प्रयागराज (ब्‍यूरो)। माघ मेला की तैयारी की गति काफी स्लो है। दिसंबर महीना बीतने में महज बीस दिन ही शेष रह गए हैं। अभी तक सभी पांटून पुल का निर्माण ही पूरा नहीं हो सका है। पांटून पुल के नहीं बन पाने से मेला के अन्य दूसरे कार्यों पर असर पड़ रहा है। जब तक पांटून पुल का निर्माण नहीं हो जाता, झूंसी साइड विद्युत पोल से लेकर घट आदि के निर्माण का काम शुरू नहीं हो पाएगा। कार्यों की गति को देखते हुए कहा जा सकता है आधी-अधूरी व्यवस्थाओं के बीच ही शुरुआती दौर में श्रद्धालुओं को तम्बुओं के शहर में बसना होगा। हालांकि मेला अधिकारी हर हाल में 25 दिसंबर तक काम पूरा करने का भरोसा अपने शीर्ष अफसरों को दिला चुके हैं। मगर जिस तरह से काम की स्पीड है उससे लोग कयास लगा रहे हैं कि महीने के अंत तक भी काम पूरा नहीं हो पाएगा। लोगों के इस कयास में कितना दम यह बात आने वाला वक्त की क्लियर करेगा।

पांटून पुल बने तो गति पकड़े काम
संगम के रेत पर इस बात माघ मेला को 770 हेक्टेयर एरिया में बसाया जाना है। पहली मर्तबा नागवासुकी तक माघ मेला बसाने का मास्टर प्लान तैयार गया है। एरिया को बढ़ा तो गंगा नदी में बनाए जोन वाले पांटून पुल की भी संख्या बढ़ा दी गई। इस बार कुल छह पांटून पुल बनाए जाने का प्लान है। सरकारी कार्यालय स्थापित करने के लिए अफसरों के द्वारा भूमि पूजन हाल ही में की गई है। बताते चलें कि रविवार को दस दिसंबर की तारीख बीच चुकी है। महीना को पूरा होने में महज बीस दिन का वक्त बचा है। क्योंकि जनवरी से साधु संतों के के द्वारा मेला क्षेत्र में जमीन आदि आवंटन कराने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में अधिकारी और भी व्यस्त हो जाएंगी। संतों के जरिए टेंट आदि लगाने का काम भी शुरू हो जाता है। मतलब यह कि कुल मिलाकर सिर्फ बीस दिन में ही मेला क्षेत्र में रोशनी के लिए बिद्युत पोल व उन पर तार दौड़ाने से लेकर रोड, स्नान घाट, पेयजल व शौचालय जैसी अन्य व्यवस्थाएं को करना है। पेयजल पाइप बिछाने व बिजली के पोल एवं लाइटिंग आदि में वक्त अधिक लगता है। जानकार कहते हैं कि यह सारे काम पांटून पुल व सड़कें बनने के बाद ही गति पकड़ती हैं।

इस तरह कैसे पूरा होगा समय से काम
अभी तक पांटून पुल का ही निर्माण पूरा नहीं हो सका है। मेला कार्यों से जुड़े लोग दबी जुबान कहते हैं कि जब तक यह पांटून पुल नहीं बनेगा झूंसी साइड मेला के बसावट का काम प्रभावित ही रहेगा। पहले पांटून पुल कम्प्लीट हो इसके बाद चकर्ड प्लेट बिछाकर सड़कें बनाई जाय। इसके बाद जलकल व बिजली विभाग की गाडिय़ां मेला क्षेत्र में सामान आदि लेकर जा सकेंगी। जब तक पुल व सड़कें नहीं बन जाती मेला के कार्यों में गति का आना संभव नहीं दिखाई दे रहा है। हालांकि शीर्ष अफसरों से मीटिंग में मेला से जुड़े अधिकारी 25 दिसंबर तक कार्यों को कम्प्लीट करा देने का वादा कर चुके हैं। यदि इस वादे पर गौर करें तो महज पंद्रह दिन ही शेष हैं। मेला के कार्यों की जो गति है उससे देखते हुए पंद्रह दिन तो क्या बीस दिन में भी पूरा हो पाना लोग संभव नहीं मान रहे हैं।