- आईसीएसई ने भी कैंसिल की 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं

- 11वीं में एडमिशन में स्ट्रीम सलेक्शन पर डाउट में है स्टूडेंट्स

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PRAYAGRAJ: कोरोना महामारी के लगातार बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए सीबीएसई के बाद अब आईसीएसई बोर्ड ने भी 10वीं की परीक्षाएं कैंसिल कर दी। साथ ही स्कूलों को 11वीं में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दे दिया। ऐसे में 11वीं में स्ट्रीम को लेकर स्टूडेंट्स की टेंशन बढ़ने लगी है। क्योकि स्टूडेंट्स को अभी तक दसवीं के असिस्मेंट को लेकर कोई स्थिति क्लीयर नहीं दिख रही है। ऐसे में स्टूडेंट्स असिस्मेंट के तरीके को लेकर असमंजस में है और उसके जरिए मिलने वाले मार्क को लेकर सशंकित है। क्योकि इन्हीं मार्क का असर 11वीं में दाखिले के समय स्ट्रीम के सलेक्शन पर भी पड़ना है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस बारे में स्टूडेंट्स से बातचीत की।

प्री बोर्ड में सभी के आए थे अच्छे मा‌र्क्स

आईसीएसई बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने जा रहे 10वीं के स्टूडेंट्स की माने तो इस बार प्री बोर्ड भी ऑन लाइन ही हुए हैं। ऑफलाइन में कम स्टूडेंट्स ही पहुंचे। ज्यादातर ने ऑन लाइन मोड को ही चुना था। ऐसे में आप्शनल क्वैश्चन वो भी मल्टीपल च्वाइस के थे। जो काफी आसान थे। ऐसे में सभी स्टूडेंट्स के मा‌र्क्स बेहतर होंगे। जिसके कारण अगर प्री बोर्ड को आधार बनाकर इंटरनल असिस्मेट हुआ तो मा‌र्क्स लगभग बराबर ही होंगे। जिससे स्ट्रीम सलेक्शन में और सीटों के लिए कटआफ बढ़ेगी। वहीं कुछ स्टूडेंट्स का कहना है कि प्री बोर्ड पर उतना फोकस नहीं था। क्योकि फोकस अभी तक बोर्ड एग्जाम था। उसी को ध्यान में रखते हुए बोर्ड की तैयारी कर रहे थे। साल भर पढ़ाई भी किए। लेकिन ऐसे में कई तरह की दिक्कत आगे आएगी।

स्कूलों पर डिपेंड करेंगा रिजल्ट

स्टूडेंट्स ने कहा कि अब पूरी जिम्मेदारी स्कूलों पर होगी। क्योकि उन्हीं को स्टूडेंट्स की इंटरनल असिस्मेंट करनी होगी। ऐसे में स्कूल ही डिसाइड करेंगे कि वह 9वीं के फाइनल एग्जाम से लेकर 10वीं प्री बोर्ड तक को मिलाकर इंटरनल असिस्मेंट करते है, या फिर 10वीं के टेस्ट और प्री बोर्ड को मिलाकर करते है। हालांकि स्ट्रीम को लेकर कटआफ बढ़ेगा। ऐसे में सभी पीसीएम व पीसीबी जैसे स्ट्रीम की चाहत करेंगे। जो संभव नहीं हो सकता है।

कैंसिल करने से बेहतर था टालना

मौजूदा हालात को देखते हुए स्टूडेंट्स ये मानते है कि इस महामारी के समय काउंसिल का डिसीजन स्टूडेंट्स के भलाई के लिए सही है। लेकिन उनका कहना है कि एग्जाम को टाला भी जा सकता था। जब स्थिति नार्मल होती, तो एग्जाम कराया जा सकता था। इससे स्टूडेंट्स अच्छे मा‌र्क्स लाने की और अधिक कोशिश करते।

- बोर्ड का डिसीजन सेक्योरिटी इश्यू से ठीक है। लेकिन हर बच्चे की परफार्मेस अलग होती है। ये बोर्ड एग्जाम में ज्यादा क्लीयर होता।

शैली नायक

- पूरी मेहनत बेकार हो गई, लेकिन डिसीजन सही है। इंटरनल असिस्मेंट किस आधार पर होता है, ये देखना हेागा।

प्रत्यूष श्रीवास्तव

- डिसीजन ठीक नहीं है। प्री बोर्ड में 93 परसेंट था। बोर्ड में और बेहतर करने की तैयारी थी। लेकिन अब देखते है कि कैसे असिस्मेंट होता है।

शुभांग दुबे

- देखा जाए तो सही भी है और ये निर्णय गलत भी है। हालांकि पूरा डिसीजन स्कूल पर है। वो किस प्रकार इसे देखते है।

आदित्यराज गुप्ता