प्रयागराज (ब्‍यूरो)। पानी की हर बूंद अनमोल है, लेकिन इसे बचाने की फिक्र किसे है? पानी बचाने के लिए कोई कारगर प्रयास व उपाय नहीं किए जा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि शहर में पाइप लाइन लीकेज बनी रहती है। ट्यूबवेल बोर से लीकेज के कारण पानी बहता रहता है। ऊपर से आसपास के लोग पाइप जोड़कर पानी का विभिन्न प्रकार से मिस यूज करते रहते हैं। इस तरफ न तो कोई देखने वाला है और न ही सुनने वाला। जिन सार्वजनिक स्थलों पर लगाई टोटी नल लगाया गया है। उसका ध्यान खुद आसपास के लोग ही नहीं देते। ऐसे में पानी बहता ही रहता है। वाटर सप्लाई लाइन में कितने लीकेज ठीक किए गए व कितनी टोटियां चेंज की गईं? इस बात की कम्प्लीट रिपोर्ट विभाग के पास ही नहीं है। आठों जोन से अधिकारियों द्वारा यह रिपोर्ट मांगी गई है। तर्क है कि कम्प्लीट रिपोर्ट आने के बाद ही इस सम्बंध में जानकारी दे सकेंगे।

1200 सार्वजनिक हैंडपम्प हैं शहर में
21 टंकियां सार्वजनिक स्थलों पर लगी हैं
300 करीब टोटी नल भी हैं सार्वजनिक
47 ओवरहेड टैंक क्रियाशील हैं
01 ओवरहेड टैंक लीकेज के कारण है बंद
10 मएलडी करीब पानी होता है बर्बाद

लीकेज से अधिक व्यर्थ हो रहा जल
जलकल विभाग के एक अनुमानित आंकड़े पर गौर करें तो हर रोज यहां करीब 08 से 10 एमएलडी पानी बर्बादी हो रहा है।
महकमें के एक्सपर्ट इसके पीछे कुल पांच अहम कारण मानते हैं।
इन कारणों में कारण टोटी से बह रहे पानी को देखने के बाद भी बगैर बंद किए आगे बढ़ जाना है।
दूसरी कारण सप्लाई पाइप में लीकेज भी बताया जाता है। हालांकि कितने लीकेज हैं या हुए? इसका डाटा फिलहाल विभाग के पास ही नहीं है।
दावा है कि यह रिपोर्ट सभी आठों जोन कार्यालयों से मंगाई गई है।
बताते चलें कि शहर में सार्वजनिक स्थलों पर 21 छोटी टंकियां लगाई गई हैं। यह टंकियों 200 से 300 लीटर की बताई गई हैं।
शहर के पुराने 80 वार्डों में लगभग 300 स्टैंड पोश नल यानी टोटी वाले नल लगाए गए हैं।
इसके अतिरिक्त 11 मोटर ट्यूबवेल पम्प भी हैं।
विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पानी सप्लाई के लिए शहर में 58 ओवर हेड टैंक बनाए गए हैं। इनमें एक टैंक को लीकेज के चलते बंद कर दिया गया है। शेष 47 टैंक क्रियाशील हैं।

नहीं है लीकेज पकडऩे की मशीन
विभाग के पास कोई ऐसी मशीन नहीं है जिससे पानी सप्लाई पाइप में लीकेज होने पर उसे पकड़ा जा सका। ऐसी स्थिति में लीकेज के बाद पाइप से पानी तब तक बहता रहता है, जब तक कि किसी के द्वारा सूचना नहीं दी जाय। लोग पाइप में लीकेज देखने के बाद भी जल्दी सूचना देना गवारा नहीं समझते।

धरती पर बगैर पानी के जीवन संभव नहीं है। समाज के हर व्यक्ति को जल सुरक्षा के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझनी होगी। सिर्फ एक विभाग पानी की बर्बादी को रोक लेगा। यह आसान नहीं है, जब तक हर व्यक्ति जिम्मेदार नहीं होगा।
गोपाल कृष्ण, जार्जटाउन

टोटियों से पानी बहते रहने वाली समस्या इधर करीब एक साल से काफी कम हुआ है। सबसे ज्यादा पानी लोगों के घरों में व लीकेज से ही बर्बाद होता है। पानी की बर्बादी रोकने के लिए बृहद स्तर पर जन जागरूकता की जरूरत है।
राहुल यादव, साउथ मलाका

पाइप में टोटी नहीं होने से पानी बर्बादी होने जैसी समस्या तो कर्नलगंज में शायद ही कहीं हो। यह जरूरी है कि लोग पानी कीमत हर व्यक्ति को समझने की जरूरत है। विभाग को भी लीकेज से बर्बाद हो पानी को रोकने के लिए बेहतर व हाईटेक इंतजाम करने होंगे।
जय मिश्रा, कलर्नलगंज

इस हाईटेक दौर में क्या कुछ संभव नहीं है। नल में भी यदि मीटर लगा दिया जाय तो बिजली की तरह लोग खुद-ब-खुद पानी की बचत करने लगें। बिजली का मीटर घरों लगा है, लोग बेवजह एक भी मिनट जीरो वाट का भी बल्व नहीं जलने देते।
कृष्णा अग्रवाल, चौक

पानी का मिस यूज रोकने के लिए जब तक लोगों को आगे आने की जरूरत है। विभागीय स्तर पर किए जा रहे प्रयास किए जा रहे है। सभी जाने कार्यालयों से दुरुस्त किए गए व चेंज की गई टोटियों की रिपोर्ट मांगी गई है। ओवर फ्लो टोटी के चलते पानी की बर्बादी का रेसियो नहीं के बराबर है। सप्लाई पाइप में लीकेज का इश्यू थोड़ा बहुत है। वह भी जल्द ही खत्म हो जाएगा।
आशीष यादव, जेई हेड क्वाटर जलकल नगर निगम