- माहे मुकद्दस में जगाई साम्प्रदायिक सौहार्द की अलख

ALLAHABAD: गंगा-जमुनी तहजीब के शहर इलाहाबाद में सांप्रदायिक सौहार्द की सरस्वती बह निकले को यह बड़ी बात नहीं। जी हां माहे मुकद्दस में सर्वधर्म समभाव की ऐसी ही तहजीब को रोशन किया है करेली के फैजल खान ने। पांच समय की नमाज और रमजान में पूरा रोजा रखने के साथ ही फैसल राम नाम लिखकर राम नाम बैंक में जमा करने का कार्य भी कर रहे हैं। फैसल कहते है कि गीता कुरान सब एक समान, इसे पढ़े हर एक इंसान। ना धर्म से, ना जात से, हमारी पहचान हो इंसान से।

दस सालों से लिख रहे राम नाम

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले फैसल खान पिछले दस सालों से राम नाम लिख कर रहे हैं। वे बताते हैं कि करीब दस साल पहले एक अखबार में उन्होंने राम के बारे में पढ़ा था। जिसमें लिखा था कि राम नाम लिखने से मानसिक संतुष्टि मिलती है। उसके बाद ही वे राम नाम बैंक चलाने वाले ग्रह नक्षत्र ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य आशुतोष वाष्र्णेय के संपर्क में आए। तब से वह नियमित रूप से राम नाम लिखने लगे।

तीन भाषाओं में राम नाम

उस समय से वे नियमित रूप से तीन भाषाओं उर्दू, हिन्दी और इंग्लिश में राम नाम लिखते हैं। अपने बारे में वे बताते हैं कि वे पांच समय के नमाजी व्यक्ति हैं। नियमित रूप से पांच समय की नमाज अता करते है। इसके साथ ही रमजान के पाक महीने में पूरा रोजा भी रखते हैं। रोजे के साथ ही शाम के समय वे राम नाम लिखते हैं। जिससे उन्हें संतुष्टि मिलने के साथ ही मानसिक शांति भी मिलती है। सालों से राम नाम लिख रहे फैसल कहते हैं कि इसके पीछे उनका सबसे बड़ा मकसद है कि लोगों में आपसी सौहार्द बढ़े। उन्होंने बताया कि इस दौर में सबसे बड़ी बीमारी साम्प्रदायिकता है। जबकि देखा जाये तो सभी धर्म में से कुछ ना कुछ सीखना चाहिए। क्योकि सभी धर्म बराबर हैं।