पेपर आउट नहीं, इंविजिलेटर बनकर कक्ष में ही पहुंचे पेपर साल्वर

साल्वर के नेटवर्क ने लगा दी परीक्षा की सुचिता में सेंध

कोचिंग से लेकर स्कूल तक में सेटिंग, कक्ष निरीक्षक बनने से उठे सवाल

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: इलाहाबाद हाईकोर्ट की संडे को सम्पन्न हुई आरओ परीक्षा में हाईटेक नकल का जो मामला सामने आया है। उसमें कई चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। अव्वल तो हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस हरियाणा और बिहार के साल्वर गैंग ने पूरी परीक्षा व्यवस्था को ही चुनौती दे डाली। क्योंकि, इससे पहले इतने भारी पैमाने पर सीधे कक्ष निरीक्षक बनकर परीक्षा केन्द्र में घुसकर पेपर साल्व करवाने का मामला पहली बार प्रदेश में सामने आया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि चूंकि यह हाईकोर्ट से जुड़ी परीक्षा थी, इसलिये पुलिस की सभी ब्रांचेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। अन्यथा और किसी बोर्ड या आयोग की परीक्षा होती तो शायद ही पुलिस इतनी चौकन्नी होती।

परीक्षा केन्द्रों से सेटिंग की होगी जांच

साल्वर गैंग की तैयारी और उनका दुस्साहस यह बता रहा है कि उनके लिये परीक्षा को टर्गेट करना कोई पहला काम नहीं रहा होगा। पुलिस के अफसर भी दबी जुबान यह स्वीकार कर रहे हैं। इसमें प्रथम दृष्टया जांच में जो एंगल सामने आ रहे हैं। उसमें साफ तौर पर यह महसूस किया जा रहा है कि कक्ष निरीक्षक बनकर नकल करवाने की प्लानिंग बिना परीक्षा केन्द्रों पर पहले से की गई सेटिंग के सम्भव नहीं है। क्योंकि, जिन परीक्षा केन्द्रों पर डुप्लीकेट कक्ष निरीक्षकों के पहुंचने का प्लान था। वहां ऑलरेडी सरकार के प्रतिनिधि ड्यूटी पर अधिकृत तरीके से तैनात किये जाते हैं। इसमें भी योजनाबद्ध तरीके से सेंध लगा दी गई। इससे ऑफिसर्स भी हैरान हैं।

हरियाणा-बिहार से पहले भी जुड़े तार

पुलिस विभाग के सूत्रों का कहना है कि हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस गैंग का प्लान एक तो दूसरे परीक्षार्थी की जगह बैठकर परीक्षा देने का था। दूसरा इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अगर कक्ष निरीक्षक बनकर पेपर साल्व करवाने की योजना थी तो परीक्षा केन्द्रों पर पहले से गैंग से पैसे का लेनदेन करके ओरिजनल परीक्षार्थी भी केन्द्र पर पहुंचे होंगे। चूंकि, पुलिस का पूरा जोर गैंग को पकड़ने पर था। ऐसे में सेटिंग के तहत परीक्षा देने पहुंचे परीक्षार्थी अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इससे पहले एसएससी और रेलवे की परीक्षाओं में भी हरियाणा और बिहार के गैंग ने कई परीक्षाओं में व्यापक स्तर पर नकल करवाई थी, यह भी सामने आ चुका है।

अब आनलाइन पर होंगे फोकस

बता दें कि साल्वर गैंग पहले पेपर आउट कराने पर काम करता था। इसमें रिस्क बहुत था और कई बार वे पकड़े भी गए। इससे सबक लेकर एसएससी और रेलवे रिक्रुटमेंट बोर्ड को मजबूर होकर परीक्षाओं को ऑनलाइन करवाना पड़ा। इसके बाद इस गैंग ने अपनी स्ट्रेटजी चेंज कर दी। इसका खुलासा अब हुआ है। वैसे परीक्षाओं को नकल मुक्त कराने में आनलाइन एग्जाम को ज्यादा सेफ मान कर विभिन्न भर्ती बोर्डो के अफसर पहले से ही इस तरफ मूव करने का प्लान बना चुके हैं। उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन ने भी फ्यूचर में परीक्षाओं को ऑनलाइन किये जाने का निर्णय लिया है। इस कतार में हायर एजुकेशन सर्विस कमीशन, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड, अधिनस्थ शिक्षा सेवा चयन आयोग लखनऊ आदि भी शामिल हैं। उधर, पुलिस विभाग की एलआईयू, क्राईम ब्रांच और एसटीएफ परीक्षा में लगाई गई एजेंसी की भी भूमिका की जांच कर रही है। हालांकि, अभी इसपर कोई कुछ बोलने से बच रहा है। इसमें संदिग्ध तौर पर कुछ कोचिंग संचालकों का नाम भी प्रमुखता से लिया जा रहा है।

कैसे काम करता है नेटवर्क

हरियाणा, यूपी और बिहार में विशेष रूप से सक्रिय है साल्वर गैंग

पेन-पेंसिल से होने वाले मल्टीपल च्वाइस बेस्ड एग्जाम करते हैं टारगेट

कोचिंग के टीचर्स का साल्वर गैंग से है सीधा कनेक्शन

सेटिंग के आधार पर साल्वर करते हैं सेंटर की सेटिंग

कॉलेज मैनेजमेंट से बात करके कमरे में लगवाते हैं ड्यूटी (इसकी जांच रिपोर्ट आनी अभी बाकी है)

हर पेपर कोड में डिवाइड होता है और अभ्यर्थी को सिर्फ आंसर आप्शन बताया जाता है

इससे किसी को हाई टेक तरीके से चल रही नकल की भनक भी नहीं लगती

पैसे का भुगतान दो किश्तों में लिया जाता है

अभ्यर्थियों का भरोसा जीतने के लिए दस फीसदी पैसा ही एडवांस लिया जाता है बाकी काम पूरा होने के बाद लिया जाता है

कोचिंग के पास होता है अभ्यर्थी का पूरा डिटेल

नकल में इस्तेमाल हुआ सामान

जीपीएस डिवाइस मास्टर कार्ड

ईयर माइक्रोफोन (यह बाहर बिल्कुल नहीं दिखता। एग्जाम समाप्त होने के बाद कान के बाहर चुंबक रखने पर यह अपने आप बाहर आ जाता है)

जीपीएफ इंस्टाल्स बनियान

फर्जी पते पर लिए गए नए सिम कार्ड

दो कोचिंग संचालकों की इसमें अहम भूमिका है। एक ने तो एसएससी का सेंटर भी हासिल कर लिया था। उसी ने डिवाइस मास्टर कार्ड और लड़कों की सूची फरार आरोपी को उपलब्ध कराई थी। हमारी जांच अभी जारी है।

मोनिका चड्ढा

सीओ, जीआरपी, इलाहाबाद