689
केस महिला उत्पीड़न के महिला थाने में दर्ज किए गए
86
केस में जांच के बाद लगाई गई है चार्जशीट
50
परिवारों को समझा-बुझा कर समझौता कराया गया है
553
केस शेष की अभी चल रही है जांच
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-कहीं दहेज है दानव तो कहीं सास से नहीं बैठ रही पटरी, पति का साथ न रखना भी है विवाद का कारण
-यदि मायका व ससुराल पक्ष थोड़ी सी समझदारी दिखाए तो टूटने से बच जाएंगे कई परिवार
PRAYAGRAJ: घर की चहारदीवारी में भी महिलाएं सुकून व चैन की सांस नहीं ले पा रही हैं। तमाम ऐसी महिलाएं हैं जिनकी जिंदगी अपनों के बीच नारकीय बन गई है। महिलाएं इंसाफ के लिए पुलिस की मदद लेने को मजबूर हैं। किसी को सास सता रही है तो किसी को पति। ये समस्याएं पति व पत्नी के बीच विश्वास की डोर को कमजोर कर रही हैं। नतीजा ये कि ये परिवार अब बिखरने की कगार पर हैं।
अपनों के बीच भी सुकून नहीं
अग्नि को साक्षी मान कर विवाह के मंडप में सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा सात वर्ष भी नहीं टिक पा रहा है। डोली में बैठ मायके से ससुराल पहुंचीं तमाम महिलाओं की जिंदगी शादी के कुछ वर्षो में ही नारकीय बन गई है। ससुराल में उन्हें कभी दहेज तो कभी लड़की पैदा होने के लिए सताया जा रहा है। पिछले वर्ष यानी 2018 में मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना की शिकार 689 महिलाओं ने महिला थाने में न्याय की गुहार लगाई है। इनमें से 50 परिवारों के बीच पुलिस के सहयोग से सहमति बन गई तो उन्होंने केस वापस ले लिया। 86 केस ऐसे हैं जिनमें पुलिस चार्जशीट लगा चुकी है। 553 मामलों की विवेचना अभी चल रही है।
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महिलाओं के प्रमुख आरोप
- ज्यादातर केस में दहेज को लेकर मारने पीटने की शिकायतें
- बेटी पैदा होने पर ससुरालीजनों द्वारा सताए जाने का आरोप
- बीमार होने पर भी इलाज न कराने व काम कराने की शिकायतें
- पति द्वारा खर्च न दिए जाने व मायके जाने पर प्रतिबंध के आरोप
- बाहर कमा रहे पति द्वारा कहने के बाद भी साथ न ले जाने की शिकायत
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इस तरह बच सकते हैं विवाद
- मायके व ससुराल पक्ष के लोग बैठ कर पति व पत्नी को समझाएं
- महिला की समस्या को सुनें और उसके निस्तारण की कोशिश करें
- घर के हर काम में महिला को उसकी जिम्मेदारी का अहसास कराएं
- शादी में मिले दहेज या मायके को लेकर बार-बार तंज न कसें
- किसी बाहरी व्यक्ति के सामने उसके सम्मान को ठेस न पहुंचाएं
- खुल कर अपनी स्थिति के बारे उससे बताएं और सपोर्ट मांगें
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महिला उत्पीड़न के पीछे कुल चार पांच मुख्य वजह होती है। शिकायतों में यही समस्याएं अक्सर देखने व सुनने को मिलती हैं। यदि मायके व ससुराल पक्ष के लोग थोड़ी सी समझदारी का परिचय दें तो समस्या स्वयं हल हो जाय। चूंकि लड़की दूसरे घर से ससुराल पहुंचती है, ऐसे में ससुराल पक्ष को चाहिए कि वे उसकी भावनाओं को समझें और उसे अपनी खुशी और गम में शामिल करें।
कल्पना गौतम, इंस्पेक्टर, महिला थाना