-कई बार के प्रयास के बावजूद सेलेक्शन नहीं होने से डिप्रेशन में जा रहे युवा

-प्रतियोगी छात्र राजीव चौधरी के सुसाइड के बाद उठ रहे हैं कई सवाल

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PRAYAGRAJ: 11 सितंबर का दिन। यूपीपीएससी की तरफ से पीसीएस-2018 का रिजल्ट घोषित किया गया। सेलेक्टेड अभ्यर्थियों में खुशी की लहर दौड़ गई। बधाई संदेशों और सेलिब्रेशन का सिलसिला शुरू हो गया। लेकिन इसी शहर में कोई था, जिसके लिए यह आखिरी परिणाम साबित हुआ। पांच बार इंटरव्यू तक पहुंचने के बावजूद सफलता से चूकने के बाद राजीव चौधरी हौसला हार गए। अपने रूम में फांसी लगाकर उन्होंने सुसाइड कर लिया। दोस्तों का कहना है कि लगातार असफलता ने राजीव को तोड़ दिया था। काश, कोई राजीव को समझा पाता कि यह जिंदगी की आखिरी मंजिल नहीं थी। काश, कोई उसके कंधे पर हाथ रख असफलता के प्रेशर से निकाल पाता।

पांच बार अटेंप्ट कर चुका था इंटरव्यू

राजीव चौधरी के साथियों ने बताया कि वह बहुत ही होनहार छात्र था। वह लगातार पांच बार से पीसीएस इंटरव्यू अटेंप्ट कर रहा था। लेकिन इंटरव्यू क्लियर नहीं होने से वह परेशान रहने लगा था। इस बात की चर्चा वह अपने साथियों से करता रहता था। साथ ही उसके दिमाग में यह बात भी बैठ गई थी कि यूपीपीएससी पीसीएस के लिए उम्र सीमा में बदलाव करके 30 साल करने वाली थी। वह अपने साथियों से लगातार कह रहा था कि उसकी उम्र 32 साल हो चुकी है। अब वह कुछ नहीं कर पाएगा। गौरतलब है कि नियमों में बदलाव की आशंका से कई प्रतियोगी छात्र ऐसी ही मनोदशा से गुजर रहे हैं।

मेंटल ब्रेकडाउन में उठा रहे कदम

प्रतियोगियों पर लगातार बढ़ रहे प्रेसर और डिप्रेशन को लेकर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय के मनोचिकित्सक डॉ। राकेश पासवान से बात की। उन्होंने इस पर विस्तार से रोशनी डाली।

-डॉक्टर पासवान ने बताया कि वर्तमान में कोरोना काल भी डिप्रेशन की एक अहम वजह है।

-लोगों के बीच दूरी ज्यादा बढ़ गई है। इसके चलते असफल होने पर दुख बंटाने वाले नहीं हैं।

-अपने गोल में फेल होने के बाद लोगों को निराशा घेर लेती है। इससे अवसाद की स्थिति बन जाती है।

-सोशल सपोर्ट सिस्टम खत्म होने के कारण मेंटल ब्रेकडाउन की स्थिति बन जाती है।

-ऐसे में पीडि़त को लगता है कि उसका सब कुछ खत्म हो गया है।

-कोरोना के कारण वैसे भी इस समय लोगों में एंग्जाइटी बढ़ी है।

-निराशा की स्थिति में यह एंग्जाइटी डबल हो जाती है। इससे निगेटिव थिंकिंग बढ़ती है।

-इसके चलते लोग प्राणघातक कदम उठा लेते हैं। यह सिचुएशन बहुत खतरनाक है।

ऐसी सिचुएशन से बचने के लिए उठाएं यह कदम

-नकारात्मक सोच वाले लोगों से दूरी बनाकर रखें।

-पॉजिटिव सोचवालों से खुलकर अपनी समस्याओं और उनके समाधान पर बातें करें।

-जीवन के प्रति प्रेम को बनाए रखें, खुद की फैमिली से अपने रिश्तों के बारे में याद रखें।

-खुद को किसी एक गोल में फिक्स करने से बचें। ऑप्शंस की कमी नहीं है।

-सोसाइटी में ऐसे उदाहरण के बारे में सोचे, जो एक फील्ड में फेल होने के बाद दूसरी फील्ड में टाप पर पहुंचे हैं।

-ऐसी परिस्थिति में खुद को ज्यादा से ज्यादा बिजी रखने की कोशिश करें।

यह स्थिति बेहद खराब है। कोरोना के कारण बढ़ रही एंग्जाइटी और डिप्रेशन के चलते युवा ऐसा कदम उठाने को मजबूर हैं। खुद को पॉजिटिव रखें और इससे बचने की कोशिश करें।

-डॉ। राकेश पासवान

मनोचिकित्सक

मोती लाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय

प्रतियोगी मानते है कि उनको आईएएस या पीसीएस ही बनना है। ऐसे में उनके मन में अपने गोल को लेकर एक साइकोलॉजी बंध जाती है। वह सोच लेते हैं कि अगर गोल हासिल नहीं कर पाए तो बर्बाद हो जाएंगे। यह बिल्कुल गलत ट्रेंड है। युवाओं को गोल बनाने के साथ ऑप्शंस भी रखना चाहिए।

-डॉ। हेमलता

वरिष्ठ समाजशास्त्री