आनंद ओझा। एक था नफीस बिरयानी। वो नफीस जिसकी दुकान पर बिरयानी खाने के लिए शहर भर के लोग लाइन लगाते थे। वो नफीस अब नहीं रहा। ईट ऑन बिरयानी के मालिक नफीस अहमद उर्फ नफीस बिरयानी की हार्टअटैक से मौत हो गई। नफीस नैनी जेल में बंद था। वह कई दिनों से बीमार था। रविवार को सीने में दर्ज होने पर उसे स्वरूपरानी मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां पर डॉक्टरों ने उसका उपचार शुरू किया। डॉक्टरों ने उसे बचाने की भरसक कोशिश की मगर रविवार देर रात नफीस की सांसें थम गईं। सोमवार सुबह नफीस की मौत शहर में चर्चा का विषय बन गई। सोमवार शाम को नफीस की बॉडी काला डांडा कब्रिस्तान में दफनाई गई। माफिया ब्रदर्स अतीक अशरफ के बेहद करीबी नफीस पर पचास हजार रुपये का इनाम था। यह इनाम उमेश पाल हत्याकांड में उस पर घोषित किया गया था।

बिरयानी किंग बन गया नफीस
कहते हैं कि सबका दौर आता है। और यही नफीस के साथ हुआ। नफीस का भी दौर आया। दरियाबाद में रहने वाला नफीस कभी बहुत ही सामान्य जिंदगी जिया करता था। मगर दो हजार पांच के बाद नफीस की जिंदगी बदलने लगी। नफीस ने सिविल लाइंस में महात्मा गांधी मार्ग पर पैलेस सिनेमा हाल के पास बिरयानी की दुकान खोली और यहीं से उसकी किस्मत के सितारे बुलंद होते चले गए। सामान्य सा नफीस अब नफीस बिरयानी के नाम से जाना जाने लगा था।

माफिया ब्रदर्स से साथ का राज
नफीस माफिया ब्रदर्स अतीक और अशरफ का बेहद करीबी था। 2012 के बाद ये राज आम हो गया। इसके बाद सिविल लाइंस में बिरयानी का कारोबार करने वाले नफीस की गिनती रसूखदार शख्सियत में होने लगी। एक तो उसकी दुकान खूब चलती थी दूसरा अशरफ का हाथ उसके सिर पर था। नफीस की तूती सिविल लाइंस में बोलने लगी।

रिश्तेदार के साथ पहुंचे बड़े भाई
नफीस का अपने परिवार से कोई विशेष वास्ता नहीं था। मगर उसकी मौत की खबर जब पुलिस ने घरवालों को दी तो सोमवार को नफीस के बड़े भाई वसीम अपने चार रिश्तेदारों के साथ पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे। वहां पर मौजूद एसीपी सत्येंद्र तिवारी, कोतवाल रोहित तिवारी, शिवकुटी थाना प्रभारी संजय गुप्ता से वसीम ने जल्द पोस्टमार्टम करवाने की बात कही। इस दौरान वसीम मीडियाकर्मियों से कोई भी बात करने से कतराते रहे। नफीस तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर था। नफीस का तीसरे नंबर का भाई नहीं आया।

पत्नी, च्च्चे का रो रोकर बेहाल
दरियाबाद के रहने वाले नफीस के पत्नी च्च्चे करेली सी ब्लॉक में रहते हैं। नफीस की मौत की खबर घर पहुंची तो पत्नी और तीन बेटियों का रो रोकर बुरा हाल हो गया। मातमपुर्शी के लिए आसपास की महिलाएं घर पहुंचीं। सभी पत्नी और च्च्चों को ढांढस बंधाते रहे।

नफीस के साथ कई राज दफन
बिरयानी किंग नफीस की मौत के साथ ही वो तमाम राज दफन हो गए, जिनका पता करने के लिए पुलिस उसे रिमांड पर लेने की तैयारी में थी। ईट ऑन बिरयानी के मालिक बिरयानी किंग नफीस के रिश्ते माफिया ब्रदर्स के साथ जगजाहिर थे, मगर नफीस का नाम कभी किसी अपराध में माफिया ब्रदर्स के साथ नहीं आया। नफीस अपना बिरयानी का धंधा करता था, मगर अंदर ही अंदर उसके रिश्ते माफिया ब्रदर्स के साथ मजबूत हो चुके थे। और रिश्ते इतने मजबूत थे कि माफिया ब्रदर्स आंख मूंदकर नफीस पर भरोसा करते थे, और शायद इसी रिश्ते ने नफीस को अर्श से फर्श पर पहुंचा दिया। माफिया ब्रदर्स अतीक अशरफ के जानी दुश्मन उमेश पाल की हत्या की जब साजिश रची गई तो यहीं से नफीस के सितारे के गर्दिश में आने की शुरूआत हो गई। उमेश पाल हत्याकांड में जिस कार से अतीक का बेटा असद पहुंचा था वह कार चकिया में बरामद की गई। जांच में पता चला कि कार नफीस बिरयानी की है। इसके बाद से नफीस के दिन का चैन और रात की नींद हराम हो गई। नफीस अंडर ग्राउण्ड हो गया और पुलिस उसकी तलाश में लग गई।

22 नवंबर को हुई थी मुठभेड़

बीते 22 नवंबर को नफीस बिरयानी पुलिस मुठभेड़ में पकड़ा गया। पुलिस के मुताबिक नफीस बिरयानी अपने एक साथी के साथ लखनऊ से बाइक से आ रहा था। नवाबगंज थाना क्षेत्र में पुलिस ने उसे पकडऩे के लिए कांबिंग की। मगर वह प्रयागराज लखनऊ हाईवे से आनापुर रोड पर निकल गया। आनापुर में पुलिस टीम ने घेरकर नफीस को रोकने की कोशिश की। इस दौरान हुई फायरिंग में नफीस घायल हो गया। जबकि बाइक चला रहा युवक भाग निकला। पुलिस ने स्वरूपरानी अस्पताल में नफीस को उपचार के लिए भर्ती कराया था। उसके एक पैर में गोली लगी थी। करीब एक हफ्ते बाद हालत में सुधार होने के बाद उसे नैनी जेल में शिफ्ट किया गया।

अतीक के बेटे ने कार की थी इस्तेमाल

उमेश पाल हत्याकांड में माफिया अतीक के बेटे ने जो कार इस्तेमाल की थी, वह कार नफीस की थी। इसका पता चलने पर नफीस पुलिस के लिए वांटेड हो गया था। मुठभेड़ में गिरफ्तार नफीस से अस्पताल में रहने के दौरान पुलिस ज्यादा पूछताछ नहीं कर पाई थी। मगर पुलिस को उम्मीद थी कि नफीस से उसे कई ऐसे राज पता चलेंगे, जिसमें वो बातें शामिल होंगी कि किन किन लोगों से माफिया ब्रदर्स के कारोबारी रिश्ते थे, नकदी का लेनदेन था। इसी को लेकर नफीस की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उसके सीए से भी पूछताछ की थी। आगे की जानकारी जुटाने के लिए पुलिस नफीस को रिमांड पर लेना चाहती थी, मगर इसके पहले ही नफीस की हार्टअटैक से मौत हो गई।

बच गए तमाम सफेदपोश
नफीस की मौत से शहर के वो तमाम सफेदपोश बेदाग बच गए, जिनके दामन पर अतीक के साथ रिश्ते होने का दाग नफीस के बयान के बाद लग जाता। पुलिस सूत्रों की मानें तो एक दर्जन से ज्यादा सफेदपोश जिसमें नेता और कारोबारी शामिल हैं। जिन पर पुलिस को अतीक के साथ रिश्ते होने का शक है, मगर इसके लिए जिस मजबूत गवाही की जरुरत थी, वो गवाह नफीस अब नहीं है।

'रोता था जेल में
सिविल लाइंस ने नफीस का जलवा देखा है। बताते हैं कि नफीस नैनी जेल में फूट फूटकर रोता था। उससे मिलने के लिए आने वालों से वह अपने परिवार को याद कर रोने लगता था। मुठभेड़ में घायल नफीस अस्पताल से जाने के बाद बीस दिन के करीब जेल में रहा। इस दौरान कई लोग उससे मिलने के लिए पहुंचते रहे। अपने करीबियों से वह परिवार को लेकर चिंता करता था और रोता था। रविवार रात स्वरूपरानी में जिंदगी मौत से जूझ रहे नफीस से मिलने के लिए शहर के एक पुलिस अफसर भी पहुंचे। पुलिस अफसर को देखते ही नफीस ने हाथ जोड़ लिया। नफीस ने कहा कि उसके किए की सजा उसे मिल रही है। शायद नफीस जान चुका था कि अब वह ज्यादा समय जिंदा नहीं रहने वाला है। ऐसे में नफीस ने पुलिस अफसर से मिन्नत करके कहा कि उसके किए की सजा केवल उसे मिलनी चाहिए, मेरे च्च्चों को परेशान न करना।


उमेश पाल हत्याकांड में पचास हजार के इनामी नफीस बिरयानी की मौत हार्टअटैक से हुई है। पोस्टमार्टम के बाद उसकी बॉडी उसके परिजनों को सुपुर्द कर दी गई है।
सत्येंद्र तिवारी, एसीपी कोतवाली