मनोविज्ञान के स्टूडेंट्स को ट्रेंड करेंगे डॉक्टर्स और क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट

ALLAHABAD: अवसाद और काम का बोझ बढ़ने से सोसायटी में मानसिक रोगियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। लेकिन इनकी पहचान और इलाज के लिए पर्याप्त संख्या में साइकोलॉजिस्ट मौजूद नहीं हैं जो इनको जीने की सही राह दिखा सकें। ऐसे में गवर्नमेंट अब कॉलेजेस में साइकोलॉजी की पढ़ाई करने स्टूडेंट्स को ऐसे रोगियों की पहचान की प्रैक्टिकल नालेज देने जा रही है। इससे वह उनकी काउंसिलिंग और इलाज में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे।

ओपीडी में कराई जाएगी विजिट

फिलहाल इलाहाबाद यूनिवर्सिटी समेत तमाम कॉलेजों में साइकोलॉजी के विभिन्न कोर्सेज चल रहे हैं। इनमें पढ़ने वाले स्टूडेंट्स डिग्री या डिप्लोमा लेने के बाद दूसरे प्रोफेशन में चले जाते हैं। इस स्ट्रीम में एजुकेटेड होने के बावजूद वह मनोरोगियों के कल्याण के लिए कोई कदम नहीं उठा पाते। यही कारण है कि गवर्नमेंट इन स्टूडेंट्स को मनोरोगियों के चिन्हीकरण, काउंसिलिंग सहित इलाज की प्रैक्टिकल नॉलेज देगी। एक्सप‌र्ट्स स्टूडेंट्स को हॉस्पिटल्स की मनोरोगी ओपीडी की विजिट भी कराएंगे। यह अभियान राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत चलाया जाएगा।

नहीं मिल पा रहा भरपूर इलाज

सरकार की ओर से कराए गए एक सर्वे में पता चला था कि अमूमन साइकोलॉजी की पढ़ाई करने वाले 90 फीसदी स्टूडेंट्स दूसरे प्रोफेशन में चले गए हैं। कुछ ही हैं जो मनोरोगियों के चिन्हीकरण व काउंसिलिंग में लगे हैं। जबकि इसके मुकाबले मनोरोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टीमें बनाकर इन स्टूडेंट्स को क्लीनिक साइकोलॉजी की ट्रेनिंग दी जाएगी। जिससे वह किसी भी फील्ड में रहे, मनोरोगियों का निशुल्क पहचान व इलाज कर सकेंगे।

ऐसे चलाया जाएगा अभियान

-इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, शुआट्स, हंडिया पीजी कॉलेज आदि में जल्द ही डॉक्टर्स व क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट की टीम पहुंचकर ट्रेनिंग देगी।

-जिले के अन्य कॉलेजों से ट्रेनिंग वर्कशॉप के लिए एनओसी ली जा रही है।

-स्टूडेंट्स को तंबाकू निषेध कार्यक्रम के तहत जागरुकता फैलाने की ट्रेनिंग भी दी जाएगी।

-क्लीनिकल साइकोलॉजी की ट्रेनिंग मिलने के बाद रोजगार के नए अवसर खुलेंगे।

यह बड़ा अभियान है। साइकोलॉजी से बीए-एमए के करने वाले स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल नॉलेज दी जाएगी। ताकि वह भविष्य में इस स्ट्रीम से जुड़े रहें और मनोरोगियों के कल्याण के लिए कार्य करते रहें। इससे समाज में बढ़ रहे मनोरोगियों के रिहैबिलिटेशन में सरकार को काफी सहायता मिलेगी।

-डॉ। राकेश कुमार पासवान, कंसल्टेंट, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, काल्विन हॉस्पिटल