एक महीने के भीतर सामने आई तीसरी घटना

ALAHABAD: अब तो वाहन को खड़ा छोड़ना भी खतरे से खाली नहीं रहा। न दिन का कोई मतलब है और न रात का। कब खड़े-खड़े वाहन आग का गोला बन जाएगा? अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। एक महीने के भीतर सामने आई तीसरी घटना से कार मालिक सहमे हुए हैं तो वाहनों के इंटरनल क्वालिटी कंट्रोल पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।

अचानक धू-धू कर जलने लगी कार

सिविल लाइंस क्षेत्र के नवाब युसुफ रोड पर शनिवार की दोपहर अचानक एक चार पहिया वाहन से धुंआ निकलने लगा। जब तक लोग कुछ समझ पाते कार से आग की लपटें उठती दिखाई देने लगीं। यह देखकर लोग सहम गए। उन्होंने फायर ब्रिगेड को सूचना दी। लेकिन जब तक फायर ब्रिगेड पहुंचती गाड़ी आग के गोले में तब्दील हो चुकी थी। इससे अफरा तफरी मच गई। मौके पर पहुंचे फायर कर्मियो आग को काबू किया। कुछ ही देर बाद स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने काफी देर तक वाहन मालिक की खोजबीन की मगर देर शाम तक कोई भी व्यक्ति वाहन लेने नहीं आया।

क्वालिटी में प्राब्लम से दिक्कत

लगातार ऐसी घटनाएं सामने आने पर आई नेक्स्ट ने इसकी पड़ताल करने का निर्णय लिया और जेके इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लायड फिजिक्स के प्रोफेसर सीके द्विवेदी से बात की। उन्होंने बताया कि कांर कंपनियों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है। प्राइज वार के चलते क्वालिटी से कंप्रोमाइज किया जाने लगा है। पहले गाडि़यों की इनटरनल वायरिंग में तार को सिलिकॉन कोटेड किया जाता था। इससे ज्यादा हीट होने पर भी वॉयरिंग पर असर नहीं पड़ता था। वर्तमान समय में प्राइज न बढ़ाने के प्रेशर के चलते आर्डिनरी वॉयर का इस्तेमाल किया जाने लगा है। इससे मुसीबत बढ़ गई है। आग लगने का एक्चुअल कारण तो कार की चेकिंग के बाद ही पता चल सकता है लेकिन कॉमन फैक्टर हीट के चलते वायरिंग के वायर का स्पार्क कर जाना माना जा रहा है। इसके पीछे यही बड़ा कारण है।

पहले हो चुके है हादसे

Example case one

4 जून: करेली स्थित लवकुश आश्रम के पास सड़क के किनारे खड़ी कार में अचानक आग लग गई। जब तक स्थानीय लोग सक्रिय होते और आग बुझाने की कोशिश करते कार आग का गोला बन चुकी थी। आग पर काबू पाने के बाद सिर्फ इंजन और बॉडी ही बची थी। भीतर का इंटीरियर और वॉयर जलकर राख हो चुके थे।

Example case two

ठीक ऐसा ही हुआ था कीडगंज एरिया में पुराने नैनी पुल की तरफ जाने वाले रास्ते पर। यहां भी एक कार देखते ही देखते आग का गोला बन गई थी। जब तक आग पर काबू पाया जाता सबकुछ जलकर राख हो चुका था।

Example case three

एमएनएनआईटी के सामने पिछले दिनों प्रतापगढ़ की तरफ से आ रही एक चलती कार देखते ही देखते आग के गोले में तब्दील हो गई थी। संयोग ही था कि कार में सवार किसी भी व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था।