प्रयागराज (ब्‍यूरो)। लूकरगंज के रहने वाले राजेश कुमार अपने राशन कार्ड निरस्तीकरण का आवेदन देने आए थे। हमने उनसे पूछा कि आप कई महीने से अनाज ले रहे थे जबकि आपके पास चार पहिया वाहन और महंगा फोन है। तो उन्होंने कहा कि कार पापा की है और मोबाइल मम्मी के नाम पर है। मेरे पास अपना कुछ नही है। लेकिन अब मुझे राशन कार्ड की आवश्यकता नही है।

कोरोना के बाद जरूरत नहीं
चौक से आए वृद्ध दिनेश सिंह ने पूछताछ में बताया कि कोरोना के दौरान हमारा परिवार की गरीब हो गया था। इसलिए राशन कार्ड से अनाज ले रहे थे। अब हमें इसकी जरूरत नही है। इसके आगे उन्होंने कोई जवाब नही दिया और हंसते हुए चले गए।

पहले नियम पता नहीं था
नवाब युसुफ रोड निवासी नजीम भी अपना निरस्तीकरण का आवेदन देने आए थे। उन्होंने भी पूछताछ में कहा कि हमें नियमों की जानकारी नही थी। तब राशन कार्ड बनवा लिया। अब पता चला कि सरकार सरेंडर करने को कह रही है। इसलिए यहां आए हैं। उन्होंने बताया कि वह एक बिजनेसमैन हैं।

रोजाना 400 से अधिक आवेदन
जिले में दस लाख 62 हजार सरकारी राशन कार्ड बने हैं और इसमें से 1500 के आसपास निरस्त हो चुके हैं।
रोजाना 400 से अधिक लोग इसके लिए आवेदन कर रहे हैं।
तहसील और प्रखंड में लोगों की लाइन लगी हुई हैं।
सरकार का कहना है कि जो लोग खुद सरेंडर कर देंगे उनको छोड़ दिया जाएगा।
जो लोग पात्र नहीं हैं और राशन कार्ड सरेंडर नही कर रहे हैं, उनके खिलाफ वसूली की कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि 30 जून तक सरकार ने फ्री राशन देने की बात कही है।
इसके बाद ही कार्रवाई शुरू होना तय माना जा रहा है।

ये नहीं बनवा सकते राशन कार्ड
जिनके पास आयकरदाता या परिवार में चार पहिया वाहन या परिवार में एसी या पांच केवीए का जनरेटर या सौ वर्गमीटर का आवासीय प्लाट या परिवार के सदस्यों की वार्षिक आय तीन लाख से अधिक हो तो यह लोग राशन कार्ड के पात्र नही माने जाएंगे। गांव के लोगों के लिए भी लगभग यही क्राइटेरिया तय किए गए हैं।

मिलेगा नए आवेदन का मौका
जिले में लक्ष्य से अधिक लोगों का राशन कार्ड बना होने से यह ड्राइव चलाई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि जब अपात्रों के कार्ड निरस्त हो जाएंगे तो नए को आवेदन का मौका दिया जाएगा।

खतौनी, एकाउंट नंबर और आधार कार्ड को आपस में अटैच किया जा रहा है। जिसके आधार पर अपात्रों को चिंहित करना आसान होगा। जब अपात्र हटेंगे तभी नए आवेदनों को राशन कार्ड उपलब्ध कराया जा सकेगा।
आनंद सिंह, डीएसओ प्रयागराज