लग गए 10 मिनट

तकरीबन चार बजे जब मिसाइल मैन डॉ। कलाम पंडाल में एंट्री किए तो स्टूडेंट्स ने उन्हें घेर लिया। कोई उनसे ऑटोग्राफ मांग रहा था तो कोई उनसे हाथ मिलाने को बेताब था। उनके सामने जो भी स्टूडेंट आया वे उससे मुस्कराते हुए मिले। रास्ते में आने वाले हर बच्चे को उन्होंने संतुष्ट किया। यही कारण रहा कि उन्हें डायस तक पहुंचने में लगभग 10 मिनट लग गए।

टिप्स भी दिए

प्रोग्राम की शुरुआत बतौर चीफ गेस्ट मौजूद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एसआर आलम ने दीप प्रज्जवलित करके की। कुछ फॉर्मेलिटीज के बाद जब मिसाइल मैन ने माइक संभाला तो पूरा पांडाल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। सबसे पहले उन्होंने स्टूडेंट्स को इंडिया के लिए सपने बुनो, महान बनो और अच्छाई को जन्म दो जैसे अन्य कई टिप्स दिए। स्टूडेंट्स के साथ डॉ। कलाम ने टीचर्स और पैरेंट्स को भी सीख दी। प्रोग्राम के अंत में उन्होंने स्टूडेंट्स की क्वेरीज का भी जवाब दिया।

Dr। Kalam के message

-मां को खुश रखो। मां खुश रहेगी तो घर में खुशहाली होगी। इससे सोसाइटी खुशहाल होगा। सोसाइटी से इलाहाबाद, फिर यूपी और फिर हमारा देश खुशहाल होगा।

-कड़ी मेहनत करो। खुद को अपने लक्ष्य के लिए अर्पित कर दो। सफल होने के लिए कार्य करो।

 - तिरंगे को अपने दिल में बसा लो। घर के लिए, सोसाइटी के लिए और फिर अपने देश के लिए अच्छे इंसान बनो।

ग्रीन सिटी बनाएं

बच्चों को टिप्स देने के साथ ही डॉ। कलाम ने इलाहाबाद को ग्रीन बनाने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि हर कोई पौधा लगाए। पैरेंट्स को सजेस्ट करते हुए उन्होंने कहा कि वे बच्चों को उनके इच्छानुसार पढ़ाई करने दें। उन पर अपनी मर्जी न थोपें। टीचर्स से कहा कि स्कूल में बिल्डिंग और फैसिलिटी का मोल तभी है जब वे खुद बच्चों में कुछ करने की ललक पैदा करेंगे।

शताब्दी समारोह में शामिल हुए

 'युनिक बनने के लिए इनोवेटिव होना जरूरी है। इमेजिनेशन होगा तो ही भीड़ से खुद को अलग कर पाएंगे.Ó अपने संक्षिप्त लेकिन असरदार भाषण में देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम ने यंगस्टर्स को कुछ ऐसी ही सीख दी। वे विज्ञान परिषद, प्रयाग के शताब्दी समारोह में शामिल होने संगमनगरी आए थे।

मेरे प्यारे दोस्तों.

मिसाइल मैन के नाम से फेमस डॉ। कलाम ठीक दो बजकर 29 मिनट पर विज्ञान परिषद  ऑडिटोरियम में पहुंचे। जैसे ही वे अपने संबोधन के लिए उठे, प्रोग्राम हॉल तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। खास बात यह है कि उन्होंने भी अपने चिरपरिचित अंदाज में मुस्कुराकर हिंदी में ऑडियंस का अभिवादन किया। अपने भाषण की शुरुआत 'मेरे प्यारे दोस्तोंÓ के साथ करने वाले डॉ। कलाम को हिंदी में सुनना भी लोगों के लिए अलग ही अनुभव था। अक्सर इंग्लिश में बोलने वाले काका कलाम के हिंदी अभिवादन के शुरू होते ही एक बार फिर ऑडियंस तालियां बजाने से खुद को रोक नहीं पाए।