लक्ष्मी और कुबेर के पूजन का है इस दिन विशेष महत्व

16 कलाओं से परिपूर्ण चांद आश्विन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि शुक्रवार को निकलेगा। इसे शरद पूर्णिमा का चांद भी कहा जाता है। इसी दिन रात में ढेढि़या (कजोगरी) का पर्व मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी व कुबेर के पूजन का विशेष महत्व है। रात्रि में जागरण करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर भक्तों की धन-धान्य की कामना पूर्ण करती हैं।

शुक्रवार शाम से शुरू होगी पूर्णिमा

पूर्णिमा तिथि शुक्रवार की शाम 5.22 बजे लगकर शनिवार की शाम 7.31 बजे तक रहेगी। रात 8.31 से 10.45 बजे तक मिथुन लग्न रहेगी। उक्त समयावधि में मिथुन लग्न से सारे ग्रह केंद्र व त्रिकोण में स्थित रहेंगे। जो प्रसन्न होकर साधकों को इच्छित फल की प्राप्ति कराएंगे। मां लक्ष्मी के पूजन में श्रीसूक्त का पाठ करना चाहिए। जबकि कुबेर को प्रसन्न करने के लिए 'ओम कुबेराय नम:' का एक माला जप करें। लड़कियां व महिलाएं पिता व भाई के समस्त कष्ट हरने का पर्व ढेढि़या शुक्रवार को मनाएंगी। ढेढि़या के अंदर देशी घी का दीपक रखकर पिता व भाई के सिर से पांच बार उतारना चाहिए। शरद पूर्णिमा पर सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। काले रंग के वस्त्र का त्याग करके सफेद कपड़ा पहनने का विधान है।

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स्नान-दान की पूर्णिमा कल

स्नान व दान की पूर्णिमा शनिवार को मनाई जाएगी। सनातन धर्मावलंबी यमुना, गंगा व संगम के पावन जल में डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से प्रयागराज आते हैं।

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गाय के दूध से बनाएं खीर

पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखकर अगले दिन उसका सेवन करने का विधान है। खीर गाय के दूध से बनानी चाहिए। फिर चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है। चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं। खीर कम से कम चार घंटे चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए। इससे उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। खीर में कीड़े न पड़ें उसके लिए सफेद झीने वस्त्र से ढकना चाहिए। अगले दिन भगवान लक्ष्मीनारायण को भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए।

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कल मिलेगी नि:शुल्क दवा

श्रीश्याम सेवा ट्रस्ट प्रयाग व श्रीश्याम मंडल की ओर से शरद पूर्णिमा के अगले दिन शनिवार को दमा के रोगियों को नि:शुल्क दवा दी जाएगी। महामंत्री विनोद अग्रवाल ने बताया कि चंद्रलोक सिनेमा के पास स्थित मारवाड़ी धर्मशाला पर सुबह चार बजे से दवा का वितरण होगा।