सोमवार की रात हुई ओलावृष्टि और मूसलाधार बारिश से खेत में ढेर फसले
गेहूं के साथ दलहनी फसलों को नुकसान, आलू भी खेतों में फंसा
लगातार दूसरे साल गेहूं की फसल को ओलावृष्टि ने किया नष्ट
ALLAHABAD: जब बारिश की जरूरत थी तब सूरज की किरणें आग उगल रही थीं और जब पानी की जरूरत नहीं है तो इन्द्र देवता ओले बरसा रहे हैं। धूप की तपिश ने धान की फसल को खराब कर दिया तो ओलों ने गेहूं की फसल को चौपट कर दिया है। सोमवार की रात हुई ओलावृष्टि और मूसलाधार बारिश से किसानों की आखों में खून के आंसू एक बार फिर आ गए हैं। गेहूं के साथ ही तिलहन और दलहन की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। यह नुकसान कितने का है? इसका आकलन होना अभी बाकी है लेकिन इस साल भी गेहूं उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप नहीं होगा? इसकी पूरी संभावना बन गई है।
गेहूं: अगैती खेती को ज्यादा नुकसान
इलाहाबाद यूनिवर्सिर्टी के ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के एक्स एचओडी प्रो। सविन्द्र सिंह का कहना है कि बारिश और ओले से गेहूं की उस फसल को ज्यादा नुकसान होगा जो पहले बोई गई थीं। दूसरे शब्दों में जिसे मार्च इंड तक जिन फसलों को कटना था और वे ओले से लेट गई हैं तो उपज 50 फीसदी अपने आप कम हो जाएगी। यहां एक ड्रा बैक और काम करेगा कि पिछले दिनों मौसम गरम होने से किसानों ने अपने साधनो से फसल की सिंचाई कर दी थी। इस फसल को तो भारी नुकसान पहुंचना ही है। जिन किसानों ने फसल जनवरी में बोई है और पौधे अभी छोटे हैं उन्हें ज्यादा नुकसान नहीं होगा। उनके लिए पानी फायदेमंद भी हो सकता है। यही हाल सरसो, अरहर और चने की बालियों का भी होगा। जो फसल खलिहान में पहुंच चुकी है और पानी में भींग गई उसे नुकसान पहुंचना तय है।
खेत में ही सड़ जाएगा आलू
श्री सिंह के अनुसार कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए आलू की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान होगा क्योंकि यह फसल अभी खेत में है। आलू बोने के लिए बनाई गई मेड के बीच में पानी जमा हो जाने से नमी आलू की फसल तक पहुंचेगा और यह फसल को सड़ा भी सकता है।
आम का बौर भी गया
फाल्गुन का महीना शुरू होते ही आम के पेड़ों पर बौर आने लगे थे। समय से पहले गर्मी का असर शुरू हो जाने के बाद भी बौर से लदे आम के पेड़ संकेत दे रहे थे कि इस बार फसल अच्छी होगी। लेकिन, पिछले तीन दिनों से हो रही बारिश ने बौर के फल बनने तक सब कुछ ठीक रहेगा? यह सवालों के घेरे में आ गया था। सोमवार की शाम और फिर आधी रात के बाद हुई मूसलाधार बारिश और ओलावृष्टि ने आम की फसल को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया है। मौसम विज्ञानी प्रो। सविन्द्र सिंह का कहना है कि इस मौसम में नमी होने से आम की फसल में माहू रोग लगने का खतरा बढ़ गया है।
बाक्स
पिछले साल हुआ था सौ करोड़ का नुकसान
पिछले साल अप्रैल में जिले में हुई ओलावृष्टि और बारिश से बर्बाद फसलों का गाटावार सर्वे के बाद आई रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक किसान को मुआवजा मिलना तय हुआ था। तब जिला प्रशासन ने सर्वे रिपोर्ट के आधार पर जो क्षतिपूर्ति मांगी थी वह रकम 101 करोड़, 62 लाख 56 हजार 177 रुपये थी। सूखे के चलते धान की फसल खराब होने के बाद जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था। अब भी नुकसान का आकलन कुछ ऐसा ही था। यानी पिछले पूरे साल गच्चा खाने वाले किसान इस साल भी गच्चा खाएंगे? इसकी संभावना ज्यादा बढ़ गई है।
फैक्ट फाइल
फसलों की बर्बादी (लास्ट इयरर)
फसल बर्बाद हुई फसल (हेक्टेयर में)
गेहूं 187082 हेक्टेयर
सरसों 414 हेक्टेयर
चना 6615 हेक्टेयर
मटर 333 हेक्टेयर
मंसूर 5146 हेक्टेयर
आलू 116 हेक्टेयर
अन्य फसलें 4231 हेक्टेयर
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जिले में खेती (करंट इयरर)
फसलें एरिया (हेक्टेयर में)
गेहूं 215748
जौ 4800
मटर 15405
मंसूर 12901
राई 1402
तोरिया 1770
अल्सी 1084
अरहर 15237
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फसलों से आच्छादित क्षेत्र: 257536 हेक्टेयर
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बारिश और ओलावृष्टि का प्रभाव पूरे जिले में नहीं है। अभी फसलें बर्बाद हो जाने जैसी कोई बात नहीं है। अभी अधिकतम दस फीसदी तक ही नुकसान अनुमानित है। सर्वे कराया जा रहा है। जल्द ही पूरा आंकड़ा सामने आ जाएगा।
गणेश दुबे,
जिला कृषि अधिकारी, इलाहाबाद