-हाईपरटेंशन और डायबिटीज से लगातार बढ़ रहे हैं स्ट्रोक के मामले

-महिलाओं में ज्यादा है मार्टेलिटी रेट, हर साल लाखों लोगों की हो जाती है मौत

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ALLAHABAD: क्या आपको मालूम है कि दुनियाभर में जिन बीमारियों से सबसे ज्यादा मौतें होती हैं, उनमें स्ट्रोक भी शामिल है। लापरवाही बरतने पर यह जानलेवा साबित हो सकती है। महिलाओं में इस बीमारी के होने के सबसे ज्यादा चांसेज होते हैं। यही रीजन है कि इस साल 28 अक्टूबर से तीन नवंबर के बीच आयोजित हो रहे व‌र्ल्ड स्ट्रोक वीक में महिलाओं से जुड़ा स्लोगन 'एम वूमेनन:स्ट्रोक इफेक्ट्स मी' दिया गया है।

क्या है स्ट्रोक?

दुनियाभर में हर साल क्भ् मिलियन लोग स्ट्रोक के शिकार होते हैं। इनमें से छह मिलियन की मौत हो जाती है और पांच मिलियन विकलांगता का दंश झेलने को मजबूर हो जाते हैं। आमतौर पर हार्ट से ब्रेन को ब्लड पहुंचाने वाली नलियों में ब्लड वेसेल्स के जम जाने या उनके फट जाने से स्ट्रोक के हालात पैदा होते हैं। ब्रेन तक ब्लड नहीं पहुंच पाने से ब्रेन का वह हिस्सा डेड हो जाता है और कोशिकाएं डैमेज हो जाती हैं। ऐसे में मरीज की हालत गंभीर होने लगती है।

महिलाओं को है ज्यादा खतरा

पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में स्ट्रोक के ज्यादा चांसेज होते हैं। यही कारण है कि इस बीमारी से सबसे ज्यादा मौत भी महिलाओं की होती है। एग्जाम्पल के तौर पर जहां छह पुरुषों में से एक पर स्ट्रोक का खतरा मंडराता है तो महिलाओं यह अनुपात घटकर पांच का हो जाता है। व‌र्ल्ड स्ट्रोक फेडरेशन की मानें तो दस से छह महिलाओं की मौत इस बीमारी से हो जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण उनकी देखभाल में लापरवाही बरतना है। शुरुआती लक्षणों को नजर अंदाज करने से वह जल्दी इस बीमारी का शिकार हो जाती हैं। इसी को देखते हुए इस साल स्ट्रोक के प्रति महिलाओं को जागरूक करने के लिए बॉलीवुड एक्ट्रेस रानी मुखर्जी, मिस इजिप्ट डालिया बेहेरी और साइकिलिस्ट अल्बर्टो कंटेंडोर को ब्रांड अम्बेसेडर बनाया गया है।

दो-तिहाई जीवन भर करते हैं संघर्ष

इस बीमारी में ब्रेन के जिस हिस्से में ब्लड सप्लाई रुक जाती है, वह डैमेज हो जाता है। इसके चलते बॉडी का एक हिस्सा पैरालाइज होने की स्थिति में आ जाता है। ऐसे में मरीजों को अचानक विकलांगता का सामना करना पड़ता है। जानकारी के मुताबिक एक तिहाई मरीज इस परिस्थिति से उबर जाते हैं तो दो तिहाई को जीवन भर विकलांगता से संघर्ष करना पड़ता है। डॉक्टर्स का कहना है कि जागरुकता और बचाव के चलते इस खतरनाक बीमारी से बचा जा सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि जंक फूड, नींद पूरी नहीं होना, तनावग्रस्त रहना, मोटापा, स्मोकिंग की लत प्रति लोगों को जागरुक रहना चाहिए।

स्ट्रोक के लक्षण

-आंखों में धुंधलापन या रोशनी चले जाना

-बोलने में दिक्कत महसूस होना

-हाथ-पैर में कमजोरी या पैरालाइज हो जाना

-शरीर के अंगों में सूजन

-इंजाइटी या डिप्रेशन का शिकार हो जाना

-फेशियल वीकनेस, कंफ्यूजन, लॉस ऑफ बैलेंस

-तेज सिरदर्द, पर्सनैलिटी या बिहेवियर में बदलाव

स्ट्रोक के कारण

-ओल्डर एज

-स्मोकिंग

-हाई ब्लड प्रेशर

-डायबिटीज

-फैमिली हिस्ट्री

-हाई कोलेस्ट्रोल

-ओवरवेट

-एबनॉर्मल हार्टबीट

-हीमोफीलिया

-रेगुलर ड्रिंकिंग एंड हाईली एल्कोहलिक होना

-इल्लीगल ड्रग्स

स्ट्रोक पड़ता है तो सबसे पहले मरीज को लेटाकर हल्की करवट दें। इसके बाद तत्काल डॉक्टर को कॉल करें। इस बीमारी का एज ग्रुप भी घटता जा रहा है। इसका कारण डायबिटीज और हाईपरटेंशन है। तनाव भरा जीवन जीना लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है।

डॉ। आरपी पांडेय,

न्यूरो सर्जन

जागरुकता से इस घातक बीमारी से बचा जा सकता है। कॅरियर की आपाधापी में तनाव से बचें। मोटापा, हाईपरटेंशन या डायबिटीज की जद में आने के बाद स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। शुरुआती लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

डॉ। प्रकाश ख्रेतान, न्यूरो सर्जन