- समर वोकेशन के खत्म होते ही फैमली मेंबर्स का बदला मार्निग का रूटीन

- बच्चों को सात बजे स्कूल भेजने के चक्कर में मम्मियों को सुबह चार बजे से करनी पड़ती है तैयारी

ALLAHABAD: पतिओफ हो, छह बज चुके हैं और तुम अभी तक बेटे को तैयार नहीं कर सकी हो। जल्दी करो वैन गेट पर खड़ी है। स्कूल के लिए लेट हो रहा है। पत्‍‌नी क्या करूं सुबह साढ़े चार बजे से उठी हूं। टिफिन बनाना, बैग तैयार करना और फिर बेटे को रेडी करना यूं नहीं हो जाता। इस पर आपका लाड़ला जल्दी सोकर भी तो नहीं उठता। कई बार जगाना पड़ता है। जी हां, स्कूल गोइंग चाइल्ड व उनके पैरेंट्स का रूटीन फिर ट्रैक पर आ चुका है। समर वैकेशन तक खूब मौज मस्ती हुई, लेकिन नए एजुकेशनल सेशन की शुरुआत ने इनके रूटीन को चेंज कर दिया है।

मम्मी मेरी पेंसिल नहीं मिल रही

समर वैकेशन में खूब मौज मस्ती करने वाले किड्स भी अब झकझोर कर सुबह पांच बजे जगा दिए जा रहे हैं। कहीं पेंसिल नहीं मिल रही है तो कोई नोटबुक खोज रहा है। तैयार होकर स्कूल वैन तक पहुंचने से पहले यही सिलसिला चलता है। जबकि वैकेशंस में इन्हीं जनाब की नींद नौ बजे तक नहीं खुलती थी। जागे भी तो वीडियो गेंम या फिर घूमने फिरने में ही व्यस्त रहते थे।

स्कूलों में लौटी रौनक

नए सेशन की शुरुआत होने से स्कूलों में भी रौनक लौट आई है। टीचर्स स्कूलों में आए नए और नन्हे मेहमानों को नए एटमास्फियर से इंट्रोड्यूस करा रहे हैं। वहीं पुराने किड्स अपने फ्रेंड्स से मिलकर चहक रहे हैं।

- दोनों बेटियां इस बार क्लास फ‌र्स्ट में गई हैं। वह सेंट मेरीज में पढ़ती हैं। वैकेशन में दोनों सुबह नौ बजे सो कर उठती थीं। अब स्कूल खुल गया है तो इन्हें सुबह पांच बजे जगाकर तैयार करना पड़ा है। लाइफ में एकदम से तेजी आ गई है। पूरा शेड्यूल चेंज हो गया।

सेजना, करेली

- सुबह सात बजे से बच्चे का स्कूल होता है। तीन घंटे पहले हमे उठकर पूरी तैयारी करनी पड़ रही है। नहीं तो सबकुछ टाइम से नहीं हो पाता। वैकेशन के बाद बदले सेड्यूल से अभी प्राब्लम तो हो रही है, लेकिन धीरे धीरे आदत पड़ जाएगी।

वंशिका शुक्ला, मीरापुर

- मेरा बेटा शिवांश सेंट जोसफ में पढ़ता है। इस बार क्लास थर्ड में गया है। उसके लंच बॉक्स में उसका फेवरिट खाना होना बहुत जरूरी है। छुट्टियों में जितना भी होमवर्क, प्रोजेक्ट वर्क मिला है, उस पर भी नजर डालनी पड़ रही है। अब अगर सुबह देर तक सोते रहेंगे तो सारा प्लान डिस्टर्ब हो जाएगा।

- तनु मिश्रा, राजरूपपुर

- टाइम मैनेज करना बेहद जरूरी होता है। बच्चे को सही समय पर स्कूल भेजने के लिए हमे सबसे पहले उठना पड़ता है। मेरी बड़ी बेटी आमिशी डीपीएस में पढ़ती है। छोटी बेटी आयुशी सेंट मैरीज में केजी में पढ़ती है। दोनों को तैयार कर समय पर स्कूल भेजना ही मेरा सबसे पहला और जरूरी रूटीन अब सेशन के इंड त रहेगा।

संगीता चौधरी, सिविल लाइंस