शुआट्स ने औने-पौने दाम पर बेच दी शहर के प्राइम लोकेशन में स्थित महंगी जमीन

-एसडीएम की रिपोर्ट में लाल ब्रदर्स के कई कारनामों का किया गया है पर्दाफाश

ALLAHABAD: सैम हिग्गिन बॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेस (पूर्व में एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट) के पदाधिकारी कानूनी फंदे की गिरफ्त में हैं। उनकी मुश्किलें एसडीएम करछना राजा गणपति आर की जांच रिपोर्ट ने बढ़ा दी है।

इस रिपोर्ट में शुआट्स के लाल ब्रदर्स के जमीन घोटालों का पूरा चिट्ठा खोला गया है। बताया गया है कि लाल ब्रदर्स और उनके परिवार ने जमीन को न केवल औने-पौने दाम पर बेचा, बल्कि उसके लिए जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं का भी पालन नहीं किया।

महेवा और डांडी की है जमीन

एसडीएम करछना की जांच रिपोर्ट में महेवा और डांडी की जमीन से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य पेश किये गये हैं। बताया गया है कि यमुना नदी पर निर्मित नये पुल के लिये अधिग्रहित भूमि के मुआवजे के समय वर्ष 1993 में एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट के सचिव ने मुआवजे की मांग की थी। सचिव ने लिखा था कि महेवा और डांडी में भूमि 30,000 रुपए प्रति बिस्वा बिक रही है और यही मार्केट रेट भी है। लेकिन जब एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट अवैध रूप से भूमि बेची तो मुख्य मार्ग की भूमि मात्र 9700 रुपए प्रति बिस्वा में अपने ही कर्मचारी को दे दी। यही नहीं बाद में बेची जमीन को खुद ही खरीद भी लिया। ये खेल स्पष्ट रूप से भ्रष्टाचार को इंगित करता है।

पहले जमीन बेची, फिर खरीदा प्लॉट

-सोसायटी के सचिव/डायरेक्टर द्वारा समय-समय पर कई भूमि को मनमाने दाम पर बेचा गया।

- इसके लिये सोसाइटी से प्रस्ताव पास करवाया गया। लेकिन बेचने से पहले जिला जज/सक्षम अधिकारी/सरकार की अनुमति नहीं ली गई।

- सचिव प्रो। आरबी लाल द्वारा एग्रीकल्चर इंस्टीट्यूट में कार्यरत मो। कलीम की पत्नी व परिवारजनों के नाम प्राइम लोकेशन की भूमि बिना सक्षम अधिकारी के अनुमति बेची गई।

- यही नहीं प्राइम लोकेशन की भूमि के बड़े टुकड़े को मात्र 3,30,000 रुपए में ही बेच दिया।

- गौर करने वाली बात यह है कि पहले जमीन बेची गई, बाद में प्लाटिंग के बाद उसी में से प्रो। आरबी लाल, उनकी पत्‍‌नी सुधा लाल व भाई एसबी लाल ने प्लॉट भी खरीद लिया।

- इससे स्पष्ट होता है कि प्रो। आरबी लाल ने अपने पद का दुरुपयोग कर अनुचित लाभ लिया।