अब 55 नहीं, 30 की एज है खतरनाक

ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी डिजीज है जिसका खतरा 55 साल की एज के बाद मंडराता था लेकिन अब इसकी एज लिमिट तेजी से घट रही है। फिलहाल जो पेशेंट सामने आ रहे हैं उनकी एज 30 साल के आसपास है। अनहेल्दी लाइफ स्टाइल और बात-बात पर टेंशन लेना उनके लिए डेंजरस बनता जा रहा है। एग्जाम्पल के तौर पर ममफोर्डगंज के 35 वर्षीय बिजनेसमैन विवेक हों या सिविल लाइंस के एक प्राइवेट बैंक इम्प्लाइ 33 साल के सुभाष। ये दोनों ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ चुके हैं। पिछले कई महीनों से इनका इलाज चल रहा है. 

Blood pressure बढ़ा तो होशियार हो जाइए

डॉक्टर्स की मानें तो बहुत ज्यादा तनाव झेलने की वजह से लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हो जाते हैं और बस यही स्टेज स्ट्रोक को बढ़ावा देती है। एक बार ब्रेन डैमेज हुआ तो एक साथ कई प्रॉब्लम क्रिएट होने लगती है। सीवियर मामलों में तो पेशेंट पैरालाइज होकर बेड रेस्ट पर चला जाता है और फिर उसका क्योर होने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं। 15 से 20 परसेंट पॉपुलेशन अभी इस डिजीज की चपेट में है और इसमें से 15 से 18 फीसदी मामलों में पेशेंट की डेथ तक हो जाती है. 

क्या है stroke

बिना चोट खाए अगर आपका ब्रेन डैमेज हो जाता है तो इसे स्ट्रोक कहा जाएगा। किसी कारण से जब ब्रेन को ब्लड सप्लाई करने वाली नसों में क्लॉट जम जाते हैं या वह फट जाती हैं तो ब्रेन के उस हिस्से को ऑक्सीजन नहीं मिलती। ऐसे में ब्रेन डैमेज हो जाता है। बॉडी के जो ऑर्गन इस हिस्से से ऑपरेट होते हैं वह काम करना बंद कर देते हैं या इफेक्टेड हो जाते हैं। कभी-कभी पेशेंट को सडेनली हेडेक भी होता है। जिसे स्ट्रोक की शुरुआत भी माना जा सकता है. 

क्या हैं कारण

- हाई ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर ये दोनों स्ट्रोक के सबसे बड़े कारण हैं)
- फैमिली हिस्ट्री
- हाई कोलेस्ट्रोल, स्मोकिंग और ड्रिंकिंग
- जंक फूड
- ओबेसिटी
- कार्डियो वस्कुलर डिजीज
- एमिनो एसिड इन ब्लड

लक्षण

- पैरालाइज हो जाना
- बोलने में प्रॉब्लम
- मेमोरी कमजोर हो जाना
- बहुत ज्यादा वीकनेस फील होना
- हाथ-पैर सुन्न हो जाना
- रह-रहकर तेज सिरदर्द

ठंड में बढ़ जाते हैं chances


जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है लोगों पर स्ट्रोक के चांसेज भी बढ़ते जा रहे हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि इस सीजन में दूसरे सीजन की अपेक्षा ज्यादा मामले सामने आते हैं। अचानक ठंड लग जाने से कई बार ब्लड सप्लाई रुक जाती है और ब्रेन डैमेज हो जाता है। तत्काल इलाज नहीं मिलने पर पेशेंट की जान भी चली जाती है. 

ऐसे करें patient की देखभाल

-  पेशेंट को बेड सोल से बचाएं। उसे लगातार करवट दिलाते रहें
- पैरों की एक्सरसाइज कराते रहना बेहद जरूरी
- खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाए
- फैमिली मेंबर्स और फ्रेंड्स का सपोर्ट जरूर मिले। पेशेंट को टेंशन से दूर रखें.
- उसकी प्रॉब्लम को बांटने की कोशिश करें.

तेजी से स्ट्रोक के पेशेंट्स की एज लिमिट घट रही है। अब यह 55 से घटकर 30 से 50 साल के बीच हो गई है। कई बार डायग्नोस के दौरान पता चलता है कि यंगस्टर्स बहुत ज्यादा तनाव ले रहे हैं। बात-बात पर टेंशन लेना उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। पैरेंट्स को भी ध्यान देना चाहिए। टीन एज में ही बच्चों को जंक फूड की हैबिट डाल दिए जाने से उन पर स्ट्रोक का खतरा बढऩे लगता है. 

डॉ। प्रकाश खेतान, न्यूरोसर्जन

स्ट्रोक काफी साइलेंट डिजीज है। यह अचानक पेशेंट को अपनी चपेट में ले लेती है। इसके पेशेंट को ठीक होने में लंबा समय लग जाता है। दवाओं के साथ-साथ उसे फैमिली सपोर्ट की भी जरूरत होती है। अगर समय रहते होशियार हो जाएं किसी बड़े खतरे से बचा जा सकता है.

डॉ। आरपी पांडेय, न्यूरोसर्जन

अब 55 नहीं, 30 की एज है खतरनाक
ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी डिजीज है जिसका खतरा 55 साल की एज के बाद मंडराता था लेकिन अब इसकी एज लिमिट तेजी से घट रही है। फिलहाल जो पेशेंट सामने आ रहे हैं उनकी एज 30 साल के आसपास है। अनहेल्दी लाइफ स्टाइल और बात-बात पर टेंशन लेना उनके लिए डेंजरस बनता जा रहा है। एग्जाम्पल के तौर पर ममफोर्डगंज के 35 वर्षीय बिजनेसमैन विवेक हों या सिविल लाइंस के एक प्राइवेट बैंक इम्प्लाइ 33 साल के सुभाष। ये दोनों ब्रेन स्ट्रोक की चपेट में आ चुके हैं। पिछले कई महीनों से इनका इलाज चल रहा है. 

Blood pressure बढ़ा तो होशियार हो जाइए
डॉक्टर्स की मानें तो बहुत ज्यादा तनाव झेलने की वजह से लोग हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हो जाते हैं और बस यही स्टेज स्ट्रोक को बढ़ावा देती है। एक बार ब्रेन डैमेज हुआ तो एक साथ कई प्रॉब्लम क्रिएट होने लगती है। सीवियर मामलों में तो पेशेंट पैरालाइज होकर बेड रेस्ट पर चला जाता है और फिर उसका क्योर होने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं। 15 से 20 परसेंट पॉपुलेशन अभी इस डिजीज की चपेट में है और इसमें से 15 से 18 फीसदी मामलों में पेशेंट की डेथ तक हो जाती है. 

क्या है stroke
बिना चोट खाए अगर आपका ब्रेन डैमेज हो जाता है तो इसे स्ट्रोक कहा जाएगा। किसी कारण से जब ब्रेन को ब्लड सप्लाई करने वाली नसों में क्लॉट जम जाते हैं या वह फट जाती हैं तो ब्रेन के उस हिस्से को ऑक्सीजन नहीं मिलती। ऐसे में ब्रेन डैमेज हो जाता है। बॉडी के जो ऑर्गन इस हिस्से से ऑपरेट होते हैं वह काम करना बंद कर देते हैं या इफेक्टेड हो जाते हैं। कभी-कभी पेशेंट को सडेनली हेडेक भी होता है। जिसे स्ट्रोक की शुरुआत भी माना जा सकता है. 

क्या हैं कारण
- हाई ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर ये दोनों स्ट्रोक के सबसे बड़े कारण हैं)

- फैमिली हिस्ट्री

- हाई कोलेस्ट्रोल, स्मोकिंग और ड्रिंकिंग

- जंक फूड

- ओबेसिटी

- कार्डियो वस्कुलर डिजीज

- एमिनो एसिड इन ब्लड

लक्षण

- पैरालाइज हो जाना

- बोलने में प्रॉब्लम

- मेमोरी कमजोर हो जाना

- बहुत ज्यादा वीकनेस फील होना

- हाथ-पैर सुन्न हो जाना

- रह-रहकर तेज सिरदर्द

ठंड में बढ़ जाते हैं chances
जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है लोगों पर स्ट्रोक के चांसेज भी बढ़ते जा रहे हैं। डॉक्टर्स कहते हैं कि इस सीजन में दूसरे सीजन की अपेक्षा ज्यादा मामले सामने आते हैं। अचानक ठंड लग जाने से कई बार ब्लड सप्लाई रुक जाती है और ब्रेन डैमेज हो जाता है। तत्काल इलाज नहीं मिलने पर पेशेंट की जान भी चली जाती है. 

ऐसे करें patient की देखभाल

-  पेशेंट को बेड सोल से बचाएं। उसे लगातार करवट दिलाते रहें

- पैरों की एक्सरसाइज कराते रहना बेहद जरूरी

- खानपान पर विशेष ध्यान दिया जाए

- फैमिली मेंबर्स और फ्रेंड्स का सपोर्ट जरूर मिले। पेशेंट को टेंशन से दूर रखें।

- उसकी प्रॉब्लम को बांटने की कोशिश करें।

तेजी से स्ट्रोक के पेशेंट्स की एज लिमिट घट रही है। अब यह 55 से घटकर 30 से 50 साल के बीच हो गई है। कई बार डायग्नोस के दौरान पता चलता है कि यंगस्टर्स बहुत ज्यादा तनाव ले रहे हैं। बात-बात पर टेंशन लेना उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। पैरेंट्स को भी ध्यान देना चाहिए। टीन एज में ही बच्चों को जंक फूड की हैबिट डाल दिए जाने से उन पर स्ट्रोक का खतरा बढऩे लगता है. 

डॉ। प्रकाश खेतान, न्यूरोसर्जन

स्ट्रोक काफी साइलेंट डिजीज है। यह अचानक पेशेंट को अपनी चपेट में ले लेती है। इसके पेशेंट को ठीक होने में लंबा समय लग जाता है। दवाओं के साथ-साथ उसे फैमिली सपोर्ट की भी जरूरत होती है। अगर समय रहते होशियार हो जाएं किसी बड़े खतरे से बचा जा सकता है।

डॉ। आरपी पांडेय, न्यूरोसर्जन