिसंबर 2007 में केसरी देवी ने अविश्वास प्रस्ताव लाकर उनकी कुर्सी छीन ली।

दिसंबर 2007 से 2012 तक केसरी देवी अध्यक्ष रहीं। उनके खिलाफ नवंबर 2012 में रेखा सिंह अविश्वास प्रस्ताव लाई और वह पारित हो गया।

2013 से 2016 तक रेखा सिंह अध्यक्ष रही। इसके बाद जनवरी 2016 में हुए चुनाव में वह दोबारा अध्यक्ष बनीं।

अविश्वास प्रस्ताव के लिए तय है नियम

नियमानुसार बैठक के लिए आधे से अधिक सदस्यों की मौजूदगी जरूरी है। सदस्य, अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास व्यक्त करते हैं तो मतदान कराया जाता है। पक्ष में अगर आधे से अधिक वोट पड़ते हैं तो अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है। अब दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है, इसलिए सदस्य बैठक में नहीं जाएंगे। गए भी तो अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएंगे।

हमारा अब कोई विवाद नहीं है और शीर्ष नेताओं के निर्देशों का हमने पालन किया है। हम साथ-साथ हैं।

केसरी देवी पटेल, सांसद फूलपुर

हम दोनों एक ही पार्टी में है और आज से आपसी मतभेद मिटाकर विकास के लिए साथ साथ काम करेंगे।

रेखा सिंह, अध्यक्ष जिला पंचायत