दर्जनों की संख्या में हॉस्पिटल पहुंच रहे डायरिया के मरीज

डाक्टर दे रहे दूध से बनी चीजों से दूर रहने की सलाह

ALLAHABAD: भीषण गर्मी और उमस लोगों के सेहत की दुश्मन बनी हुई है। इसके चलते रोजाना दर्जनों की संख्या में डायरिया के मरीज हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि इस मौसम में खान-पान में लापरवाही बीमारी का प्रमुख कारण बन रही है। डायरिया की चपेट में आने वाले बच्चों की संख्या भी कम नहीं है। यही कारण है कि शहर के हॉस्पिटल्स के वार्ड डायरिया के मरीजों से भरे पड़े हैं।

रोज आधा दर्जन एडमिशन

भीषण गर्मी और उमस के चलते हॉस्पिटल्स में डायरिया के मरीजों की बाढ़ सी आई हुई है। एसआरएन हॉस्पिटल में रोजाना आधा दर्जन मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। इसी तरह बेली और कॉल्विन हॉस्पिटल के वार्ड भी डायरिया और उल्टी-दस्त के मरीजों से भरे पड़े हैं। एमएलएन मेडिकल कॉलेज मेडिसिन विभाग के फिजीशियन डॉ। मनोज माथुर का कहना है कि मेडिसिन ओपीडी में रोजाना आने वाले डायरिया के मरीजों की संख्या दस से पंद्रह फीसदी पहुंच चुकी है। लोग मौसम की मार झेल पाने में असमर्थ हैं। शरीर में पानी की कमी के चलते उनकी हालत खराब हो रही है।

बच्चों को ज्यादा खतरा

डायरिया की चपेट में आने वालों में बच्चों की संख्या कहीं अधिक है। चिल्ड्रेन हॉस्पिटल की ओपीडी में प्रतिदिन आने वाले 25 फीसदी बच्चे इसी बीमारी से ग्रसित हैं। खासतौर से पांच साल से कम उम्र के बच्चों में उल्टी-दस्त की शिकायत अधिक देखने को मिल रही है। चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ। मनीषराज चौरसिया का कहना है कि बच्चों को बाजार के दूध से बचाकर रखना होगा। इस मौसम में उनके लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार है। बच्चों को पीने का साफ पानी देना चाहिए। अगर बच्चे के पेट में दर्द और उल्टी-दस्त की शिकायत है तो उसे तत्काल डॉक्टर के पास ले जाना होगा।

दुग्ध उत्पाद से बचकर रहिए

डॉ। माथुर कहते हैं कि बाजार में बिकने वाली खानपान की चीजों से बचकर रहना होगा। बासी और साफ-सफाई की कमी की वजह ये चीजें पेट में इंफेक्शन का कारण बनती हैं। सर्वाधिक खतरा दुग्ध उत्पाद से होता है। खासकर मिठाई खाने से पहले उसकी जांच अवश्य कर लें। कई दिन पुरानी मिठाई, दूध, केक आदि से लोग अधिक बीमार पड़ रहे हैं। इसके अलावा कटे हुए फल, खुला रखा पानी, चाट, बताशे, आलू से बनी अन्य चीजें आदि भी बीमारी का कारण बने हुए हैं।

इसलिए अचानक बढ़ गई तपिश

इलाहाबाद विवि के प्रो। बीएन मिश्रा कहते हैं कि खाड़ी में आए चक्रवात के चलते केरल के तट पर पहुंचने वाला मानसून आंशिक रूप से प्रभावित हुआ है, फिर भी मौसम विभाग का मानना है कि एक्टिव मानसून पर इसका बहुत ज्यादा असर नहीं देखने को मिलेगा। चूंकि मानसूनी हवाएं प्रभावित हुई हैं, ऐसे में लोकल वेदर कंडीशन हावी है। यही कारण है कि गर्मी और उमस में बढ़ोतरी देखने को मिली है। मैदानी इलाकों की तपिश ने दोबारा तेजी पकड़ ली है और यह आगे भी जारी रह सकती है।

फैक्ट फाइल

हॉस्पिटल्स में पहुंच रहे 15 से 25 फीसदी डायरिया के मरीज

उल्टी-दस्त से प्रभावित बच्चों की संख्या अधिक

भीषण गर्मी और उमस बना बीमारी का अहम कारण

बाजार में बिकने वाली तली-भुनी चीजों के अलावा दुग्ध उत्पादों से बचने की सलाह

छोटे बच्चों के लिए मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार

शरीर में पानी कमी होने पर ओआरएस घोल का उपयोग करें

पीने के लिए साफ पानी का उपयोग ही करें