प्रयागराज ब्यूरो पेट से जुड़ी कोई बीमारी है अथवा मानसिक कोई बीमारी है या फिर कोई और रोग है? यह पता लगाने के लिए कुछ दिनों बाद आपको किसी पैथालॉजी जाकर ब्लड टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होगी। डॉक्टर को आपकी बॉडी को टॅच करने की भी जरूरत नहीं होगी। आपकी बॉडी का पूरा डिटेल पता चल जाएगा और इलाज में आसानी हो जाएगी। आपके शरीर में पनप रही बीमारी का पता आपका नाखून ही बता देगा। इसके चलते आपको ब्लड टेस्ट कराने पर हजारों रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। इस पर रिसर्च वर्क कम्प्लीट हो चुका है। थीसिस भी तैयार हो चुकी है। इसे दिसंबर में मुंबई में होने जा रही नेशनल एकेडमिक साइंसेज की मिटिंग में प्रजेंट किया जायेगा। इस थ्योरी पर डिटेल वर्क हुआ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट में।

लैब जाने की झंझट से छुटकारा
बीमारी का पता लगाने के लिए अभी तक पैथोलॉजी लैब जाना या फिर पैथालॉजिस्ट को घर पर बुलाकर ब्लड सैंपल देने के अलावा कोई चारा नहीं है। आने वाले वक्त में यह तरीका बदलने वाला है। इस खोज को अंजाम तक पहुंचाया है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर केएन उत्तम और उनके नेतृत्व में काम कर रही शोधकर्ताओं की टीम ने। इस टीम ने नाखून में मौजूद तत्वों की जांच स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक से करके यह निष्कर्ष निकाला है।

क्या फायदे होंगे
नाखून की जांच से पता चल जाएगा कि बॉडी में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीज, टाईटेनियम, और आयरन की स्टेटस क्या है
किस तत्व की कमी से कौन सी बीमारी होती है यह पहले से पता है तो इसी के बेस पर उपचार किया जा सकेगा
इसके जरिए मानसिक, शारीरिक और पेट से संबंधित बीमारियों की पहचान की जा सकती है।
पैथोलॉजी में टेस्टिंग के लिए गए सैंपल के परिणामों को आने मे समय लगता है, मगर इस तकनीक की सहायता से सेकेंडों में बीमारी का पता लग जाएगा
इसमे केवल एक बार का खर्च आता है। इसके बाद यह तकनीक पैथोलॉजी से कम खर्च और सटीक परिणाम देगी।

खुद डेपलप की है टेक्नीक
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर केएन उत्तम इस रिसर्च के लीडर हैं। इस रिसर्च वर्क में उनके साथ रिसर्च स्कॉलर्स श्रृष्टि शर्मा, अपर्णा तिवारी, अराधना त्रिपाठी, छवि बरन, श्वेता शर्मा, श्रुति शुक्ला एवं श्रेया पांडेय शामिल हैं। प्रोफेसर उत्तम बताते हैं कि उन शोध कर रही छात्राओं ने सबसे पहले नाखून में मौजूद तत्वों की पड़ताल करने का फैसला लिया। नाखून के नमूमो को उन्होंने डिपार्टमेंट की लैब में टेस्ट किया। डायरेक्ट करंट आर्क आप्टिकल एमिशन स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक टेक्नीक से हुई टेस्टिंग के बाद स्थानीय युवकों के नाखून के नमूने लिये गये। जिन्हें एकत्रित कर पानी से धुला गया। इसके पश्चात इन्हें रूम टंप्रेचर पर सुखाकर छोटे-छोटे टुकड़ों मे काटा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि नाखून के टुकड़ों को कार्बन इलेक्ट्रोड में भरा जा सके। इन कटे हुए टुकड़ों को कार्बन इलेक्ट्रोड में भरकर लगभग 3000 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किया गया। इसे गरम करते वक्त इसमें से उत्सर्जित विकिरणों को स्पेक्ट्रो फोटोमीटर की सहायता से रिकॉर्ड किया गया। प्राप्त स्पेक्ट्रम के विश्लेषण से सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम, टाईटेनियम, मैंग्नीज एवं आयरन तत्वों की पुष्टि हुई।

दिसंबर में मुंबई में पेश करेंगे
प्रोफेसर उत्तम बताते हैं कि इस रिसर्च की डिटेल भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर से शेयर की गयी थी। रिसर्च पेपर के एनालिसिस के बाद सेंटर ने मुंबई में तीन से छह दिसंबर के बीच होने वाली 93वीं वार्षिक बैठक में प्रजेंट करने के लिए सेलेक्ट कर लिया है। यह संगोष्ठी नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज के तत्वावधान में आयोजित की जाती है। यहां पूरा रिसर्च पेपर प्रजेंट किया जायेगा।

वर्तमान समय में स्किन और बालों के नमूनों को लेकर उनके तात्विक विश्लेषण से मानव शरीर मे होने वाली बीमारी की पहचान करने वाली टेक्निक विकसित कर ली गयी है। इसके चलते आने वाले समय में इलाज के क्षेत्र में बड़ा बदलाव संभव होगा।
प्रोफेसर केएन उत्तम
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

टेक्निक का इस्तेमाल शुरू होने पर कुछ ही सेकंड में चल जाएगा बीमारी का पता

प्रयागराज
पेट से जुड़ी कोई बीमारी है अथवा मानसिक कोई बीमारी है या फिर कोई और रोग है? यह पता लगाने के लिए कुछ दिनों बाद आपको किसी पैथालॉजी जाकर ब्लड टेस्ट कराने की जरूरत नहीं होगी। डॉक्टर को आपकी बॉडी को टॅच करने की भी जरूरत नहीं होगी। आपकी बॉडी का पूरा डिटेल पता चल जाएगा और इलाज में आसानी हो जाएगी। आपके शरीर में पनप रही बीमारी का पता आपका नाखून ही बता देगा। इसके चलते आपको ब्लड टेस्ट कराने पर हजारों रुपये खर्च करने की जरूरत नहीं रह जाएगी। इस पर रिसर्च वर्क कम्प्लीट हो चुका है। थीसिस भी तैयार हो चुकी है। इसे दिसंबर में मुंबई में होने जा रही नेशनल एकेडमिक साइंसेज की मिटिंग में प्रजेंट किया जायेगा। इस थ्योरी पर डिटेल वर्क हुआ इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट में।

लैब जाने की झंझट से छुटकारा
बीमारी का पता लगाने के लिए अभी तक पैथोलॉजी लैब जाना या फिर पैथालॉजिस्ट को घर पर बुलाकर ब्लड सैंपल देने के अलावा कोई चारा नहीं है। आने वाले वक्त में यह तरीका बदलने वाला है। इस खोज को अंजाम तक पहुंचाया है इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर केएन उत्तम और उनके नेतृत्व में काम कर रही शोधकर्ताओं की टीम ने। इस टीम ने नाखून में मौजूद तत्वों की जांच स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक से करके यह निष्कर्ष निकाला है।

क्या फायदे होंगे
नाखून की जांच से पता चल जाएगा कि बॉडी में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीज, टाईटेनियम, और आयरन की स्टेटस क्या है
किस तत्व की कमी से कौन सी बीमारी होती है यह पहले से पता है तो इसी के बेस पर उपचार किया जा सकेगा
इसके जरिए मानसिक, शारीरिक और पेट से संबंधित बीमारियों की पहचान की जा सकती है।
पैथोलॉजी में टेस्टिंग के लिए गए सैंपल के परिणामों को आने मे समय लगता है, मगर इस तकनीक की सहायता से सेकेंडों में बीमारी का पता लग जाएगा
इसमे केवल एक बार का खर्च आता है। इसके बाद यह तकनीक पैथोलॉजी से कम खर्च और सटीक परिणाम देगी।

खुद डेपलप की है टेक्नीक
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के फिजिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर केएन उत्तम इस रिसर्च के लीडर हैं। इस रिसर्च वर्क में उनके साथ रिसर्च स्कॉलर्स श्रृष्टि शर्मा, अपर्णा तिवारी, अराधना त्रिपाठी, छवि बरन, श्वेता शर्मा, श्रुति शुक्ला एवं श्रेया पांडेय शामिल हैं। प्रोफेसर उत्तम बताते हैं कि उन शोध कर रही छात्राओं ने सबसे पहले नाखून में मौजूद तत्वों की पड़ताल करने का फैसला लिया। नाखून के नमूमो को उन्होंने डिपार्टमेंट की लैब में टेस्ट किया। डायरेक्ट करंट आर्क आप्टिकल एमिशन स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक टेक्नीक से हुई टेस्टिंग के बाद स्थानीय युवकों के नाखून के नमूने लिये गये। जिन्हें एकत्रित कर पानी से धुला गया। इसके पश्चात इन्हें रूम टंप्रेचर पर सुखाकर छोटे-छोटे टुकड़ों मे काटा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि नाखून के टुकड़ों को कार्बन इलेक्ट्रोड में भरा जा सके। इन कटे हुए टुकड़ों को कार्बन इलेक्ट्रोड में भरकर लगभग 3000 डिग्री सेंटीग्रेड पर गर्म किया गया। इसे गरम करते वक्त इसमें से उत्सर्जित विकिरणों को स्पेक्ट्रो फोटोमीटर की सहायता से रिकॉर्ड किया गया। प्राप्त स्पेक्ट्रम के विश्लेषण से सोडियम, कैल्शियम, पोटैशियम, टाईटेनियम, मैंग्नीज एवं आयरन तत्वों की पुष्टि हुई।

दिसंबर में मुंबई में पेश करेंगे
प्रोफेसर उत्तम बताते हैं कि इस रिसर्च की डिटेल भाभा एटामिक रिसर्च सेंटर से शेयर की गयी थी। रिसर्च पेपर के एनालिसिस के बाद सेंटर ने मुंबई में तीन से छह दिसंबर के बीच होने वाली 93वीं वार्षिक बैठक में प्रजेंट करने के लिए सेलेक्ट कर लिया है। यह संगोष्ठी नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज के तत्वावधान में आयोजित की जाती है। यहां पूरा रिसर्च पेपर प्रजेंट किया जायेगा।

वर्तमान समय में स्किन और बालों के नमूनों को लेकर उनके तात्विक विश्लेषण से मानव शरीर मे होने वाली बीमारी की पहचान करने वाली टेक्निक विकसित कर ली गयी है। इसके चलते आने वाले समय में इलाज के क्षेत्र में बड़ा बदलाव संभव होगा।
प्रोफेसर केएन उत्तम
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी