प्रयागराज (ब्‍यूरो)। अलकनंदा अपार्टमेंट पर 'बीर बल की खिचड़ीÓ वाली कहावत सटीक है। सात साल बीत चुके हैं। पीडीए पूरा पेमेंट लेकर खाली हो चुका है। बैंक लोन की किश्त वसूल रहा है और फ्लैट ओनर्स किश्त देने के बाद भी किराएदार बनकर रहने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं पीडीए के बाद बैंकों की नोटिस ने फ्लैट ओनर्स को फिर तगड़ी चोट दी है। पीडीए ने अब जाकर पाया है कि गिट्टी की क्वालिटी सही नहीं है। उसने इसका चार्ज फ्लैट ओनर्स से ही वसूल करने का फैसला लिया है। करीब 24 घंटे पहले फ्लैट ओनर्स को यह पता चला तो बुधवार को उन्हें बैंकों से भी नोटिस मिल गयी कि तत्काल रजिस्ट्री का कागज जमा करें या फिर दो फीसदी एक्स्ट्रा का भुगतान करें। इस दोहरी चोट से फ्लैट ओनर्स कराह उठे हैं।

48.66 करोड़ रुपये में बनना था अपार्टमेंट
2014 में पीडीए ने जारी किया था वर्क आर्डर
2016 तक पूरा हो जाना था निर्माण कार्य
140 फ्लैट विभिन्न श्रेणी के बनाये जा रहे
04 फ्लैट ही ऐसे जो अब तक बिके नहीं
14 मंजिल का बनाया गया है अपार्टमेंट

करनी पीडीए की सजा भुगत रहे लोग
प्रयागराज विकास प्राधिकरण लोगों को शहर में फ्लैट देने का प्लान तैयार किया। इसके लिए 14 मंजिला अलकंदा नामक अपार्टमेंट बनाने की योजना बनाई गई है। इसमें विभिन्न श्रेणियों के कुल 140 फ्लैट बनाए की बात प्लान में शामिल की गई। पीडीए द्वारा शहर में खूबसूरत अपार्टमेंट का सपना दिखाए जाने के बाद लोग दौड़ पड़े। शहर में अपने मकान का ख्वाब देख रहे तमाम अधिकारी व व्यापारी अलकनंदा अपार्टमेंट में फ्लैट के लिए आवेदन शुरू कर दिए। इसके लिए उनके जरिए पैसा भी जमा किया गया। पीडीए का दावा था कि दो साल यानी 2016 तक अपार्टमेंट तैयार करके लोगों को फ्लैट दे दिए जाएंगे। मगर ऐसा नहीं हो सका। जिस कंपनी को ठेका दिया गया उसके जरिए 2016 तक अपार्टमेंट पूरा नहीं किया गया। कार्यदायी संस्था पीडीए पर तो पीडीए कार्यदायी संस्था पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ रहा है।

अब लोगों को बैंक भेज रहा नोटिस
इस अपार्टमेंट में एक भी शख्स ऐसा नहीं जिसे फ्लैट हैंडओवर किया गया हो।
अभी तक फ्लैट की रजिस्ट्री हुई नहीं, लिहाजा कागजात लोग बैंक में नहीं जमा कर पा रहे।
अब बैंक लोगों को इस बात के लिए नोटिस दे रहा कि वे रजिस्ट्री का कागज जमा करें। अन्यथा ऋण पर बैंक दो प्रतिशत का अतिरिक्त पैसा वसूल करेगा।
अब कर्ज पर दो प्रतिशत ब्याज भी उन्हें चुकाना पड़ेगा।
वर्ष 2024 में भी लोगों को यहां फ्लैट मिल पाएगा या नहीं? यह बात बड़े विश्वास के साथ कहना मुश्किल है।

मानवाधिकार आयोग ने वीसी व सचिव को तलब किया
अलकनंदा अपार्टमेंट प्रकरण की बुधवार को मानवाधिकार के अध्यक्ष द्वारा सुनवाई की गई। पीडीए से मौजूद जिम्मेदार किए गए सवाल का सही उत्तर नहीं दे सके। ऐसे में मानवाधिकार के अध्यक्ष द्वारा कड़ी नाराजगी जताई गई। पंद्रह दिन को फिर प्रकरण में सुनवाई की डेट नियत की गई। इस डेट पर हर हाल में पीडीए के वीसी व सचिव को उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।

फ्लैट तो अब तक नहीं मिला मानसिक व आर्थिक चोटें लोगों को जरूर मिल रही हैं। सात का वर्ष समय कम नहीं होता। आज तक किसी को भी फ्लैट नहीं मिल सका। रेरा से लेकर मानवाधिकार तक में केस चल रहे हैं। सभी लोग मानसिक प्रताडऩा के शिकार हो रहे हैं।
आदित्य कुमार सिंह अध्यक्ष अलकनंदा अपार्टमेंट संघर्ष समिति

आम पब्लिक पीडीए की स्कीमों पर भरोसा करती है। मगर अब लगता है कि यह डिपार्टमेंट भरोसे के लायक नहीं है। अब तो लगता है कि फ्लैट के नाम पर पैसा वसूलकर परेशानी करने वाली प्राइवेट कंपनियों व पीडीए में कोई फर्क नहीं है।
हिमांशु मौर्य, प्रवक्ता राजकीय महिला पॉलीटेक्निक तेलियरगंज

फ्लैट के लिए जितना पैसा लोग जमा किए हैं अब पीडीए को उसका ब्याज देना चाहिए। क्योंकि, बैंक से लिए गए लोन की किस्त और ब्याज अहम सब हम भर रहे हैं। ऊपर से अब तो बैंक रजिस्ट्री का कागज जमा नहीं करने पर दो प्रतिशत अतिरिक्त चार्ज की नोटिस भेज रहा है।
धीरज कुमार पांडेय एडवोकेट हाईकोर्ट

मानवाधिकार अध्यक्ष ने पीडीए के वीसी व सचिव को 15 दिसंबर को तलब किया है। हमारा प्रश्न है कि हम कैसे जिंदा रहें। जीने के लिए लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान चाहिए होता है। कमान पीडीए दे रहीं रहा, रोटी कपड़े का पैसे से बैंक और किराए के रूम का चार्ज भर रहे।
डॉ। कमलेश तिवारी वरिष्ठ मनोचिकित्सक

अपार्टमेंट पीडीए का था तो बैंक से ऋण लेकर पैसा जमा कर दिए थे। क्या पता था कि पैसा देने के बावजूद इतने साल फ्लैट नहीं मिलेगा। पैसा देने के बावजूद हम ही नहीं, हमारे से जैसे तमाम लोग फ्लैट के लिए परेशान हैं। 2024 में फ्लैट मिल पाएगा या नहीं? अभी तो यह भी हम नहीं कह सकते।
डॉ। संतोष कुमार डिप्टी सीएमओ